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गजवा ए हिंद 2047 मिशन के लिए यूपी में इकट्ठा किया जा रहा था फंड, 6 PFI सदस्यों से ATS कर रही पूछताछ

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Published : Sep 24, 2022, 10:56 AM IST

बीते दिनों PFI के ठिकानों में NIA की छापेमारी व यूपी ATS की कार्रवाई में यूपी में रची जा रही खौफनाक साजिश का खुलासा हुआ है. चलिए जानते हैं इसके बारे में.

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गजवा ए हिंद 2047 मिशन के लिए यूपी में इकट्ठा किया जा रहा था फंड, 6 PFI सदस्यों से ATS कर रही पूछताछ

लखनऊ: यूपी में योगी सरकार बनने के बाद से ही राज्य के मुसलमानों में जहर व कट्टरता घोल कर बगावत करने की एक बड़ी साजिश रची जा रही थी. बीते दिनों PFI के ठिकानों में NIA की छापेमारी व यूपी ATS की कार्रवाई में यूपी में रची जा रही खौफनाक साजिश का पता चला है. यूपी एटीएस (UP ATS) ने 6 पीएफआई (PFI) सदस्यों से पूछताछ की है. सूत्रों के मुताबिक, उन्होने बिहार के फुलवारी शरीफ में रची जा रही मिशन गजवा हिंद-2047 में शामिल होना बताया है. उन्होने यह भी कबूला है कि इस मिशन के लिये यूपी में मौजूद उनके साथी फंड इकट्ठा कर रहे थे. यही नहीं मुस्लिम युवाओं के बीच कट्टरता की पाठशाला चला कर उन्हे भी मिशन से जोड़ा जा रहा था.

NIA ने 21 सितंबर की रात कार्रवाई शुरू करते हुये यूपी के 8 लोगों समेत कुल 11 राज्यों से 106 लोगों की गिरफ्तारी की थी. इसमें 22 लोगों को केरल, महाराष्ट्र और कर्नाटक से 20-20, तमिलनाडु से 10, असम से 9, उत्तर प्रदेश से 8, आंध्र प्रदेश से 5, मध्य प्रदेश से 4, पुडुचेरी और दिल्ली से 3-3 और राजस्थान से 2 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. एनआईए ने PFI के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओएमएस सलाम और दिल्ली अध्यक्ष परवेज अहमद को भी गिरफ्तार कर लिया है.

NIA की कार्रवाई के अलावा एटीएस बीते 3 महीनों से यूपी में पीएफआई की गतिविधियों पर नजर जमाए हुई थी. जुलाई 2022 को बिहार में पटना के फुलवारी शरीफ में हुई NIA की कार्रवाई में सामने आया था कि पीएफआई सदस्य 2047 तक भारत को मुस्लिम राष्ट्र बनाने का ब्लू प्रिंट तैयार कर रहे थे. यूपी एटीएस चीफ नवीन अरोड़ा के मुताबिक बिहार पुलिस के इनपुट पर गजवा हिंद पर काम करने वाले पीएफआई सदस्यों के मददगार वकील नूरुद्दीन की लखनऊ से गिरफ्तारी के बाद से ही उनकी टीम इस पर काम कर रही थी. उन्हे जांच में यह पता चला था की नरुद्दीन ऐसे लोगों की मदद करता था, जो जेल में बंद हैं.



एटीएस चीफ ने बताया कि उन्होने मेरठ से 4 व वाराणसी से 2 पीएफआई के सदस्यों को हिरासत में लिया है. पूछताछ में इन सभी 6 संदिग्धों ने अपने खतरनाक मंसूबों के बारे में कुछ जानकारी दी है. उन्होने बताया कि इन सभी के कार्यालयों से बरामद हुये दस्तावेजों व उनके मोबाइल में मिले कुछ महत्वपूर्ण साक्ष्य मिले है, जिन्हे उनके बयानों से मिलाया जा रहा है.



