आज़म खान शिवपाल बनाएंगे नया मोर्चा ? अखिलेश को छोड़ भाजपा को देंगे चुनौती?

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Published : May 20, 2022, 5:47 PM IST

Updated : May 20, 2022, 5:58 PM IST

आजम खान जेल से रिहा

आजम खान की रिहाई के समय शिवपाल सिंह यादव साथ रहे. जबकि अखिलेश यादव सहित अन्य कोई सपा नेता इस मौके पर नजर नहीं आया. ऐसे में सियासी गलियारों में चर्चा है कि आजम और शिवपाल मिलकर नया सियासी समीकरण बना सकते हैं.

लखनऊ: समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान की शुक्रवार को सीतापुर जेल से रिहाई हो गई. रिहाई के बाद उत्तर प्रदेश में नए सियासी समीकरण पर चर्चा शुरू हो गई है. इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से आजम खान की नाराजगी बताई जा रही है. तमाम ऐसी वजहें हैं जिसको लेकर आजम खान अखिलेश से नाराज बताए जा रहे हैं. यहां तक की सुबह जब आजम खान की रिहाई हो रही थी तो प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ही बड़े नेताओं में इकलौते नेता थे, जो वहां पहुंचे थे. अखिलेश यादव या फिर समाजवादी पार्टी का कोई भी बड़ा नेता आजम की रिहाई के मौके पर सीतापुर जेल नहीं गया. जिससे तमाम तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं. इन संकेतों से चर्चा है कि अब आजम खान और शिवपाल सिंह यादव सियासी समीकरण पर आगे बढ़ते हुए नजर आएंगे.

कुछ दिनों पहले जब समाजवादी पार्टी के विधायक रविदास मेहरोत्रा प्रतिनिधि मंडल के साथ सीतापुर जेल में आजम खान से मिलने गए थे. तब अखिलेश यादव का बयान सामने आया था कि उन्होंने किसी भी प्रतिनिधि मंडल को आजम खान से मिलने के लिए नहीं भेजा. जबकि शिवपाल सिंह यादव सीतापुर जेल गए थे और आजम खान से मेल मुलाकात की थी. इस दौरान सियासी समीकरणों को कैसे आगे बढ़ाना है, 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश की सियासत में आजम खान की क्या भूमिका होगी, उसे लेकर चर्चा हुई थी. प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव लगातार कह रहे हैं आजम खान उनके भाई हैं और वह हमेशा आजम खान के साथ रहेंगे.

नया मोर्चा बना सकते हैं शिवपाल-आजमः सियासी गलियारों में चर्चा है कि उत्तर प्रदेश में आने वाले कुछ दिनों में आजम खान और शिवपाल सिंह यादव एक नया मोर्चा बनाकर भारतीय जनता पार्टी सरकार के खिलाफ मोर्चा लेते हुए नजर आ सकते हैं. शिवपाल सिंह यादव, अखिलेश यादव और आजम खान की भी नाराजगी जगजाहिर है. ऐसे में यह दोनों बड़े नेता मिलकर एक नए मोर्चा को जन्म दे सकते हैं. सूत्रों के अगर आजम खान सपा से अलग होते हैं और शिवपाल सिंह यादव के साथ मिलकर नया सियासी मोर्चा बनाते हैं तो मुसलमान और यादव बिरादरी समाजवादी पार्टी से दूर होगी. इसका फायदा भारतीय जनता पार्टी को होगा.

भाजपा नेताओं के संपर्क में शिवपालः सूत्रों का दावा है कि शिवपाल सिंह यादव भारतीय जनता पार्टी के कई नेताओं के संपर्क में हैं और वह सपा के वोट बैंक में सेंध लगाते रहेंगे. इस पूरे मामले में आजम खान की शिवपाल सिंह यादव का साथ दे सकते हैं. शिवपाल सिंह मुलायम सिंह यादव और सपा के वरिष्ठ नेताओं के कहने पर ही 2022 के विधानसभा चुनाव में गठबंधन की डोर में तो अखिलेश यादव के साथ बंध गए थे. लेकिन अखिलेश यादव ने उनका सम्मान नहीं किया. प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के किसी भी नेता को चुनाव मैदान में नहीं उतारा गया. सिर्फ समाजवादी पार्टी के सिंबल पर शिवपाल सिंह यादव चुनाव मैदान में उतरे. इसके अलावा शिवपाल के बेटे आदित्य यादव को भी टिकट नहीं दिया गया.

