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कुशीनगर: ऑपरेशन में लापरवाही पर महिला चिकित्सक पर लगा 4 लाख का अर्थदंड

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Published : Dec 23, 2021, 12:42 PM IST

कुशीनगर में उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने पडरौना के एक महिला चिकित्सक पर ऑपरेशन में लापरवाही बरतने पर 4 लाख रूपये का अर्थदंड लगाया है. बच्चे की पैदाइश के दौरान हुए ऑपरेशन में लापरवाही बरतने पर डॉ. अमृता राय पर ये दंड लगाया गया है.

कुशीनगर.
कुशीनगर.

कुशीनगर: ऑपरेशन के दौरान लापरवाही बरतने पर उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने पडरौना नगर में स्थित सृजन हॉस्पिटल की मालकिन डॉ. अमृता राय पर 4 लाख रुपये का अर्थदंड लगाया है. साथ ही आदेश दिया कि अगर 2 महीने के अंदर अर्थदंड नहीं दिया गया तो डॉ. राय को 6 फीसदी अतिरिक्त ब्याज जोड़कर देना होगा.

ये है मामला

गौरतलब है है कि खैरी गांव की जुडाछपरा के निर्मल पट्टी निवासी विनोद शर्मा की पत्नी सुशीला शर्मा ने जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग कुशीनगर में वाद दाखिल कर आरोप लगाया कि 7 मई 2020 को जब पहली बार गर्भवती होने पर पडरौना नगर में स्थित सृजन हॉस्पिटल की महिला डॉ. अमृता राय को दिखाया था. तब डॉ. राय ने देखने के बाद 25 मई 2020 को ऑपरेशन की तारीख निर्धारित कर दवा देकर भेज दिया.

पीड़िता सुशीला शर्मा ऑपरेशन के लिए निर्धारित तिथि को अस्पताल में पहुंची. जहां डॉ. राय ने ऑपरेशन से बच्चा पैदा होने की बात बताकर ऑपरेशन कर दिया. पीड़िता के मुताबिक वह अस्पताल से 31 मई को डिस्चार्ज हुई, लेकिन इस दौरान उसके पेट में लगातार दर्द होता रहा. तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर सुशीला वापस डॉ. राय को दिखाने पहुंची. जहां उन्होंने उसे गोरखपुर सावित्री हॉस्पिटल के लिए रेफर किया. जहां इलाज करने पर पता चला कि डॉ. राय ने ऑपरेशन के दौरान काटन पैड पेट में ही छोड़ दिया था. जिसके बाद जिन्दगी की आस बिल्कुल टूट गई थी.

सावित्री अस्पताल में ऑपरेशन के बाद जिंदगी और मौत से जूझते हुए सुशीला शर्मा जब ठीक हुई तो 15.39 लाख रुपये क्षतिपूर्ति की मांग करते हुए सृजन अस्पताल की डॉ. अमृता राय के खिलाफ मुकदमा दाखिल किया. जहां उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने डॉ राय को लापरवाही की दोषी मानते हुए फैसला सुनाया है.

मामले में सुनवाई के दौरान उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के अध्यक्ष ब्रजेश पाण्डेय, सदस्य सीमा और विनय कुमार मिश्र ने गुण दोष के आधार पर महिला चिकित्सक डॉ.अमृता राय को ऑपरेशन में लापरवाही बरतने का दोषी पाया. जिसे गंभीरता से लेते हुए आयोग ने महिला चिकित्सक पर 4 लाख रुपये का अर्थदंड लगाया.

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