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'आप' ने जलशक्ति मिशन में 35 हजार करोड़ के घोटाले का लगाया आरोप, सरकार ने कहा बरती गई पारदर्शिता

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Published : Aug 8, 2021, 5:30 PM IST

Updated : Aug 8, 2021, 9:28 PM IST

संजय सिंह ने कहा कि रश्मि मैटेलिक्स के पाइप की जांच सेंट्रल इकोनॉमिक्स एंटरेंस ब्यूरो ने की थी जिसकी रिपोर्ट में इसे ठीक नहीं बताया गया था. इसके अलावा यूनिट क्वालिटी लेटर जेपी शुक्ला ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि पाइप मानक के अनुरूप नहीं है. परियोजना प्रबंधक महेश कुमार ने भी संबंधित कंपनी के पाइपों के मानक के अनुरूप न होने की रिपोर्ट दी थी.

कहा, 'जल शक्ति मिशन में हुआ 35 हजार करोड़ का घोटाला'
कहा, 'जल शक्ति मिशन में हुआ 35 हजार करोड़ का घोटाला'

लखनऊ : आम आदमी पार्टी के उत्तर प्रदेश प्रभारी राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने रविवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनके करीबी मंत्री महेंद्र सिंह पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए.

कहा कि उत्तर प्रदेश में चल रहे एक लाख बीस हजार करोड़ के जल शक्ति मिशन में 30 से 35 हजार करोड़ का घोटाला किया गया है. इस घोटाले में मुख्यमंत्री और उनका कार्यालय भी शामिल है. हालांकि संजय सिंह के इन आरोपों पर शाम तक सरकार का भी पक्ष आ गया. सरकार ने सफाई दी कि पाइप आदि की खरीद में पूरी पारदर्शिता बरती गई है. सरकार ने आरोपों को नकारा दिया.

जल शक्ति मिशन में हुआ 35 हजार करोड़ का घोटाला

रविवार को आम आदमी पार्टी ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोपों के साथ हमला बोल दिया. आप सांसद संजय सिंह ने कहा कि जिस रश्मि मैटेलिक्स से पाइप की खरीद की गई, उसकी पाइप घटिया होने के कारण ओडिशा मध्य प्रदेश वेस्ट बंगाल पंजाब, झारखंड, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, उड़ीसा, जम्मू कश्मीर तथा भारतीय सेना ने घटिया पाइप होने के कारण रिजेक्ट कर दिया था.

इसके बावजूद प्रमुख सचिव अनुराग श्रीवास्तव ने आदेश जारी कर कहां कि रश्मि मैटेलिक्स केक क्वालिटी एश्योरेंस प्लान अप्रूव्ड हो चुका है. सभी अधिकारी इसी कंपनी से पाइप खरीदें.

संजय सिंह ने कहा कि रश्मि मैटेलिक्स के पाइप की जांच सेंट्रल इकोनॉमिक्स एंटरेंस ब्यूरो ने की थी जिसकी रिपोर्ट में इसे ठीक नहीं बताया गया था. इसके अलावा यूनिट क्वालिटी लेटर जेपी शुक्ला ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि पाइप मानक के अनुरूप नहीं है.

परियोजना प्रबंधक महेश कुमार ने भी संबंधित कंपनी के पाइपों के मानक के अनुरूप न होने की रिपोर्ट दी थी. यूनिट डायरेक्टर अखंड प्रताप सिंह ने इस मामले की अपर जिलाधिकारी झांसी से भी जांच कराई थी जिन्होंने 28 जून को अपनी जांच रिपोर्ट में कहा था कि रिपोर्ट मानक के अनुरूप नहीं है.

अपने कथन के प्रमाण में संजय सिंह ने सभी जांच रिपोर्ट की प्रतियां भी दिखाईं. संजय सिंह ने आरोप लगाया कि भाजपा के प्रयागराज के विधायक अजय कुमार और बस्ती के एक विधायक ने शिकायत की थी कि जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह के नाम पर इंजीनियरों से पैसे वसूले जा रहे हैं. संसदीय कार्य मंत्री ने इसकी जांच के आदेश दिए थे. वसूली मुख्य अभियंता आलोक सिन्हा द्वारा करवाई जा रही थी.

