ETV Bharat / state

एक नुख्ते से खुदा से जुदा हैं दोनों, इस जगह पर एक साथ मिलते हैं अली और बली !

author img

By

Published : Nov 10, 2019, 10:34 PM IST

प्रदेश की राजधानी में गंगा-जमुनी तहजीब की एक अनूठी मिसाल देखने को मिलती है. जहां चौक बाग महानारायण में स्थित गोमती अखाड़े में एक ही दीवार पर बजरंगबली की मूर्ति और पैगंबर अली का ताखा है. जिस पर दोनों ही धर्मों के लोग समान रूप से आस्था रखते हैं.

एक ही दीवार पर बजरंगबली की मूर्ति और पैगंबर अली का है ताखा.

लखनऊ: अयोध्या भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ चुका है. कोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले से सभी धर्मों के लोग संतुष्ट नजर आ रहे हैं. वहीं फैसले के बाद लोग गंगा-जमुनी तहजीब के बारे में भी अब बात करने लगे हैं. ऐसी ही कुछ गंगा-जमुनी तहजीब से जुड़ी एक अनूठी मिसाल राजधानी लखनऊ में देखने को मिलती है. यहां के गोमती अखाड़े में बजरंगबली की मूर्ति और पैगंबर अली का ताखा एक ही दीवार पर मौजूद है. जिस पर दोनों ही समुदाय के लोग आकर सिर झुकाते हैं. सेवादार का कहना है कि एक नुख्ते का फर्क है जो खुदा को जुदा करता है.

एक ही दीवार पर बजरंगबली की मूर्ति और पैगंबर अली का है ताखा.

एक ही दीवार पर बजरंगबली की मूर्ति और पैगंबर अली का है ताखा

राजधानी के चौक बाग महानारायण में स्थित गोमती अखाड़े में एक ही दीवार पर बजरंगबली की मूर्ति और पैगंबर अली का ताखा है. ये दो धर्मों के प्रतीक बरसों से यहां विराजमान हैं. आसपास के लोग यहां अली और बली पर समान आस्था रखते हैं. कुछ वर्षों पहले तक गोमती अखाड़े में दंगल होता था और तमाम लोग यहां कुश्ती के गुर सीखते थे, लेकिन अब यह दंगल बंद हो चुका है. हैरानी वाली बात ये है कि बरसों पुरानी मिसाल पर आज तक किसी का ध्यान नहीं गया.

अखाड़े की बदहाली पर नहीं गया किसी का ध्यान

गोमती अखाड़े के सेवक कमला शंकर अवस्थी कहते हैं कि प्राचीन काल से ही यहां अली और बली एक साथ मौजूद हैं. हमारा परिवार हमेशा से इनकी सेवा करता आ रहा है. मुझे लगता है कि यह किसी धर्म नहीं, बल्कि एक शक्ति के प्रतीक हैं जो हर किसी की मदद करते हैं. लेकिन कमला शंकर की शिकायत है कि यहां कई बड़ी हस्तियां आ चुकी हैं जो अखाड़े की मरम्मत के बड़े-बड़े वादे किए, लेकिन आज तक इसकी बदहाल स्थिति पर किसी ने मुड़कर नहीं देखा.

राष्ट्रीय स्तर पर अपने हुनर का प्रदर्शन कर चुके हैं कई लोग
कमला शंकर अवस्थी कहते हैं कि यहां से कुश्ती के गुर सीखकर कई लोग राष्ट्रीय स्तर पर अपने हुनर का प्रदर्शन कर चुके हैं. हालांकि अभी भी कुछ त्योहारों पर यहां दंगल का आयोजन किया जाता है, जिसमें बच्चे बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं, लेकिन नियमित रूप से इस अखाड़े पर अब कोई नहीं आता.


बजरंगबली की मूर्ति के साथ बने अली के ताखे पर स्थानीय युवक मोहम्मद अजहरुद्दीन कहते हैं कि वह दुआ मांगने के लिए आते हैं. क्योंकि एकता के प्रतीक पर सभी स्थानीय लोग गर्व करते हैं. लेकिन दिन-ब-दिन इसकी हालत और बदतर होती जा रही है.