अहमद बेग गिरफ्तार
NIA व ATS के अलावा यूपी एसटीएफ ने लखनऊ के मक्का गंज के रहने वाले अहमद बेग को गिरफ्तार किया है. अहमद बेग नदवा कॉलेज में साल 2018 तक पढ़ाता था. यही नही वह नफरत व कट्टरपंथ की पाठशाला भी चला रहा था. जहां मुस्लिम नौजवानों को सीएम योगी आदित्यनाथ व देश से नफरत करने व उनके खिलाफ हथियार उठाने की तकरीर करता था. जांच में सामने आया था कि अहमद बेग खाड़ी देशों से पीएफआई के मिशन गजवा हिंद 2047 के लिये फंड इकट्ठा करता था.


यूपी एटीएस की जांच में सामने आया था कि बीते दिनों कानपुर से गिरफ्तार 19 साल के हबिबुल द्वारा बनाये गये काफिरों (हिन्दुओं) व देश के खिलाफ नफरत फैलाने वाले वीडियो को पीएफआई के सदस्यों को सोशल मीडिया के जरिए भेजा गया था. यह वीडियो मुस्लिम नौजवानों के अन्दर नफरत व कट्टरता पैदा करते थे. बिहार के फुलवारी शरीफ से गिरफ्तार हुये संदिग्धों के मोबाइल व लैपटॉप से NIA को हबिबुल के ही बनाये गये वीडियो मिले थे, जिन्हें पकिस्तान में बैठे उसके आका ने बनाने के लिए हुक्म दिया था.

यूपी में योगी सरकार बनने के बाद से कई बार पीएफआई माहौल खराब करने की कोशिश कर चुकी है,जिससे लोगों में अफरा तफरी मचा कर गजवा हिंद का मिशन पूरा किया जा सके. साल 2019 में सीएए एनआरसी के विरोध में लखनऊ में हिंसक प्रदर्शन किया गया था. इसमें पीएफआई व उसकी यूथ विंग एसडीपीआई की सक्रिया भूमिका निभा रही थी, इसने मुस्लिम युवाओं में उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ के खिलाफ जहर भरते हुये हिंसा की थी.

अक्टूबर 2020 में हाथरस में दलित युवती की हत्या का सहारा लेते हुये पीएफआई जातिगत हिंसा फैलाने के मिशन पर काम करने लगी थी, लेकिन जांच व सुरक्षा एजेंसियों ने उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया था. उसके बाद एक बार फिर नुपुर शर्मा के बयान के बाद पूरे राज्य में जुमे की नमाज के बाद हिंसा फैलाई गई थी. हालांकि तीनों मामलों में सुरक्षा एजेन्सियों ने पीएफआई के मिशन गजवा हिंद को पूरा करने के मंसूबों पर पानी फेर दिया. इसके अलावा हिजाब कांड हो या फिर ज्ञानवापी मस्जिद मामले में कोर्ट का फैसला, पीएफआई ने इन मामलों को भड़काने की कोशिश हुई थी.

PFI पर एक नजर
दक्षिण भारत परिषद नामक मंच का गठन 26 जनवरी 2004 को बेंगलुरु में किया गया था. यहां हुई बैठक में कर्नाटक से फोरम फॉर डिग्निटी, केरल से नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट और तमिलनाडु से मनिथा नीथी पासराय शामिल हुए थे. बाद में इस मंच को विस्तारित करने का निर्णय लिया गया. 22 नवंबर 2006 को केरल के कालीकट में मंच की बैठक हुई. इस बैठक में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया को लॉन्च करने का निर्णय लिया गया. देश के 23 राज्यों में पीएफआई के विस्तार की बात कही जाती है. हालांकि, इस संगठन से जुड़े सदस्यों को लेकर पीएफआई कोई जानकारी नहीं देता है. पीएफआई का मुख्यालय केरल के कोझिकोड में था. अब यह दिल्ली के शाहीनबाग में है. पीएफआई के अध्यक्ष ओएमए सलाम और ईएम अब्दुल रहीमान उपाध्यक्ष हैं,जो अभी NIA की गिरफ्त में हैं. पीएफआई ने लगातार अपना विस्तार किया है. इस संगठन से गोवा का सिटीजन फोरम, राजस्थान का कम्युनिटी सोशल एंड एजुकेशनल सोसाइटी, आंध्र प्रदेश का एसोसिएशन ऑफ सोशल जस्टिस भी जुड़ गया है.

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