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महिला दिवस विशेष: जानें 112 महिला हेल्पलाइन की पूरी कहानी, कैसे करती है सुरक्षा प्रदान

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Published : Mar 7, 2020, 5:40 PM IST

एक तरफ जहां उत्तर प्रदेश में महिलाओं के प्रति यौन हिंसा के साथ आपराधिक घटनाओं में इजाफा हो रहा है, वहीं प्रदेश में 112 महिला हेल्पलाइन से महिलाओं को सुरक्षा प्रदान की जा रही है. ऐसे में महिला दिवस पर ईटीवी भारत 112 महिला हेल्पलाइन की पूरी कहानी बता रहा है...

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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस.

लखनऊः विश्व भर में 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है. यह दिन पूरी तरह से महिलाओं को ही समर्पित किया गया है. समाज में आज महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रही हैं. महिलाएं स्वयं को सशक्त और सुरक्षित महसूस कर सकें, इसके लिए यूपी सरकार भी अच्छी पहल कर रही है. महिलाओं की सुरक्षा और सहायता के लिए सरकार ने हेल्पलाइन 112 स्थापित की है. अब यह हेल्पलाइन महिलाओं के लिए वरदान साबित हो रही है. हेल्पलाइन में कार्यरत महिला कर्मचारी महिलाओं को सुरक्षित और सशक्त होने के साथ ही खुद के करीब होने का भी अहसास करा रही हैं.

112 हेल्पलाइन.

500 से ज्यादा महिलाएं हैं कार्यरत
महिलाओं की समस्याओं से जुड़ी लाखों शिकायतें इस हेल्पलाइन पर दर्ज हो रही हैं. इनमें से अधिकतर शिकायतों का त्वरित निस्तारण भी किया जाता है. 500 से ज्यादा महिलाएं 24 घंटे में तीन शिफ्ट में, यहां पर तैनात रहकर हर एक कॉल पिक करके सहायता मुहैया कराती हैं. महिलाओं से जुड़े मामले को गंभीरता से लेते हुए प्रदेश में जहां भी इस तरह की घटना होती हैं, वहां पर बाकायदा संबंधित क्षेत्र की पुलिस को सहायता के लिए निर्देशित किया जाता है और मौके पर पुलिस मदद के लिए पहुंचती है. इतना ही नहीं, शिकायतकर्ता से लगातार महिला संवाद अधिकारी और 112 में तैनात महिला पुलिस कर्मी संपर्क में रहती हैं. रात 10 बजे से सुबह छह बजे तक अगर किसी वर्किंग वुमेन को साधन नहीं मिलता है, तो इसकी भी व्यवस्था हेल्पलाइन नंबर पर उपलब्ध है. महिला के फोन करते ही तत्काल उस क्षेत्र में पीआरवी से संपर्क स्थापित किया जाता है और साधन से उसके गंतव्य तक पहुंचाया जाता है.

जब भी हो असुरक्षित, 112 पर करें कॉल
112 हेल्पलाइन के कंट्रोल रूम में जब भी किसी महिला की सहायता के लिए कॉल आता है, तो कंट्रोल रूम से लगातार महिला को फॉलोअप किया जाता है. कंट्रोल रूम में कॉल आने पर महिला कर्मचारी पीआरवी से लगातार बात करती रहती हैं और यह सुनिश्चित किया जाता है कि महिला को तुरंत सहायता मिल पाई है या नहीं. उत्तर प्रदेश पुलिस ने महिलाओं के लिए यह सुविधा रात्रि 10 बजे से लेकर सुबह 6 बजे तक की है. जब भी महिलाएं खुद को असुरक्षित महसूस करती हैं, उनको सुरक्षित गंतव्य या घर तक पहुंचाने का काम पीआरवी और कंट्रोल रूम एक साथ करते हैं. एडीजी का कहना है कि पीआरवी उनको एस्कॉर्ट करते हुए उनको गंतव्य तक पहुंचाना सुनिश्चित करती है.

पुरुषों से कंधे से कंधा मिला कर करती हैं काम
इसको सरकार की तरफ से महिला सशक्तीकरण के लिए पहला कदम माना जा रहा है. वहीं महिलाओं की सुरक्षा के लिए पीआरवी में तीन हजार गाड़ियां चलती हैं. उनमें से 10 प्रतिशत यानी 300 पीआरवी पर दो-दो महिला कॉन्स्टेबल को तैनात किया गया है. इसके बहुत अच्छे परिणाम मिल रहे हैं. एक तो जो महिला पुलिस कर्मी तैनात हैं, वह गौरवान्वित महसूस करती हैं और पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं. दूसरी ओर जो शिकायतें डोमेस्टिक वायलेंस की हैं, सोशल एब्यूज की हैं, उनमें अगर महिला कर्मी रात को तीन बजे भी मदद के लिए पहुंचती हैं तो लोग भी बहुत खुश होते हैं. खास बात है कि एक महिला, महिला की सुरक्षा करने आई है.

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