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लखनऊः कहीं भिखारी न बन जाएं कोरोना वायरस के वाहक

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Published : Jun 21, 2020, 8:02 AM IST

देश और प्रदेश में लॉकडाउन लगने के बाद से मजदूरों-कामगारों की हालत क्या हुई ये सभी ने देखा. इस लॉकडाउन में एक ऐसा सच भी सामने आया जो हमारे प्रशासनिक व्यवस्था के सामने एक सवाल खड़े करता है. लखनऊ में सड़कों, चौराहों, ब्रिज के नीचे इस कोरोना काल में बड़ी संख्या में भिखारी मिल जाएंगे. सवाल ये है कि इनके लिए शासन-प्रशासन ने क्या किया है.

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राजधानी में दर-दर भटक रहे भिखारी

लखनऊः राजधानी में प्रवेश करते ही चारबाग रेलवे स्टेशन से ही सड़कों पर कई लोग भीख मांगते दिखेंगें. इन भीख मांगने वालों को लखनऊ के प्रमुख ओवरब्रिज, मंदिर व चौराहों पर अधिकांश देखा जाता है. ये लोग कई बार लोगों राहगीरों की परेशानी का कारण भी बनते हैं. जहां एक तरफ पूरा विश्व कोरोना महामारी के कहर से जूझ रहा है, वहीं दूसरी तरफ राजधानी लखनऊ में सड़कों पर बैठे, लेटे व घूमते हुए भिखारी देखे जा सकते हैं. जिससे लोगों में संक्रमण फैलने का खतरा और बढ़ जाता है.

राजधानी में दर-दर भटक रहे भिखारी

जिम्मेदार कर रहे अनदेखी

यूपी की राजधानी लखनऊ में हजारों की संख्या में भिक्षुक दर-दर भटक रहे हैं. जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही के चलते इनका कोई उपाय नहीं किया गया है. नियम व कानून होने के बाद भी इनके पुनर्वास के लिए कोई काम नहीं हो रहा रहा है. कोरोना महामारी के चलते देश भर के लोगों को घर में रहने की सलाह दी जा रही है. वहीं भिखारी बिना किसी सावधानी के शहर में इधर-उधर घूमते हैं. ऐसे में कोरोना संक्रमण फैलने की संभावनाएं बनी रहती हैं.

भिखारियों की दशा सुधारने के लिए ये है नियम
भिखारियों की दशा सुधारने के लिए भिक्षुक प्रतिषेध अधिनियम 1973 के तहत कई प्रावधान हैं. अधिनियम 1973 के तहत प्रावधान है कि भिक्षावृत्ति करने वालों के खिलाफ कार्यवाही की जाए व उनके पुनर्वास के लिए प्रयास किए जाएं. इसके तहत शहर में भिखारियों के पुनर्वास के लिए समाज कल्याण विभाग को जिम्मेदारी दी गई है.

शहर में भिक्षावृत्ति को रोकने के लिए नगर निगम कार्यवाई कर सकता है. पुलिस की मदद से भिखारियों को कोर्ट में पेश किया जा सकता है. इसके अलावा जुर्माना लगाने का भी प्रावधान है. लेकिन पिछले 10 वर्षों में लखनऊ में इस नियम के तहत कोई कार्यवाही नहीं की गई. इस अधिनियम के तहत लखनऊ में बनाए गए भिक्षुक कर्मशाला में एक भी भिखारी नहीं है. वहीं भिक्षुक कर्मशाला की इमारत जर्जर हो चुकी है.

नगर आयुक्त इंद्रमणि त्रिपाठी ने बताया कि भिक्षावृत्ति रोकने के लिए नगर निगम ने एक सर्वे कराया था, जिसमें 583 भिक्षुक को चिन्हिंत किया गया था. जिनके लिए शहर में दो शेल्टर हाउस व फीडिंग हाउस का निर्माण किया गया है. जिसे एक एनजीओ संचालित करती है, जहां पर कुछ भिखारियों को रखा गया है और उनके पुनरुत्थान के लिए काम किया जा रहा है.

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