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नूपुर शर्मा विवाद और बुलडोजर कार्रवाई के बाद बीजेपी ने बनाई यह रणनीति

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Published : Jun 17, 2022, 5:19 PM IST

भाजपा.
भाजपा.

नूपुर शर्मा विवाद और बुलडोजर की कार्रवाई के बाद उत्तर प्रदेश सरकार और बीजेपी संगठन पूरी सतर्कता बरत रहा है. जुमे की नमाज के बाद जहां हिंसा हुई थी, वहां की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए भाजपा ने नई रनणीति बनाई है.

लखनऊ: नूपुर शर्मा विवाद से लेकर बुलडोजर की कार्रवाई को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार और बीजेपी संगठन पूरी सतर्कता बरत रहा है. बीजेपी नेतृत्व व सरकार के सर्वोच्च स्तर पर तय किया गया है कि ऐसे किसी भी विवादित मामले पर फूंक-फूंक कर कदम रखना है, और ऐसा कोई बयान या ऐसा कोई कृत्य नहीं करना है. जिससे सरकार की छवि पर असर पड़े या विपक्ष बीजेपी के के खिलाफ कोई माहौल तैयार कर पाए. सरकार की कोशिश है कि मामला पूरी तरह से शांत होने तक इस विषय पर सोची समझी रणनीति के तहत ही काम करना है. इसको लेकर मंत्रियों से लेकर पार्टी प्रवक्ता को बोलने से मना किया गया है. बीजेपी व सरकार के स्तर पर एक गाइडलाइन भी तैयार की गई है.

राजनीतिक विश्लेषक दिलीप अग्निहोत्री.


भाजपा नेताओं का कहना है कि सरकार इस पूरे मामले में पूरी तरह से संवेदनशीलता के साथ काम कर रही है. इसे सरकार की छवि पर कोई असर न पड़ने पाए. ऐसे में पूरे मामले पर गंभीरता से पूरी नजर बनाए हुए है. पार्टी के वरिष्ठ नेता लगातार केंद्रीय नेतृत्व के संपर्क में हैं और लगातार फीडबैक दे रहे हैं. सरकार और संगठन की कोशिश है कि नूपुर शर्मा को पार्टी से हटाने एफआईआर दर्ज कराई गई है. बावजूद इसके अगर मुस्लिम समुदाय में नाराजगी है तो उसे धीरे-धीरे करके शांत कराया जा रहा है. जिन शहरों में उत्तर प्रदेश में जुमे की नमाज के बाद हिंसा हुई थी, वहां भी स्थिति को नियंत्रित किया जा रहा है.


इस पूरे विषय पर सरकार के मंत्रियों और संगठन से जुड़े नेताओं व मीडिया टीम को इस विषय पर बोलने से मना किया गया है. जिससे कोई कुछ भी बोले और उससे दूसरे समुदाय पर क्या संदेश जाएगा, क्या प्रतिक्रिया होगी, इस पर ध्यान दिए जाने को लेकर पार्टी ने बयानबाजी पर पूरी तरह से रोक लगाई है. इससे सरकार और संगठन की छवि पर कोई असर न पड़ने पाए बीजेपी नेतृत्व इस पूरे मामले में कदम रख रहा है.

राजनीतिक विश्लेषक दिलीप अग्निहोत्री कहते हैं कि 'संवेदनशील मसले और समय पर सत्तारूढ़ पार्टी का दायित्व सर्वाधिक होता है. उसे एक साथ दो मोर्चों पर कार्य करना होता है. उस पार्टी की सरकार को कानून व्यवस्था का मोर्चा संभालना होता है. इस मोर्चे पर योगी मॉडल उपयोगी साबित हुआ है. दूसरा मोर्चा सम्बन्धित पार्टी के संगठन से सम्बन्धित होता है. पार्टी के सभी पदाधिकारियों को आत्मानुशासन के साथ कार्य करना होता है. जिससे स्थिति को समान्य बनाना सुगम हो सके.

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राजनीतिक विश्लेषक दिलीप अग्निहोत्री कहते हैं कि 'योगी आदित्यनाथ ने ठीक कहा है कि मंत्रियों तथा अन्य जिम्मेदार लोगों को भी पार्टी लाईन का पूरे अनुशासन के साथ पालन करना चाहिए. भाजपा केंद्र में भी सत्तारूढ़ है. विगत आठ वर्षों नरेंद्र मोदी ने विदेश और अंतरिक नीति में सबका साथ सबका विकास सिद्धांत पर अमल किया है. यही कारण है कि अनेक मुस्लिम मुल्कों ने नरेंद्र मोदी को अपना सर्वोच्च सम्मान दिया. रूस-यूक्रेन संघर्ष समाधान में भारत की भूमिका को सर्वाधिक महत्वपूर्ण माना गया. नूपुर शर्मा प्रकरण को साजिश के तहत मुस्लिम देशों में प्रसारित किया गया. ऐसा करने वाले भारत के ही नागरिक थे. केंद्र सरकार इस अंतरिक और बाहरी समस्या को समझती है. राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखकर सरकार अपना दायित्व निर्वाह कर रही है.'

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