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नियमित मॉनिटरिंग से ज्यादा थर्ड पार्टी ऑडिट पर खर्च किए गए पैसे

संजय सिंह ने आरोप लगाया कि थर्ड पार्टी ऑडिट में सरकार ने पंद्रह सौ करोड़ खर्च किए जबकि 0.4%ही खर्च करने का प्रावधान है. चेन्नई में थर्ड पार्टी मानिटरिंग पर 0.15% खर्च किए गए जबकि उत्तर प्रदेश में 1.33% खर्च किया गया. यह रकम प्रत्यय सुपर विजन में खर्च किए जाने वाले रकम से भी ज्यादा है.

यूपी में अलीबाबा चालीस चोर की सरकार

संजय सिंह ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश में अली बाबा और 40 चोर की सरकार चल रही है. इमानदारी का तमगा लिए सरकार हर योजना में घोटाला कर रही है. कहा कि हमने वेंटीलेटर खरीद में घोटाले का पर्दाफाश किया.

अयोध्या में प्रभु श्रीराम के मंदिर निर्माण के लिए वसूले गए चंदे में घोटाला किया गया और अब यह घोटाला अब तक जितने भी घोटाले हुए हैं, चाहे वह 2जी हो, एनआरएचएम, कोयला या कोई और यह सबपर भारी है.

सीबीआई से हो जांच अन्यथा आंदोलन

संजय सिंह ने मांग की कि जल शक्ति मिशन में हुए घोटाले की जांच सीबीआई अथवा हाईकोर्ट के जज की निगरानी में एसआईटी से कराई जाए अन्यथा इसके खिलाफ वह पूरे प्रदेश में धरना-प्रदर्शन शुरू कर देंगे.

प्रेस वार्ता में मौजूद पार्टी के अधिवक्ता प्रकोष्ठ के अध्यक्ष ने साफ किया कि वह इस मामले की सीबीआई जांच के लिए वैधानिक कार्रवाई करने जा रहे हैं. अब तक जितने भी घोटाले हुए हैं, उन सब में वैधानिक कार्रवाई के लिए प्रक्रिया शुरू की गई है. अदालत से नोटिस संबंधित को जारी किया गया है. इस दौरान पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सभाजीत सिंह भी मौजूद थे.

सरकार ने आरोपों को नकारा, कहा फर्मों के चयन में बरती गई पूरी पारदर्शिता

उधर, 35 हजार करोड़ के घोटाले के आरोप पर देर शाम सरकार ने सफाई दी. कहा कि पाइप आदि की खरीद में पूरी पारदर्शिता बरती गई है. विभाग द्वारा जारी बयान में कहा गया कि जल जीवन मिशन के कार्य इंजीनियरिंग प्रोक्योरमेंट एंड कंस्ट्रक्शन मोड पर कराए जाते हैं.

कार्यों को कराने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले वेंडर्स यथा एलएनटी नागार्जुन, आर्य वाटर सेक्टर की शीर्ष कंपनियों का चयन ओपन कंपटेटिव बिडिंग के माध्यम से किया गया है. फर्म को अगले 10 वर्ष तक प्रोजेक्ट का रखरखाव व संचालन भी करना है.

टीपीआई से कराई जाती है सामग्री की गुणवत्ता की जांच

सरकार का कहना है कि विभाग द्वारा किसी भी सामग्री का टेंडर या सप्लायर का चयन नहीं किया जाता. चयनित कांट्रैक्टर्स द्वारा पाइप आदि की आपूर्ति की जाती है. सामग्री की गुणवत्ता की जांच टीपीआई से कराई जाती है. सभी वेंडर्स को निर्देश दिए गए हैं कि उच्च गुणवत्ता की सामग्री क्रय करें.

फर्म ने किया था आवेदन

सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया कि संबंधित बिडिंग ई-टेंडर के जरिए हुई जिसमें 29 फॉर्म्स ने अप्लाई किया था. 9 तकनीकी रूप से क्वालीफाई पाए गए. दरें पूर्णत: कम लेते हैं. टीपीआई के कार्य में सुपर विजन एवं क्वालिटी कंट्रोल तथा प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग भी शामिल है.

जल जीवन मिशन के तहत पेयजल योजना से कवरेज करने वाले प्रदेशों से उत्तर प्रदेश की तरह न्यून है. आंध्र प्रदेश में 1.85 प्रतिशत तथा मध्य प्रदेश में 1.71% की दर पर टीपीआई का चयन हुआ था जबकि उत्तर प्रदेश में 1.33 प्रतिशत पर टीपीआई का चयन हुआ है.

Last Updated :Aug 8, 2021, 9:28 PM IST
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