सरकारी फाइलों में दबी रह गयी बेबस पिता की आस, इच्छा मृत्यु की गुहार लगाने वाले अंकुर की मौत

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Published : Jan 13, 2022, 10:24 PM IST

sick ankur died in kushinagar

कुशीनगर में अस्थमा पीड़ित अंकुर के फेफड़े में संक्रमण बढ़ गया और उसकी मौत हो गयी आर्थिक तंगी झेल रहे अंकुर के परिजनों ने सरकार से इलाज करवाने या फिर इच्छा मृत्यु देने की मांग की थी.

कुशीनगर: पडरौना नगर क्षेत्र के रहने वाले अस्थमा रोग से पीड़ित अंकुर श्रीवास्तव की गुरुवार को मौत हो गयी. नवम्बर महीने में आर्थिक तंगी झेल रहे अंकुर के परिजनों ने सरकार से उसका इलाज करवाने के लिए मदद मांगी थी और मदद संभव न होने की स्थिति में इच्छा मृत्यु की मांग की थी. ईटीवी भारत ने अंकुर की समस्या की खबर प्रमुखता से प्रकाशित की थी. इसको पढ़ने के बाद समाज के कई लोगों ने सामने आकर परिवार की मदद के लिए अपने हाथ बढ़ाए थे. इस मामले में जिलाधिकारी ने पूरी रिपोर्ट मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से सहयोग के लिए भिजवायी थी, लेकिन समय रहते इलाज नहीं हुआ और अंकुर की मौत हो गयी.

पडरौना नगर के साहबगंज मोहल्ले में किराए के मकान में रहने वाले राकेश श्रीवास्तव अस्थमा रोग से पीड़ित अपने इकलौते बेटे अंकुर श्रीवास्तव को लेकर पिछले कई सालों से परेशान चल रहे थे. उन्होंने अपने बेटे को दिल्ली के मेदांता, एम्स और राष्ट्रीय क्षय एवं श्वांस रोग संस्थान में भी दिखाया, लेकिन हर जगह से जवाब मिलने के बाद वो घर वापस आ गए थे.

इलाज के भारी भरकम खर्च के साथ फेफड़ा प्रत्यारोपण को लेकर प्रयास किए जा रहे थे. गुरुवार को मरीज की हालत अचानक खराब हो गयी. अंकुर लगातार आक्सीजन सपोर्ट पर चल रहा था. तबीयत बिगड़ने पर उसको कुशीनगर जिला अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उसने रास्ते मे ही दम तोड़ दिया. अंकुर की मौत से उसके पिता राकेश सदमे में है.

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नगरपालिका पडरौना साहबगंज मोहल्ले के रहने वाले राकेश श्रीवास्तव मूल रूप से गोरखपुर के सहजनवा पाली के रहने वाले हैं. चाचा की नौकरी कटकुई मिल कुशीनगर में होने के कारण वो उन्हीं के साथ यहां आ गए थे. यही पढ़ाई लिखाई किए और फिर शादी के बाद पडरौना में एक किराए के मकान में 40 वर्षों से रह रहे हैं. उनकी पत्नी संजीता देवी को श्वास रोग ने 18 वर्ष पहले ही मौत की नींद सुला दिया था.

राकेश श्रीवास्तव एक निजी कंपनी में बीमा एजेंट हैं और इकलौते बेटे अंकुर के श्वास रोग (अस्थमा) का इलाज करा रहे थे. पत्नी और पिता की मौत के बाद उन्होंने बेटे अंकुर को पढ़ाया था, ताकि वो अपने पैरों पर खड़ा हो और उनका और उनकी 95 वर्षीय मां सुभावती को सहारा दे. अंकुर हैदराबाद से ग्राफिक्स डिजाइनिंग की पढ़ाई कर रहा था, जहां बीते अक्टूबर से ही उसकी तबीयत काफी बिगड़ गई थी और तभी से उसके पिता अस्पतालों के चक्कर काट रहे थे. गुरुवार को अंकुर की मौत हो गयी.

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