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मारा गया आदमखोर बाघ, 6 महीने में 9 लोगों को बनाया था शिकार

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Published : Oct 9, 2022, 1:00 PM IST

बिहार के साथ कुशीनगर जनपद से सटे वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के जंगल से निकल कर रिहाइशी इलाके में आकर बाघ लोगों की जान ले रहा था. आदमखोर बाघ को मारने के लिए आदेश जारी किया गया था. सात शूटरों ने अत्याधुनिक असलहे के साथ आदमखोर बाघ को गोली मार दी.

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मारा गया आदमखोर बाघ

कुशीनगर: बिहार के वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (विटीआर) इलाके के साथ कुशीनगर जनपद के खड्डा इलाकों में बीते 6 महीने से बाघ की दहशत देखी जा रही थी. बाघ ने यूपी और बिहार के लगभग 9 लोगों को बीते कुछ महीनों में अपना शिकार बनाया था. रिहाइशी इलाके में इस आदमखोर हो चुके बाघ के आतंक के बाद लोगों ने इसे मारने की मांग की थी. एक आदेश के बाद शनिवार को इस आदमखोर बाघ को मार गिराने में वन विभाग की स्पेशल टीम को सफलता मिली. बीते चार दिनों में यह बाघ चार लोगों को अपना शिकार बना चुका था. जनपद से सटी बिहार सीमा में 3 दिन में 4 लोगों समेत 6 माह में कुल 9 लोगों की जान लेने वाले आदमखोर बाघ को गोली मार दी गई. उत्तर प्रदेश और बिहार के सीमावर्ती क्षेत्रों में आतंक फैलाने वाले आदमखोर बाघ को मारने के लिए शुक्रवार को एक आदेश जारी किया गया था.

बिहार के साथ कुशीनगर जनपद से सटे वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के जंगल से निकल कर रिहाइशी इलाके में आकर बाघ लोगों की जान ले रहा था. बाघ ने शुक्रवार को बलुआ गांव निवासी बबिता देवी (40) और उसके 7 साल के बेटे शिवम पर हमला कर मार दिया था. मां-बेटा पशुओं के लिए सरेह में चारा लाने गए थे. काफी मशक्कत के बाद दोनों के शव मिले थे. इससे पहले 7 अक्तूबर को संजय महतो (35), 5 अक्तूबर को बगड़ी कुमारी (12), 21 सितंबर को रामप्रसाद उरांव (65), 12 सितंबर को प्रेमकुमारी देवी (40), 15 जुलाई को धर्मराज काजी (60), 20 मई को पार्वती देवी (50) और 14 मई को राजकुमार बैठा (12) की मौत बाघ के हमले में हो चुकी है. बाघ के लगातार हमले से आक्रोशित ग्रामीण बाघ को मारने की मांग कर रहे थे. लोगों में वन विभाग और पुलिस के प्रति नाराजगी थी.

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मई माह से अब तक 9 लोगों की जान जाने के बाद बाघ को आदमखोर मानते हुए उसे जान से मारने के लिए वीटीआर के सीएफ नेसामनी ने सीएनटीसीए (नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी) से अनुमति मांगी थी. अनुमति मिलते ही बाघ को मार दिया गया. लगभग सात शूटरों को अत्याधुनिक असलहे के साथ शनिवार को तैनात किया गया. बाघ की संभावित मौजूदगी वाले क्षेत्रों में विशेष वाहन से निशानेबाज जवान कांबिग कर रहे थे. दोपहर बाद बलुआ गांव के पास बाघ और शूटरों का आमना-सामना हुआ. इसमें बाघ मारा गया. 400 वन कर्मचारी और दक्षिण भारत एवं नेपाल से बुलाए गए विशेषज्ञ इस खतरनाक बाघ को नहीं पकड़ पाए थे. रिहाइशी इलाके से बाघ को जंगल में सुरक्षित क्षेत्र में ले जाने के लिए वीटीआर प्रशासन और जिला प्रशासन ने नेपाल के चितवन प्राणि उद्यान सहित दक्षिण भारत से विशेषज्ञ बुलाकर बाघ को बेहोश कर पकड़ने की कोशिश की थी. लेकिन, कामयाबी नहीं मिली. इस दौरान लगभग 400 वनकर्मी तैनात थे. फिर भी बाघ चकमा देकर लोगों की जान ले रहा था. शनिवार को 7 घंटे के ऑपरेशन के बाद आदमखोर बाघ को मार गिराया गया.

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