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हाईकोर्ट ने गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने का दिया सुझाव, भाजपा प्रदेश प्रवक्ता बोले- यह निर्णय बहुत ही सराहनीय

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Published : Sep 1, 2021, 9:01 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गाय को राष्ट्रीय पशु का दर्जा दिए जाने का सुझाव दिया है. कोर्ट के इस फैसले का भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट का यह निर्णय बहुत ही सराहनीय है और सरकार इस निर्णय के अधीन बहुत पहले से ही गो संवर्धन के लिए कई तरह के प्रयास कर रही है.

बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी
बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी

लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को एक बड़ा सुझाव दिया है. कोर्ट ने कहा कि गाय को राष्ट्रीय पशु का दर्जा दिया जाना चाहिए और इसके लिए संसद में बिल लाना चाहिए. कोर्ट ने यह भी कहा कि गाय की पूजा होगी तभी देश समृद्ध होगा. हाईकोर्ट के इस सुझाव का भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि गाय महत्वपूर्ण है, भारत के संविधान ने अनुच्छेद 48 में राज्य के नीति निदेशक तत्व के रूप में इस बात को उपबंध किया है कि राज्य सरकार गौ संवर्धन के लिए कानून बनाए और गायों की हत्या किए जाने पर कठोरता से कानून बनाया जाए.

राकेश त्रिपाठी ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने अवैध स्लॉटर हाउस को बंद कराने का काम किया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सरकार में आते ही सबसे पहले अवैध स्लॉटर हॉउस के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की थी. उन्होंने कहा कि आज उत्तर प्रदेश में गायों के संवर्धन के लिए तमाम तरह के नियम बनाए गए हैं, गौशाला बनाई गई हैं, जो तमाम अवैध जमीन भू माफियाओं के कब्जे में थीं, उसे मुक्त कराकर बड़े पैमाने पर गौशाला बनाने का काम किया गया है. हाईकोर्ट का यह निर्णय बहुत ही सराहनीय है और सरकार इस निर्णय के अधीन बहुत पहले से ही गो संवर्धन के लिए कई तरह के प्रयास कर रही है.

बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी

बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वैदिक, पौराणिक, सांस्कृतिक महत्व और सामाजिक उपयोगिता को देखते हुए गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने का सुझाव केंद्र सरकार को दिया है. कोर्ट ने कहा कि भारत में गाय को माता मानते हैं. यह हिंदुओं की आस्था का का विषय है. आस्था पर चोट करने से देश कमजोर होता है. हाईकोर्ट ने सुझाव देते हुए यह भी कहा कि जीभ के स्वाद के लिए जीवन छीनने का अधिकार नहीं है.

कोर्ट ने कहा गो मांस खाना किसी का मौलिक अधिकार नहीं है. जीभ के स्वाद के लिए जीवन का अधिकार नहीं छीना जा सकता. बूढ़ी बीमार गाय भी कृषि के लिए उपयोगी है. इसकी हत्या की इजाजत देना ठीक नहीं है. गाय भारतीय कृषि की रीढ़ है. कोर्ट ने कहा पूरे विश्व में भारत ही एक मात्र ऐसा देश है, जहां सभी संप्रदायों के लोग रहते हैं. सबकी पूजा पद्धति भले ही अलग हो, लेकिन सोच सभी की एक है. सब एक दूसरे के धर्म का आदर करते हैं. कोर्ट ने कहा गाय को मारने वाले को छोड़ा तो वह फिर अपराध करेगा. जावेद की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा 29 में से 24 राज्यों में गोवध प्रतिबंधित है. एक गाय जीवन काल में 410 से 440 लोगों का भोजन जुटाती है और गोमांस से केवल 80 लोगों का पेट भरता है. गोवध को रोकने के लिए इतिहास में किए गए प्रयासों के बारे में बताते हुए कहा कि महाराजा रणजीत सिंह ने गो हत्या पर मृत्यु दण्ड देने का आदेश दिया था. इतना ही नहीं इतिहास में कई मुस्लिम और हिंदू राजाओं ने गोवध पर रोक लगाई थी. गाय का मल-मूत्र असाध्य रोगों में लाभकारी है. गाय की महिमा का वेदों पुराणों में भी बखान किया गया है. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कवि रसखान की रचनाओं को भी कोट किया. कोर्ट ने कहा कि रसखान के कहा था कि जन्म मिले तो नंद के गायों के बीच मिले. गाय की चर्बी को लेकर मंगल पाण्डेय ने क्रांति की थी. संविधान में भी गो संरक्षण पर बल दिया गया है. यह टिप्पणी करते हुए बुधवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गाय काटने के एक आरोपी व्यक्ति जावेद की जमानत याचिका को रद्द कर दिया. यह आदेश न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने दिया है. अर्जी पर शासकीय अधिवक्ता एस के पाल र ए जी ए मिथिलेश कुमार ने प्रतिवाद किया.

बता दें कि याची जावेद पर साथियों के साथ खिलेंद्र सिंह की गाय चुराकर जंगल में अन्य गायों सहित मारकर मांस इकट्ठा करते टार्च की रोशनी में देखे जाने का आरोप है. इस आरोप में वह 8 मार्च 2021 से जेल में बंद है. शिकायतकर्ता ने सिर देखकर अपनी गाय की पहचान की थी. मौके पर आरोपी मोटरसाइकिल छोड़ कर भाग गए थे.

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