लखनऊ : अपर मुख्य सचिव एवं गन्ना आयुक्त संजय आर भुसरेड्डी ने सोमवार को बताया कि कासगंज की न्योली चीनी मिल में मिल प्रबन्धन द्वारा षडयन्त्र के तहत अवैध चालान के माध्यम से बिना पर्ची, नकद व कम दामों में गन्ना खरीद की जा रही थी. चीनी मिल प्रबन्धन द्वारा बिचौलियों से मिली भगत कर अवैध गन्ना खरीद करते हुए गन्ना समिति के विकास अंशदान की चोरी की जा रही थी. जिसके बाद चीनी मिल के एम.डी. अध्यासी, मुख्य वित्त अधिकारी, उप गन्ना महाप्रबन्धक एवं केनयार्ड मैनेजर के विरूद्ध उ.प्र.गन्ना (पूर्ति एवं खरीद विनियमन) अधिनियम 1953 एवं 1954 तथा आवश्यक वस्तु अधिनियम एवं भारतीय दण्ड संहिता की सुसंगत धाराओं में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है.
प्रदेश के गन्ना आयुक्त संजय आर. भूसरेड्डी द्वारा बताया गया है कि प्रदेश सरकार द्वारा भ्रष्टाचार पर ’जीरो टॉलरेन्स’ की नीति का अनुसरण करते हुए दोषियों पर कड़ी कार्यवाही की जा रही है. इसी क्रम में शेरवानी शुगर सिंडीकेट लि. न्योली चीनी मिल प्रबन्धन द्वारा षडयन्त्र के तहत अवैध रूप से, नकद एवं कम दामों में किसानों का गन्ना खरीद कर चीनी मिल को आपूर्ति कराये जाने का प्रकरण संज्ञान में आने पर कठोर दण्डात्मक कार्यवाही करते हुए चीनी मिल के एम.डी. सहित सभी दोषी अधिकारियों के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई गयी है.
गन्ना आयुक्त ने बताया कि 23 दिसम्बर 2021 को रात्रि 08ः30 बजे, जिला गन्ना अधिकारी, कासगंज, सचिव, जिला सहकारी गन्ना विकास समिति न्योली एवं सम्बन्धित गन्ना पर्यवेक्षक के द्वारा चीनी मिल न्योली के मिल गेट एवं केनयार्ड में औचक निरीक्षण किया गया था, जांच के दौरान चीनी मिल यार्ड में गन्ने से भरे हुए ट्रैक्टर ट्राला अज्ञात रूप से खडे हुए पाए गये थे. गन्ने से भरे इन अवैध वाहनों के सम्बन्ध में चीनी मिल प्रबन्धन की ओर से कोई जानकारी नहीं दी गई.
गन्ना आयुक्त ने बताया कि मौके पर उपस्थित गन्ना किसानों के बयान एवं परिस्थितिजन साक्ष्यों के आधार पर यह स्पष्ट पाया गया कि चीनी मिल प्रबन्धन द्वारा बिचौलियों से मिलीभगत करके किसानों के साथ धोखाधड़ी कर कम दामों पर गन्ना खरीद की जा रही है. अवैध गन्ने की खरीद से गन्ना समिति के विकास अंषदान की चोरी कर राजकीय धन की क्षति की जा रही है.
इनके खिलाफ हुई एफआईआर की कार्रवाई
उन्होंने यह भी बताया कि उपरोक्त अवैध गन्ना खरीद में न्योली चीनी मिल कासगंज के एमडी कुणाल यादव, अध्यासी हरविन्दर सिंह, यदु समूह के मुख्य वित्त अधिकारी डी.के. श्रीवास्तव व उप गन्ना महा प्रबन्धक अरूण कुमार शर्मा एवं केनयार्ड मैनेजर जगराज विष्नोई के विरूद्ध उत्तर प्रदेष गन्ना (पूर्ति एवं खरीद विनियमन) अधिनियम 1953 एवं 1954 तथा उत्तर प्रदेष वैक्यूम पैन शुगर फैक्ट्रीज लाइसेंस आर्डर 1969, आवष्यक वस्तु अधिनियम-1955 की धारा 3/7 एवं भारतीय दण्ड संहिता की धारा 417, 418, 419, 420, 468 व 120 बी के अन्तर्गत प्राथमि की दर्ज कराई गई है.
गन्ना आयुक्त ने यह भी स्पष्ट किया है कि शासन के निर्देशानुसार भ्रष्टाचार पर ’जीरो टॉलरेन्स’ की नीति का अनुसरण किया जा रहा है, तथा गन्ने की अवैध खरीद अथवा किसी भी गन्ना किसान से धोखाधड़ी को बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. संलिप्तों, दोषियों के विरूद्ध नियमानुसार कठोरतम कार्रवाई की जाएगी.
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