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कैंसर अवेयरनेस डे: पान मसाले की लत बना रही कैंसर का मरीज, चौंकने वाले हैं आंकड़े

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Published : Nov 7, 2020, 9:42 PM IST

आज पूरे देश में कैंसर अवेयरनेस डे के तहत तमाम जागरुकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. कैंसर के कारण हर साल बड़ी संख्या में मरीज काल के गाल में समा जाते हैं. इसी क्रम में ईटीवी भारत ने कानपुर में जब पड़ताल की तो जेके कैंसर अस्पताल के आंकड़े बेहद चौंकाने वाले थे. जे के कैंसर हॉस्पिटल के आंकड़ों के अनुसार हॉस्पिटल में आने वाले मरीजों में 40 फीसदी मरीज माउथ कैंसर के होते हैं.

कैंसर अवेयरनेस डे पर विशेष.
कैंसर अवेयरनेस डे पर विशेष.

कानपुर: 7 नवंबर को पूरे देश में कैंसर अवेयरनेस डे मनाया जा रहा है. कैंसर अवेयरनेस डे पर अलग अलग संस्थाएं जागरुकता कार्यक्रम कर रही हैं, लेकिन कानपुर नगर में कैंसर से जुड़े चौकने वाले आंकड़े सामने आए हैं. कानपुरवासियों को पान-मसाले की लत अब कैंसर का मरीज बना रही है. वहीं हैरान करने वाली बात यह भी है कि इन मरीजों में सबसे ज्यादा युवा शामिल हैं. जिनके कंधे पर समाज की बागडोर है वह अब खुद कैंसर से लड़ रहे हैं. कानपुर के जे के कैंसर हॉस्पिटल के आंकड़ों के अनुसार, हॉस्पिटल में जितने भी मरीज आते हैं, उनमें 40 फीसदी मरीज माउथ कैंसर के होते हैं.

कैंसर अवेयरनेस डे पर विशेष.

हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. एसएन प्रसाद का कहना है कानपुर वासियों की पान मसाले की लत उन्हें बीमार कर रही है.अब वह कैंसर के मरीज हो रहे हैं. जहां 2017 में इससे संबंधित हॉस्पिटल में आने वाले मरीजों की संख्या 393 थी वहीं अब 2019 में 2,373 तक हो गयी. यह संख्या साल दर साल 7 गुना तेजी से बढ़ रही है. बता दें कानपुर में पान मसाले के कारोबार से सरकार को 100 करोड़ से अधिक राजस्व मिलता है.

अस्पताल आने वाले मरीजों में 40 फीसदी ओरल कैंसर से पीड़ित
जे के कैंसर संस्थान के निदेशक डॉ. एसएन प्रसाद ने बताया कि पिछले तीन सालों में कैंसर के मरीजों में ओरल कैंसर के मरीजों में रिकॉर्ड बढ़ोत्तरी हुई है. हॉस्पिटल में जितने भी मरीज आते हैं, उनमें ओरल कैंसर के मरीजों की संख्या कुल संख्या की 30 से 40 फीसद है.

25 से 55 साल की उम्र के लोगों को हो रहा कैंसर
डॉ. एसएन प्रसाद ने बताया कि ओरल कैंसर 25 से लेकर 55 साल की उम्र के लोगों को अधिक हो रहा है, क्योंकि कानपुर में पान मसाला खाने वालों का एक बड़ा वर्ग है और यहां छोटे बच्चे भी पान मसाला खाते हैं. जहां दूसरी जगहों में इन मरीजों की संख्या 10 से 15 फीसदी है, वहीं सिर्फ कानपुर में यह 30 से 40 फीसदी तक है.

हार्मोनल चेंज है ब्रैस्ट कैंसर की वजह
डॉ. एसएन प्रसाद ने बताया कि वहीं महिलाओं में ब्रैस्ट कैंसर बढ़ने की वजह हार्मोनल चेंज है. पहले जल्दी शादी होती थी और देर तक बच्चे होने जैसी लाइफस्टाइल थी, लेकिन अब यह पूरी तरह से बदल चुकी है, जिसके चलते यह चेंज हो रहे हैं. वहीं दिनचर्या का नियमित और समय से न हो पाना भी एक मुख्य वजह है.

खास तरीके का लाइफ स्टाइल बना रहा कैंसर मरीज
डॉ. एसएन प्रसाद ने बताया कि कैंसर के जितने भी केस हैं उनमें 60 से 70 फीसदी केस में व्यक्ति बच सकता है. इसके लिए लाइफस्टाइल में नियमितता लानी पड़ेगी. क्योंकि आज कल की लाइफस्टाइल की वजह से कैंसर दोगुनी रफ्तार से बढ़ रहा है. लगातार पान मसाले की खपत भी लोगों को कैंसर का मरीज बना रही है.

कानपुर में पान मसाला के कन्ज्यूमर और उत्पादक दोनों अधिक
बता दें कि कानपुर में न सिर्फ पान मसाले के कन्ज्यूमर की संख्या अधिक है, बल्कि कानपुर में मसाला उत्पादकों की संख्या भी बहुत अधिक है. आंकड़ों के मुताबिक कानपुरवासी रोज करीब 60 लाख मसाले के पाउच खाकर थूक देते हैं.

राजस्व में जाती है 130 करोड़ तक की रकम
कानपुर में पान मसाले का व्यापार छोटा मोटा नहीं है, यहां पर सिर्फ पान मसाले से करीब 130 करोड़ रुपये का राजस्व जाता है, जो किसी भी राज्य के इस उत्पाद के राजस्व के बराबर है. वहीं पूरे देश के पान मसाले का व्यापार 42 हजार करोड़ का है और इसमें अधिकांश हिस्सा उत्तर प्रदेश का है.


पान मसाला नहीं गेम्बियर बना रहा लोगों को कैंसर का मरीज
बता दें कि सिर्फ पान मसाला ही नहीं बल्कि गेम्बियर नाम का कैमिकल भी लोगों को कैंसर का मरीज बना रहा है. इस कैमिकल का प्रयोग चमड़े को रंगने में होता है, लेकिन कुछ पान मसाला व्यापारी अधिक लाभ के लिए कत्थे की जगह गेम्बियर का उपयोग करते हैं. इस कारण गुटखे के लगातार सेवन से गुर्दे और लिवर खराब होने के साथ कैंसर तक हो रहा है.

जे के कैंसर संस्थान में कैंसर के संबंध में आंकड़े

कैंसर के इलाज के लिए यह सुविधाएं हैं मौजूद

  • कीमोथेरेपी
  • रेडियोथेरेपी
  • हैलट हॉस्पिटल के सहयोग से ऑपेरशन

जे के कैंसर संस्थान में ओपीडी की स्थिति
200 मरीज प्रतिदिन आते हैं, जिसमें 40 मरीज मुख कैंसर के और 3 मरीज गाल ब्लैडर कैंसर के होते हैं.

हेड एंड नैक कैंसर(माउथ कैंसर) के मरीजों का आंकड़ा

साल मरीजों की संख्या
2017 393
2018 1759
2019 2373
2020 935 (अभी तक)


ब्रैस्ट कैंसर के मरीजों का आंकड़ा

साल मरीजों की संख्या
201786
2018340
2019 440
2020 196 (अभी तक)


सर्विकल कैंसर के मरीजों का आंकड़ा

साल मरीजों की संख्या
201790
2018250
2019283
2020124
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