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लखीमपुरखीरी के बाबूजी रहे हैं लालजी टण्डन, विधायक की पीठ पर मारा था मुक्का

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Published : Jul 21, 2020, 3:40 PM IST

मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन का लखनऊ में निधन हो गया है. उनके बेटे ने ट्वीट कर यह जानकारी दी. लालजी टंडन का लखीमपुर जिले के साथ बाप-बेटी जैसा रिश्ता था. लखीमपुर खीरी जिले के साथ लालजी टंडन की कई यादें जुड़ी हैं.

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लालजी टंडन

लखीमपुर खीरी: भाजपा के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन 88 बरस की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह गए. लालजी टंडन का लखीमपुर खीरी जिले से बाप-बेटी जैसा रिश्ता था. जिले में पूर्व पालिका चेयरमैन नीरू पुरी टंडन जी को बाबू जी कहकर बुलाती थी. उन्होंने बताया कि वह हमेशा की तरह ही सिर पर हाथ रख कर आशीर्वाद देते थे. जिले का पुराना भाजपा कार्यालय आज भी लालजी टंडन के आने की गवाही दे रहा है. लालजी टंडन भाजपा का वो चेहरा थे जो हर दल, हर व्यक्ति को प्यारे थे. हिंदू हो या मुस्लिम, गरीब हो या अमीर, सब लालजी टंडन से मिलकर उनके व्यवहार के कायल हो जाते थे.

'जब मारा था मुक्का'
भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष वर्तमान में मोहम्मदी से भाजपा विधायक लोकेंद्र प्रताप सिंह 'बाबूजी' को याद करते हुए भावुक हो जाते हैं. वह कहते हैं कि एक बार बाबूजी मुझसे नाराज हो गए थे. मैं डरते डरते मिलने गया. उनसे पूछा बाबूजी आप मुझसे नाराज हैं क्या, तो उन्होंने मुझे झुकाया, पीठ पर जोर से एक मुक्का मारा और गले लगा लिया. बोले कभी कोई बाप बेटे से नाराज होता है क्या.

‘बहुत तेज थी याददाश्त’
लखनऊ का चौक हो खदरा या त्रिवेणी नगर लखीमपुर के मिश्राना संकटा देवी मोहल्ले भी लालजी टंडन के लिए घर सरीखे ही थे. भाजपा के जिला प्रवक्ता रमेश मिश्रा लालजी टंडन को याद करते हुए कहते हैं कि बाबू जी को कोई बरगला नहीं सकता था. नगर विकास मंत्री रहते लालजी टंडन एक बार लखीमपुर आए थे तो अफसरों ने सड़कों पर बालू मिट्टी डाल गड्ढे भर दिए कि सड़क खराब है पता न चले. लेकिन गेस्ट हाउस में पहुंचते ही बाबू जी बोले ये पैचिंग से काम नहीं चलेगा, बढ़िया डामर रोड बनवाइए.

लालजी टण्डन की याददाश्त बहुत तेज थी और वो जिससे मिलते थे, वह उनके व्यवहार का कायल हो जाता था. खीरी जिले के युवा भाजपा नेता आशू बाजपेई उनको याद करते हुए कहते हैं कि उनसे जो नहीं मिला, वही उनको रूखा कह सकता है वरना जो एक भी बार मिल लिया उनका ही हो जाता था. आज लग रहा पार्टी से कोई अभिभावक चला गया.

'सबके प्रिय थे बाबूजी'
लालजी टण्डन मेहमान नवाजी करना भी खूब जानते थे. ईद हो या होली हिन्दू-मुस्लिम सब उनके लिए एक जैसे थे. पुराने लखनऊ में मुस्लिम होली में उनके ऊपर फूल बरसाते थे. खीरी के सांसद अजय मिश्रा टेनी लालजी टंडन को याद करते हुए कहते हैं कि एक बार किसी काम से उनके घर मिलने पहुंच गया था. उन्होंने तुरंत तमाम नाश्ते मंगवा लिए. टेनी कहते हैं कि हमने मना भी किया पर बोले पहले नाश्ता खाना फिर होगा कामधाम. सांसद ने बताया कि खीरी जिले से लालजी टंडन के रिश्ते काफी अच्छे थे, चाहे सत्ता के दिन रहे हों या विपक्ष के वह जब आते थे तो अपने दोस्त जयशंकर बाजपेई से मिलना नहीं भूलते थे.

पूर्व बीजेपी जिलाध्यक्ष शरद बाजपेई के पिता जय शंकर बाजपेई टंडन जी के अच्छे मित्रों में से थे. शरद बाजपेई कहते हैं कि लखनऊ में एक बार कुशाभाऊ जी इंदिरा प्रतिष्ठान में मीटिंग ले रहे थे. टंडन जी देर से आए तो कुशाभाऊ ने उनको पीछे बैठा दिया. कुछ कार्यकर्ता आकर लालजी टंडन को देख उनके पैर छू रहे थे. तब कुशाभाऊ ने लालजी टंडन को टोकते हुए कहा कि टंडन जी आप बाहर निकलकर पैर ऊपर करके बैठ जाइए. आप हमारी मीटिंग को डिस्टर्ब कर रहे हैं. इसके बाद लालजी टंडन ने बड़े ही विनम्रता से अपनी गलती को स्वीकारा और बाद में मीटिंग शुरू हुई.

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