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यूपी के इस जिले में क्यों अपने मकान तोड़ रहे हैं लोग?

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Published : Sep 3, 2022, 4:34 PM IST

लखीमपुर खीरी जिले के धौरहरा तहसील के ईसानगर ब्लॉक में पड़नेवाले खैराती पुरवा गांव के मजरा महादेव पुरवा में 70 मकानों में से सिर्फ सात मकान गांव में बचे हैं. घाघरा नदी इस गांव में तबाही मचाई है. घाघरा नदी तेजी से कटान कर रही है, जो सात मकान बचे भी हैं, उनका भी सामान सट्टा लेकर लोग पलायन कर गए हैं.
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घाघरा नदी ने तबाही मचाई

लखीमपुर खीरी: यूपी के लखीमपुर खीरी जिले में धौरहरा तहसील में दो गांवों का अस्तित्व खतरे में है. जहाँ लोग खुद अपने मकान तोड़ रहे हैं. दरअसल इन गांवों पर एक ऐसी प्राकृतिक आपदा आई है कि पूरा का पूरा गांव तबाह होने की कगार पर है. एक गांव के कुल 60 मकानों में से अब सात मकान बच्चे हैं. बाकी को घाघरा नदी बहा ले गई. वहीं, दूसरे गांव का अस्तित्व भी खतरे में है. यहां भी घाघरा तेजी से कटान कर रही. सिंचाई विभाग मिर्जापुर में फ्लड फाइट में कटान रोकने की कोशिश में जुटा हुआ है.
इलाके के विधायक विनोद शकर अवस्थी का कहना है कि हमारी सरकार कटान रोकने के प्रयास कर रही है. ज्यादातर घर कच्चे के थे. सरकार पीड़ितों के साथ है. मदद की जा रही है. कटान रोकने के उपाय भी किए जा रहे हैं.

लखीमपुर खीरी जिले के धौरहरा तहसील के ईसानगर ब्लॉक में पड़नेवाले खैराती पुरवा गांव के मजरा महादेव पुरवा में 70 मकानों में से सिर्फ सात मकान गांव में बचे हैं. घाघरा नदी इस गांव में तबाही मचाई है. घाघरा नदी तेजी से कटान कर रही है, जो सात मकान बचे भी हैं, उनका भी सामान सट्टा लेकर लोग पलायन कर गए हैं. कुछ लोग अपने घरों पर खुद ही हथौड़े चलाकर मलवा समेटने में लगे हुए हैं.

घाघरा नदी ने तबाही मचाई
धौरहरा विधानसभा क्षेत्र के विधायक विनोद शंकर धौरहरा ने बताया कि मिर्जापुर गांव में सिंचाई विभाग की टीम लगी हुई है. यहां कटान को रोक लिया गया है. अब कटान थमा है. घाघरा नदी का वेग इतना तेज होता है कि उसको संभाल पाना कठिन होता है, पर हमारी सरकार बराबर कोशिश कर रही है. 1700 मीटर की एक बाढ़ कटान रोकने की कार्ययोजना भी बनाई जा रही.

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हम चाहते हैं कि नुकसान कम से कम हो. हम बाढ़ पीड़ितों और कटान पीड़ितों की मदद भी कर रहे हैं. राशन दिया जा रहा है. कटान रोकने की कोशिश भी लगातार जारी हैं. महादेव पुरवा गांव नदी के पार पड़ता है, इसलिए वहां फ्लड फाइट का काम नहीं हो पा रहा. वहां भी दो जेई लगाए गए हैं, जो कटान रोकने का प्रयास कर रहे हैं, पर घाघरा नदी का वेग ज्यादा ही तेज है. हम कटान पीड़ितों के साथ हैं और उनकी सहूलियतों का ध्यान बराबर रखा जा रहा है.
मिर्जापुर गांव के ग्रामीणों के आशियाने अगर ऐसे ही घाघरा नदी में समाते रहे तो गांव का अस्तित्व ही खत्म हो जायेगा. एक सप्ताह के अंदर नदी के तेज कटान से दर्जनों घर नदी में समा चुके हैं. वहीं, कई घर कटान की जद में है. नदी में प्रतिदिन हो रहे कटान के चलते ग्रामीणों अपने-अपने आशियानों को तोड़कर सुरक्षित स्थानों के तरफ पलायन करने को मजबूर है. ग्रामीण कमलेश, रामनिवास, समसुद्दीन, सुशील, जलालुद्दीन, रामप्रकाश, सकीला, मोहम्मद अनीस, रामू आदि के मुताबिक इस क्षेत्र में नदी पहली बार कटान नहीं कर रही. हर साल यहां कटान होता है फिर भी कोई स्थायी समाधान आजतक नहीं हो सका.

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