सपा से ऐसे दूर चलीं गईं मुलायम कुनबे की छोटी बहू अपर्णा...पढ़िए पूरी खबर

author img

By

Published : Jan 19, 2022, 5:37 PM IST

UP Assembly Election 2022, Uttar Pradesh Assembly Election 2022, UP Election 2022 Prediction, UP Election Results 2022, UP Election 2022 Opinion Poll, UP 2022 Election Campaign highlights, UP Election 2022 live, Akhilesh Yadav vs Yogi Adityanath, up chunav 2022, UP Election 2022, up election news in hindi, up election 2022 district wise, UP Election 2022 Public Opinion, यूपी चुनाव न्यूज, उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव, यूपी विधानसभा चुनाव 2022

अपर्णा यादव का सपा से दूर जाना कोई अप्रत्याशित नहीं है. इसके पीछे कई वजहें हैं. चलिए जानते हैं कि आखिर मुलायम कुनबे की यह छोटी बहू सपा को छोड़कर बीजेपी में क्यों शामिल हो गईं.

हैदराबादः मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू और प्रतीक यादव की पत्नी अपर्णा बिष्ट यादव ने आखिर भाजपा का दामन थाम ही लिया. चलिए जानते हैं कि आखिर मुलायम कुनबे की इस छोटी बहू को आखिर यह कदम क्यों उठाना पड़ा.

ब्रिटेन की मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी से इंटरनेशनल रिलेशन एंड पॉलिटिक्स में मास्टर अपर्णा अब लगता है राजनीति की भी मास्टर बन रहीं हैं. उन्होंने जिस तरह से सपा को तगड़ा झटका दिया है उससे लगता है कि इसकी पूरी कहानी पहले से ही तैयार थी.

भातखंडे संगीत विश्वविद्यालय से ठुमरी की कला में निपुण अपर्णा ने किसी दौर में सपा के लिए खास गीत तैयार किया था. 2011 में मुलायम के बेटे प्रतीक यादव से शादी करने वाली अपर्णा लोकगायन में काफी निपुण मानी जाती है. उन्होंने कैंट से 2017 का विधानसभा चुनाव लड़ा था. अपर्णा यादव लखनऊ कैंट निर्वाचन क्षेत्र से 33796 वोट से भाजपा की रीता बहुगुणा जोशी से हार गई थीं. उनकी हार ने सपा को तगड़ा झटका दिया था.

दूर जाने की प्रमुख वजह

  • 2014 में अपर्णा पीएम नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान की प्रशंसा करके चर्चा में आयी थीं. तभी से यह कयास लगाए जा रहे थे कि आखिर क्या वह बीजेपी में शामिल होने जा रही हैं.
  • साल 2014 के लोकसभा चुनाव में अपर्णा की उम्र 23 साल थी. तब वह चुनाव नहीं लड़ सकी थीं. 25 साल की उम्र में उन्हें मुलायम ने लखनऊ की कैंट सीट से उम्मीदवार घोषित किया था. उस वक्त परिवार का झगड़ा सामने आ गया. एक खेमा अपर्णा और प्रतीक की राजनीतिक महत्वकांक्षा को अंजाम देने में जुटा था. कहा जाता है अखिलेश के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद यह खेमा कमजोर पड़ गया.
  • अपर्णा यादव ने लखनऊ कैंट सीट से 2017 का विधानसभा चुनाव लड़ा था. उनको लखनऊ कैंट निर्वाचन क्षेत्र से 33796 वोट से भाजपा की रीता बहुगुणा जोशी ने हरा दिया था. कहा जाता है इस चुनाव में सपा के दूसरे खेमे ने अपर्णा को चुनाव हरवाने का काम किया था. इससे अपर्णा काफी नाराज थीं.
  • अपर्णा और प्रतीक यादव 2017 की शुरुआत में सीएम योगी आदित्यनाथ के धुर विरोधी रहे. इसके बाद अचानक एक बार अपर्णा यादव की संस्था की ओर से सीएम योगी को गो सेवा का न्यौता दिया गया. सीएम योगी मंत्री स्वाति सिंह समेत कई मंत्रियों के साथ उनके न्यौते पर लखनऊ में गोसेवा करने पहुंच गए. यही नहीं सीएम योगी आधे घंटे तक रुके भी. यह मुलाकात काफी चर्चा का विषय बनी थी. तभी से कयास लगाए जा रहे थे कि वह भाजपा में जा सकती हैं. हालांकि वह इसका खंडन करती रहीं. बीजेपी से उनके राजनीतिक रिश्तो की नींव पड़ना वहीं से बताया जा रहा है. इसके बाद सीएम योगी से सुरक्षा की मांग को लेकर भी वह चर्चा में रहीं.

ये भी पढ़ेंः भाजपा में शामिल हुईं अपर्णा यादव, बोलीं- पीएम मोदी की कार्यशैली से हूं प्रभावित

  • अपर्णा यादव ने राम मंदिर ट्रस्ट को 11 लाख रुपये का दान भी दिया था. इसे लेकर अपर्णा का सपा में विरोध हुआ था. कहा गया था कि वह पार्टी की मर्यादा को लांघ रहीं हैं.
  • सपा की खेमेबंदी को भी अपर्णा की नाराजगी की वजह माना जा रहा है. सपा का एक खेमा अखिलेश के साथ तो एक खेमा मुलायम के साथ है. मुलायम का खेमा अपर्णा को पसंद करता है लेकिन तवज्जो न मिलने से बेबस है. यह वजह भी अपर्णा के बीजेपी में शामिल होने की बताई जा रही है.

अपर्णा का जाना सपा भले ही कम नुकसानदायक बता रही हो लेकिन इससे मुलायम कुनबे की फूट एक बार फिर सामने आ गई. रुठे चाचा शिवपाल को तो अखिलेश ने मना लिय़ा लेकिन अब वह अपर्णा यादव के मामले में क्या करेंगे. अब यह देखना रोचक होगा कि अपर्णा के आने से बीजेपी को कितना फायदा होगा और सपा को कितना नुकसान.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.