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स्मार्ट प्रीपेड मीटर के टेंडर में बड़े खेल की तैयारी, पीएम से सीबीआई जांच की मांग

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Published : Oct 4, 2022, 9:13 PM IST

केंद्र सरकार की तरफ से जारी रेवम्प योजना के तहत पूरे यूपी में चार कलस्टर में 4 जी स्मार्ट प्रीपेड मीटर के जो टेंडर जारी किए गए हैं.

स्मार्ट प्रीपेड मीटर
स्मार्ट प्रीपेड मीटर

लखनऊ: विदेशी कोयला की खरीद कराने में नाकाम केंद्र सरकार अब उपभोक्ताओं की जेब पर बोझ डालकर स्मार्ट प्रीपेड मीटर खरीदने की तैयारी कर रहा है. उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि केंद्र सरकार की तरफ से जारी रेवम्प योजना के तहत पूरे यूपी में चार कलस्टर में 4 जी स्मार्ट प्रीपेड मीटर के जो टेंडर जारी किए गए हैं उसमें बडा खेल है. पश्चिमांचल में लगभग 70 लाख 4 जी स्मार्ट प्रीपेड मीटर, मध्यांचल में लगभग 74 लाख, दक्षिणांचल में लगभग 59 लाख और पूर्वांचल में लगभग 72 लाख 4 जी स्मार्ट प्रीपेड मीटर निकाले गए हैं.

बड़ी संख्या में सिंगल फेज के स्मार्ट प्रीपेड मीटर है और बहुत कम संख्या में थ्री फेज मार्केट मीटर हैं. सभी बिजली कंपनियों की अलग-अलग टेंडर की कीमत लगभग 6000 करोड़ के ऊपर होगी. यानी देश की मीटर निर्माता कंपनियां बहुत कम ही इसमें भाग ले पाएंगी. लेकिन, देश के बडे निजी घराने बिचौलिया के रूप में टेंडर हथियाकर मालामाल हो जाएंगे. जो वर्तमान में मीटर निर्माता नहीं हैं, लेकिन देश के बडे निजी घराने हैं.

उन्होंने कहा कि प्रदेश में अगर सिंगल फेज में लगे इलेक्ट्रॉनिक मीटर की बात करें, तो लगभग 2 करोड़ 75 लाख विद्युत उपभोक्ताओं के घरों में जो इलेक्ट्रॉनिक मीटर चल रहे हैं. उनकी प्रति मीटर कीमत यदि 900 रुपए आंकी जाए तो लगभग 2475 करोड़ के चलते हुए मीटर भविष्य में कूडे में डाल देंगे. इसका खर्च उपभोक्ताओं ने पूर्व में ही वहन किया है.
अब जो स्मार्ट प्रीपेड मीटर का टेंडर लगभग 25 हजार करोड़ का निकाला गया है. इसका भुगतान भी प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं को ही करना होगा, क्योंकि बिजली कंपनियां इसे उपभोक्ताओं के बिजली दर में भविष्य में पास करने के लिए बहुत जल्द आयोग के सामने याचिका लगाने जा रही हैं.
उसके माध्यम से अपने रोल आउट प्लान को अनुमोदित कराने की मांग उठा रही है. केंद्र की तरफ से जारी इस स्कीम में एक मीटर पर कुल खर्च लगभग 9000 रुपए आएगा जिसमें केंद्र से केवल प्रति मीटर रुपया 900 का आरईसी से लोन दिया जाएगा. शेष लगभग प्रति मीटर 8000 के खर्च की भरपाई बिजली कंपनियों को करनी होगी. उपभोक्ता परिषद ने प्रधानमंत्री से मांग की है कि पूरे देश के लिए जिस प्रकार से स्मार्ट प्रीपेड मीटर खरीदने के लिए स्टैंडर्ड बिडिग डॉक्यूमेंट तैयार कराया गया है. वह कुछ निजी घरानों को फायदा देने के लिए बनाया गया है, इसलिए इसकी सीबीआई जांच कराई जाए. सच्चाई का खुलासा हो जाएगा.

उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा यह कैसी विडंबना है कि जब विदेशी कोयला खरीद की बात आई तो प्रदेश की बिजली कंपनियों ने उत्तर प्रदेश सरकार को एक पत्र लिखकर कहा कि इस पर अतिरिक्त खर्च होने वाला 11 हजार करोड़ कहां से आएगा? बिजली कंपनियों के पास पैसा नहीं है. बिजली कंपनियों के पास 25 हजार करोड़ कहां से आएगा ? कौन सा खजाना हाथ लग गया? उपभोक्ता परिषद हर स्तर पर इसका विरोध करेगा. विद्युत नियामक आयोग के सामने भी अपनी बात रखते हुए पूर्व की तरह इसे खारिज करने की मांग करेगा.

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