एक नुख्ते का फर्क है जो खुदा को जुदा करता है. वरना हम हमेशा से अली और बली को एक साथ पूजते हैं. यहां हम हर बृहस्पतिवार को सहरा और सिरनी अली को चढ़ाते हैं. वहीं हर मंगलवार- शनिवार को बजरंगबली की भी पूजा करते हैं. एकता के प्रतीक को न केवल संजोने, बल्कि प्रोत्साहित करने की भी जरूरत है.
-कमला शंकर अवस्थी, सेवक, गोमती अखाड़ा

Intro:लखनऊ। अयोध्या में राम मंदिर मामले पर जिस तरह से पूरे देश में फैसला आने के बाद हर धर्म के लोग संतुष्ट नजर आ रहे हैं वहीं गंगा जमुनी तहजीब के बारे में भी अब लोग बात करने लगे हैं गंगा जमुनी तहजीब से जुड़ी एक अनूठी मिसाल राजधानी के चौक स्थित गोमती अखाड़े में भी देखी जा सकती है। खास बात यह है कि बरसों पुरानी मिसाल पर आज तक कभी किसी का ध्यान नहीं गया।


Body:वीओ1

चौक के बाग महानारायण में स्थित गोमती अखाड़े में एक ही जगह पर बजरंगबली की मूर्ति और पैगंबर अली का ताखा मौजूद है। एक ही दीवार पर बने यह दो धर्मों के प्रतीक बरसों से यहां विराजमान है। आसपास के लोग यहां आकर दोनों की एक साथ पूजा करते हैं, इसकी शक्ति को मानते हैं। कुछ वर्षों पहले तक गोमती अखाड़े में दंगल होते थे और बच्चे यहां आकर कुश्ती भी सीखते थे पर अब यहां पर दंगल बंद हो चुका है।

इस बारे में गोमती अखाड़े के सेवक कमला शंकर अवस्थी कहते हैं कि प्राचीन काल से ही यहां अली और बली एक साथ मौजूद है। हमारा परिवार हमेशा से इनकी सेवा करते आ रहा है। मुझे लगता है कि यह किसी धर्म नहीं बल्कि एक शक्ति के प्रतीक हैं जो हर किसी की मदद करते हैं। कमला शंकर कहते हैं कई बड़ी हस्तियां और उन्होंने कई वादे किए कि अखाड़े की मरम्मत की जाएगी और बेहतरीन रखरखाव दिया जाएगा, लेकिन आज तक इस पर वापस कोई नहीं आया।

बजरंगबली की मूर्ति के साथ बने अली के ताखे पर स्थानीय युवक मोहम्मद अजहरुद्दीन कहते हैं कि वह दुआ मांगने के लिए आते हैं और एकता के प्रतीक पर सभी स्थानीय लोग गर्व करते हैं लेकिन दिन-ब-दिन इसकी हालत और बदतर होती जा रही है।

गोमती अखाड़े के ही सेवक कमला शंकर अवस्थी कहते हैं कि यहां से कई ऐसे लोग अपने मकाम तक पहुंच चुके हैं जो शुरुआती दौर में कुछ भी नहीं थे। इस अखाड़े से सीख कर कई लोग राष्ट्रीय स्तर तक पहुंच चुके हैं और अपना नाम कमा रहे हैं। लेकिन अब इस अखाड़े की हालत पहले जैसी नहीं रह गई है। हालांकि अभी भी कुछ त्योहारों पर यहां दंगल का आयोजन किया जाता है जिसमें बच्चे बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं लेकिन नियमित रूप से इस अखाड़े पर अब कोई नहीं आता।


Conclusion:कमला शंकर अवस्थी कहते हैं कि एक नुख्ते का फर्क है जो खुदा को जुदा करता है वरना हम हमेशा से अली और बली को एक साथ पूजते हैं। यहाँ हम हर बृहस्पतिवार को सहरा और सिरनी अली को चढ़ाते हैं वहीं हर मंगलवार- शनिवार को बजरंगबली की भी पूजा करते हैं। एकता के प्रतीक को न केवल संजोने बल्कि प्रोत्साहित करने की भी जरूरत है।

बाइट- कमला शंकर अवस्थी, सेवक, गोमती अखाड़ा
बाइट- मोहम्मद अजहरुद्दीन
बाइट- मनीष अवस्थी, सेवक, गोमती अखाड़ा

रामांशी मिश्रा
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.