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तेज बुखार से एक महीने में गांव के तीन मासूमों की मौत, लोगों को इंसेफ्लाइटिस का सता रहा डर

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Published : Aug 19, 2021, 4:35 AM IST

तेज बुखार से एक महीने में गांव के तीन मासूमों की मौत
तेज बुखार से एक महीने में गांव के तीन मासूमों की मौत

कुशीनगर के खड्डा विकासखंड के रामपुर जंगल गांव में तेज बुखार के कारण बुधवार को एक मासूम की इलाज के दौरान मौत हो गई. इस मौत के साथ 1 माह के भीतर तेज बुखार से पीड़ित मासूमों की मौत की संख्या 3 हो गई है.

कुशीनगर: जिले के खड्डा विकासखंड के रामपुर जंगल गांव में तेज बुखार के कारण बुधवार को एक मासूम की इलाज के दौरान मौत हो गई. इस मौत के साथ 1 माह के भीतर तेज बुखार से पीड़ित मासूमों की मौत की संख्या 3 हो गई है. मृतक के परिजन मासूम की मौत को इंसेफेलाइटिस (दिमागी बुखार ) के कारण होना बता रहे हैं. गांव में गंदगी और जलजमाव से जल जनित बीमारियों का खतरा बना हुआ है. एक माह में तीन मासूमों की मौत के बाद भी स्वास्थ्य विभाग बेखबर बना हुआ है. जिससे लोगों को इंसेफेलाइटिस के लौटने का डर सता रहा है.

मिली जानकारी के अनुसार खड्डा विकासखंड के ग्राम सभा रामपुर जंगल निवासी जितेंद्र गुप्ता का 2 वर्षीय पुत्र धर्मा बीते 1 सप्ताह से बुखार से परेशान था. पहले घर वालों ने साधारण बुखार जानकर आसपास ही दिखाया. थोड़ी और हालत गंभीर हुई तो पडरौना स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया पर धर्मा की हालत में सुधार न आता देख उसे मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया. परिजनों के अनुसार धर्मा ने इलाज के दौरान बुधवार को दम तोड़ दिया. मेडिकल कॉलेज में इंसेफेलाइटिस से मौत होने की रिपोर्ट नहीं मिलने से इसकी पुष्टि तो नहीं हो सकी की धर्मा की मौत इंसेफलाइटिस से हुई है या नहीं. परिजनों ने बुधवार देर शाम रोते बिलखते धर्मा का अंतिम संस्कार कर दिया.

धर्मा की मौत के बाद उक्त गांव में तेज बुखार से मरने वाले मासूमों की संख्या एक माह में 3 हो गई है. 28 जुलाई को राजा पाठक के इकलौते पुत्र अथर्व साढ़े 3 वर्ष की भी तेज बुखार के कारण ही मौत हो गई थी. वहीं 1 माह पूर्व 2 वर्षीय नितेश सहानी की भी मौत तेज बुखार से ही हुई है. परिजनों का कहना है तीनों की मौत इंसेफेलाइटिस से ही हुई है. अभी भी गांव में 8 माह का मासूम पीयूष तेज बुखार से पीड़ित है और एक निजी अस्पताल में जिंदगी और मौत से जंग लड़ रहा है.

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ग्रामीणों का आरोप है की एक माह में 3 बच्चों की तेज बुखार से मौत के बाद भी गांव में साफ सफाई फागिंग की कोई सुविधा नहीं है. जलजमाव से उठने वाली बदबू और मच्छरों का प्रकोप बढ़ रहा है. इतनी भयावह स्थिति होने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग व ग्राम पंचायत पूरी तरह बेखबर बने हुए बैठे हैं, ना कोई पहल कर रहा है और न किसी तरह की जांच हो रही है, जिससे बच्चों में जल जनित बीमारियां पनप रही हैं. अगर इसका सही समय पर संज्ञान नहीं लिया गया तो मासूमों की जान लेने वाली इंसेफेलाइटिस एक बार फिर अपना कहर ढाने लगेगी. इस संबंध में जब प्रभारी चिकित्साधिकारी विमलेश भूषण से बात की गई तो उन्होंने मामले से अनभिज्ञता जाहिर करते हुए, मामला दिखाने की बात किए.

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