चाचा-भतीजे में मनमुटाव जारीः इस बात से शिवपाल सिंह यादव काफी नाराज थे और नाराजगी का ही असर था कि वह समाजवादी पार्टी विधायक दल की बैठक में नहीं पहुंचे. चौंकाने वाली बात तो यह भी है कि समाजवादी पार्टी विधायक दल की बैठक में शिवपाल सिंह यादव को बुलाया ही नहीं गया था. इसके पीछे सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल का तर्क था कि वह गठबंधन के दल के रूप में प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के हैं. इसलिए उन्हें नहीं बुलाया, लेकिन उस समय वह इसका जवाब नहीं दे पाए थे कि शिवपाल सिंह यादव चुनाव समाजवादी पार्टी के सिंबल पर जीते हैं. इस घटनाक्रम के बाद शिवपाल सिंह यादव और नाराज हो गए थे और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ भी उनकी मेल मुलाकात हुई थी. इसके बाद आजम खान से भी जेल में जाकर मुलाकात की थी. इन तमाम घटनाक्रम को देखते हुए अखिलेश यादव का बयान आया था कि अगर शिवपाल सिंह यादव को भाजपा में शामिल कराना चाहती है तो फिर देर क्यों कर रही है. चाचा शिवपाल क्यों नहीं भारतीय जनता पार्टी में चले जाते हैं. देर किस बात की है. अखिलेश के बयानों के बाद शिवपाल सिंह यादव और नाराज हुए थे और उन्होंने कहा था कि उन्हें किसी की सलाह की जरूरत नहीं है. वह जल्द ही बड़ा फैसला लेंगे.

अखिलेश से आजम खान नाराजः अब शुक्रवार को आजम खान की जेल से रिहाई हो गई है तो राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा शुरू हो गई है कि वह एक नई सियासी राह पर आगे बढ़ सकते हैं. आजम खान के करीबी समर्थकों ने पिछले महीने रामपुर में यह संकेत दिए थे कि आजम खान अखिलेश यादव से काफी नाराज हैं और वह समाजवादी पार्टी छोड़ सकते हैं. नाराजगी के पीछे की वजह है कि विधानसभा चुनाव के दौरान आजम खान के कहने पर टिकट वितरण पर ध्यान नहीं दिया गया. आजम के कई करीबी नेताओं को टिकट नहीं दिए गए. इसके अलावा आजम खान पिछले 27 महीने से जेल में थे और जिस तरीके से समाजवादी पार्टी को भारतीय जनता पार्टी की सरकार पर हमलावर होना चाहिए था और रिहाई को लेकर दबाव बनाना चाहिए था, वह सब नहीं हुआ. इससे अखिलेश यादव से आजम खान काफी नाराज हैं और यह नाराजगी अब पूरी तरह से जगजाहिर हो चुकी है. अब देखना दिलचस्प होगा कि 23 मई से शुरू हो रहे राज्य विधान मंडल के सत्र से पहले सपा विधायक दल की बैठक में आजम खान पहुंचते हैं या नहीं. इस पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं. अगर आजम इस बैठक में नहीं जाते हैं तो उनकी नाराजगी और जगजाहिर हो जाएगी.

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सोची-समझी रणनीति के तहत बनेगा नया मोर्चाः राजनीतिक विश्लेषक डॉ. मनीष सिंघवी कहते हैं कि आजम खान की रिहाई एक सोची-समझी रणनीति के तहत हुई है. उत्तर प्रदेश में एक नए मोर्चे की सुगबुगाहट भी पिछले कुछ दिनों से देखने को मिली है. आजम खान से सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की नाराजगी जगजाहिर है. शिवपाल सिंह यादव भी अखिलेश यादव से नाराज हैं. विधानसभा चुनाव के दौरान अखिलेश यादव ने उनका सम्मान नहीं किया. ऐसी स्थिति में अब जब आजम खान जेल से बाहर आ गए हैं. शिवपाल सिंह यादव उनका स्वागत करने सीतापुर जेल गए थे. अखिलेश यादव सीतापुर जेल उनकी रिहाई के अवसर पर नहीं गए और न ही सपा का अन्य कोई बड़ा नेता. ऐसे में अब उत्तर प्रदेश में नया मोर्चा बनने की राह पर है. यह अंदेशा पहले से था कि उत्तर प्रदेश में जो नया मोर्चा एक सोची-समझी रणनीति के तहत बनेगा. इसमें भारतीय जनता पार्टी की प्लानिंग का एक बड़ा हिस्सा है. डॉ. मनीष सिंघवी का कहना है कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी के मुस्लिम यादव वोट बैंक में सेंधमारी को लेकर यह मोर्चा बीजेपी की बड़ी मदद कर सकता है. ऐसे में आजम की रिहाई के बाद आने वाले समय में तमाम नए तरह के सियासी समीकरण देखने को मिलेंगे. लोकसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी में अब तमाम तरह से प्रहार भी देखने को मिलेंगे और इसके साथ ही नए सियासी समीकरण भी.

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Last Updated :May 20, 2022, 5:58 PM IST
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