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बच्चों के हाव-भाव और व्यवहार से लगाएं ऑटिज्म का पता : विशेषज्ञ से जानें लक्षण और उपाय

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Published : Jun 19, 2023, 6:27 PM IST

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बच्चों में ऑटिज्म के लक्षण आमतौर पर पहले तीन वर्षों के दौरान देखे जाते हैं. यह विकार आनुवंशिक और पर्यावरणीय कारकों के संयोजन से होता है. वर्ष 2015 तक दुनिया में ऑटिज्म से लगभग 24.8 मिलियन लोग प्रभावित थे.

बच्चों के हाव-भाव और व्यवहार से लगाएं ऑटिज्म का पता. देखें खबर

लखनऊ : ऑटिज्म एक न्यूरोलॉजिकल विकासात्मक विकलांगता है जो सामान्य मस्तिष्क के विकास को प्रभावित करती है, संचार, सामाजिक संपर्क, अनुभूति और व्यवहार को बाधित करती है. ऑटिज़्म को एक स्पेक्ट्रम विकार के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि इसके लक्षण और विशेषताएं कई तरीकों के संयोजनों में प्रकट होती हैं जो बच्चों को विभिन्न तरीकों से प्रभावित करती हैं. कुछ बच्चों को अपने कार्यों को पूरा करने के लिए सहायता की आवश्यकता होती है, लेकिन कुछ अपने काम को नहीं कर सकते हैं. साधारण भाषा में इसे ऑटिज्म कहते हैं. हर साल वर्ल्ड ऑटिज्म अवेयरनेस डे की थीम बदलती है. इस वर्ष विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस 2023 की थीम 'ट्रांसफॉर्मिंग द नैरेटिव : कंट्रीब्यूशन्स एट होम, एट वर्क, इन द आर्ट्स एंड पॉलिसी मेकिंग रखा गया हैं.

बच्चों में ऑटिज्म का खतरा.
बच्चों में ऑटिज्म का खतरा.

ऑटिज्म का कोई सटीक कारण नहीं


सिविल अस्पताल के वरिष्ठ पीडियाट्रिशियन डॉ. संजय जैन ने बताया कि यह एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जिसके तीन कॉम्पोनेंट होते हैं. इसमें कम्युनिकेशन होने में दिक्कत होती है. सोशल इंटरेक्शन में दिक्कत होती है और रिपिटेटिव व्यवहार होता है. ऑटिज्म लगभग 10 हजार में से एक बच्चे को होता है. फीमेल बच्चों की तुलना में मेल बच्चों को पांच गुना ज्यादा होता है. ऑटिज्म बीमारी का आज तक सटीक कारण नहीं पता चल पाया है, लेकिन 50 प्रतिशत जेनेटिक डिस्पोजिशन भी होता है. ऐसे बच्चे जो पैदा बहुत कम वजन के साथ होते हैं या प्रीमेच्योर बेबी होते हैं या परिवार में पहले से ही किसी को ऑटिज्म की समस्या है या ट्यूंस में समस्या है या फिर इसके अलावा गर्भधारण के समय मां को अगर कुछ दिक्कत है तो बच्चे को होने की संभावना रहती है. अभिभावक अगर समय पर समझ सके कि बच्चों के व्यवहार में कुछ बदलाव है या फिर बच्चा कोई हलचल नहीं कर रहा है या फिर उसके रहन सहन हाव-भाव व्यवहार में बदलाव है जितनी जल्दी अभिभावक बच्चे की हरकतों को समझ सकेंगे उतनी जल्दी बच्चे का इलाज सुनिश्चित हो सकेगा.

बच्चों में ऑटिज्म का खतरा.
बच्चों में ऑटिज्म का खतरा.


लक्षण से पहचानें बीमारी


डॉ. संजय जैन ने बताया कि अगर बच्चा एक साल के बाद सोशल स्माइल नहीं करता है या मां को देखकर मुस्कुरा नहीं रहा है, पहचान नहीं पा रहा है. एक साल तक बच्चे में वेवलिन साउंड नहीं आई है और 16 महीने तक अगर बच्चा एक शब्द भी नहीं बोल पा रहा है या 2 साल की उम्र तक बच्चा दो शब्द मिलाकर नहीं बोल पा रहा है या बच्चे में पहले से कोई स्किल थी और अब वह स्किल खत्म हो गई है. उन्होंने कहा कि इस बीमारी में बच्चा शांत रहता है, ज्यादा किसी से बातचीत नहीं करता है, अकेले रहता है, बहुत अधिक उसकी दोस्ती नहीं होती है, शोर नहीं करता है, हंसता-खेलता नहीं है या फिर ऐसा कोई काम जो पहले वह करता था और अब वह नहीं कर रहा है. ज्यादा समय बंद कमरे में रहना या अकेले-अकेले रहना इसके लक्षण है. उन्होंने कहा कि इन्हीं सब लक्षणों के सहायता से बच्चे की बीमारी और मानसिक स्थिति के बारे में पता लगाया जा सकता है.


थेरेपी और घर के माहौल से नार्मल रहेगा बच्चा


डॉ. संजय जैन के अनुसार ऑटिज्म के लिए कोई जांच नहीं है. माता-पिता को बच्चे के हाव-भाव और व्यवहार से ही समझना होगा कि बच्चे को कोई बीमारी जरूर है. आमतौर पर लोग समझ नहीं पाते हैं कि बच्चे को कोई बीमारी है या वह किसी ऑटिज्म स्पेक्ट्रम बीमारी से ग्रसित है. इस बीमारी में बच्चा आम बच्चों की तरह सामान्य नहीं होता है. बच्चे का विशेष ध्यान रखना होता है. बच्चों के बदलते हाव-भाव और व्यवहार से ही इस बीमारी का पता लगाया जा सकता है. इस स्थिति में माता-पिता को अपने बच्चों पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है. अगर बच्चा ऑटिज्म से ग्रसित है तो इसके लिए मानसिक थेरेपी से ही बच्चे को ठीक किया जा सकता है और घर के माहौल में बच्चे का अच्छे से ध्यान रखा जा सकता है. बच्चे को हर चीज समझाने बताने की आवश्यकता रहती है.



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