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हर दस में से एक व्यक्ति को होती है किडनी की परेशानी, ऐसे करें बचाव

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Published : Apr 21, 2019, 10:26 AM IST

शनिवार को पांचवी एडवांस कोर्स इन रिनल न्यूट्रिशन एंड मेटाबॉलिज्म कार्यशाला का आयोजन राजधानी लखनऊ  में किया गया. संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट की नेफ्रोलॉजी विभाग की प्रोफेसर डॉ. अनीता सक्सेना ने बताया कि अक्सर किडनी के रोग से ग्रसित मरीज के प्रोटीन खाने पर रोक लगा दी जाती है, जो कि गलत है.

किडनी रोग से संबंधित कार्यशाला का किया गया आयोजन

लखनऊ : शनिवार को पांचवी एडवांस कोर्स इन रिनल न्यूट्रिशन एंड मेटाबॉलिज्म कार्यशाला का आयोजन राजधानी के एक निजी होटल में किया गया. इस आयोजन में किडनी रोगों से बचाव और किडनी रोगियों के खान-पान पर विशेष जानकारी दी गई. इस अवसर पर देश ही नही विदेशों के भी रिनल एक्सपर्ट्स और न्यूट्रीशनिस्ट उपस्थित रहे.

किस तरह बचे किडनी रोगों से, देखें वीडियो

डॉ. अनीता सक्सेना ने दी महत्वपूर्ण जानकारी

  • संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट की नेफ्रोलॉजी विभाग की प्रोफेसर डॉ. अनीता सक्सेना ने इस अवसर पर बताया कि अक्सर किडनी के रोग से ग्रसित मरीज को प्रोटीन खाने पर रोक लगा दी जाती है, जो कि गलत है.
  • डॉ. अनीत सक्सेना ने बताया कि किडनी मरीज को प्रोटीन न देना एक भ्रांति है. प्रोटीन की मात्रा शरीर में जीरो कर देने से शरीर के अन्य अंगों समेत किडनी पर भी काफी बुरा असर पड़ता है. अक्सर इस भ्रम में किडनी रोगियों को ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
  • उन्होंने बताया कि सच्चाई यह है कि किडनी रोग में भी मरीज को प्रोटीन जरूर दिया जाना चाहिए. किडनी के मरीज, जो डायलिसिस पर नहीं है, उनकी प्रोटीन की मात्रा 0.6 ग्राम प्रति किलोग्राम होनी चाहिए. डायलिसिस पर आने वाले मरीजों में यह मात्रा दोगुनी होनी चाहिए.

डायबिटीज और ब्लड प्रेशर हैं किडनी रोग के प्रमुख कारण

  • सोसाइटी ऑफ रिनल न्यूट्रिशन एंड मेटाबॉलिज्म के प्रेसिडेंट डॉ एके भल्ला ने बताया कि न्यूट्रिशन का किडनी पर काफी गहरा असर पड़ता है. इसके अलावा किडनी रोगों के सबसे बड़े दो कारण डायबिटीज और ब्लड प्रेशर भी है. इसलिए जरूरी है कि हमारा खान-पान सही हो.
  • डॉ. एके भल्ला आयुर्वेद के अनुसार भी किसी भी बीमारी की शुरुआत पेट से होती है. इसलिए जरूरी है कि हम बेहतर खाना खाएं तभी हम किडनी की समस्याओं से भी दूर रह सकते हैं.
Intro:लखनऊ। पांचवी एडवांस कोर्स इन रिनल न्यूट्रिशन एंड मेटाबॉलिज्म कार्यशाला का आयोजन आज लखनऊ में किया गया। जिसमें किडनी के मरीजों के खानपान और उनकी किडनी की बीमारी से संबंधित बातें बताई गई। इस आयोजन में किडनी रोगों से बचाव और किडनी रोगियों के खान-पान पर विशेष बात की गई इस अवसर पर देशभर समेत विदेशों से भी रीनल एक्सपोर्ट्स और न्यूट्रीशनिस्ट उपस्थित रहे।


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संजय गांधी पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट की नेफ्रोलॉजी विभाग की प्रोफेसर डॉ अनीता सक्सेना ने इस अवसर पर बताया कि अक्सर किडनी के रोग से ग्रसित मरीज को प्रोटीन खाने पर रोक लगा दी जाती है जो कि गलत है। किडनी मरीज को प्रोटीन न देना एक भ्रांति है। प्रोटीन की मात्रा शरीर में जीरो कर देने से शरीर के अन्य अंगों समेत किडनी पर भी काफी बुरा असर पड़ता है। अक्सर इस भ्रम में किडनी रोगियों को ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ता है। सच्चाई यह है कि किडनी रोग में भी मरीज को प्रोटीन जरूर दिया जाना चाहिए। किडनी के मरीज जो डायलिसिस पर नहीं है, उनकी प्रोटीन की मात्रा 0.6 ग्राम प्रति किलोग्राम होनी चाहिए। डायलिसिस पर आने वाले मरीजों में यह मात्रा दोगुनी होनी चाहिए।
सोसाइटी ऑफ रिनल न्यूट्रिशन एंड मेटाबॉलिज्म के प्रेसिडेंट डॉ ए के भल्ला ने बताया कि न्यूट्रिशन का किडनी पर काफी गहरा असर पड़ता है । इसके अलावा किडनी रोगों सबसे बड़े दो कारण डायबिटीज और ब्लड प्रेशर भी है। इसलिए जरूरी है कि हमारा खान-पान सही हो। आयुर्वेद के अनुसार भी किसी भी बीमारी की शुरुआत पेट से होती है इसलिए जरूरी है कि हम बेहतर खाना खाएं तभी हम किडनी की समस्याओं से भी दूर रह सकते हैं।


Conclusion:बाइट- डॉ अनीता सक्सेना, डॉ एके भल्ला

रामांशी मिश्रा
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