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विधान परिषद की बची सीटों के लिए सक्रिय हुए भाजपा के दावेदार

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Published : Jun 15, 2022, 8:18 PM IST

विधान परिषद की बची हुई छह सीटों के लिए मनोनयन होने हैं. ये सभी सीटें भाजपा के खाते में आईं हैं. ऐसे में पार्टी के दावेदार सक्रिय हो गए हैं. पेश है यूपी के ब्यूरो चीफ आलोक त्रिपाठी की यह खास रिपोर्ट.

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विधान परिषद की शेष सीटों के लिए सक्रिय हुए भाजपा के दावेदार

लखनऊ : प्रदेश में राज्यसभा की 11 और विधान परिषद की 13 सीटों के लिए निर्विरोध निर्वाचन हो चुका है. वहीं, आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा सीटों पर उप चुनाव के लिए 23 जून को मतदान होना है. अब बारी है विधान परिषद की छह सीटों के लिए सदस्यों के मनोनयन की. यह मनोनयन राज्य सरकार की संस्तुति पर राज्यपाल द्वारा किया जाता है. स्वाभाविक है कि इन सीटों के लिए सभी दावेदार भाजपा से ही होंगे. इसलिए पार्टी के दावेदार अपने स्तर पर दावेदारी करने में जुट गए हैं.


गौरतलब है कि विगत 28 अप्रैल को बलवंत सिंह रामूवालिया, वसीम बरेलवी, मधुकर जेटली और 26 मई को राजपाल कश्यप, अरविंद कुमार व डॉ संजय लाठर की विधान परिषद की सदस्यता समाप्त हो चुकी है. इन छह सीटों के लिए मनोनयन होना है और अनुमान लगाया जा रहा है कि इस विषय में शीघ्र ही निर्णय लिया जा सकता है. इसे लेकर भारतीय जनता पार्टी के नेताओं में हलचल तेज हो चुकी है. जिन नेताओं को हालिया भरी गई विधान परिषद की तेरह सीटों में अवसर नहीं मिल सका था, वह प्रयासरत हैं कि उन्हें इस बार अवसर जरूर मिले. यही कारण है कि तमाम नेता अपने लिए पैरवी में जुट गए हैं, उन छह सीटों में उन नेताओं को भी अवसर मिल सकता है, जो विधान सभा चुनावों के मौके पर अन्य दल छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे.

इसके अलावा भी विधान परिषद की दो अन्य सीटें रिक्त हैं. इनमें से एक समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता अहमद हसन के निधन से रिक्त हुई थी. उनका कार्यकाल 2027 तक था. वहीं दूसरी सीट ठाकुर जयवीर सिंह के विधान परिषद से इस्तीफा देने के कारण रिक्त हुई थी. इनकी सदस्यता 2024 तक थी. जयवीर सिंह ने हालिया विधानसभा चुनाव जीतने के कारण विधान परिषद से इस्तीफा दिया था. इन दोनों सीटों के लिए आयोग को अधिसूचना जारी करनी पड़ेगी, जिसके बाद उम्मीद है कि इन दोनों सीटों पर भी निर्विरोध निर्वाचन हो जाए. इस तरह विधान परिषद की कुल आठ सीटें हैं, जिन्हें हाल के दिनों में भरा जाना है. माना जा रहा है कि राज्य सरकार आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखकर कोई फैसला करेंगी.

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