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Kanpur IIT: यूपी के 70 हजार वर्ग किलोमीटर में फैली नदियों का एटलस तैयार, मिलेगा पुनर्जन्म

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Published : Jan 14, 2023, 3:16 PM IST

Updated : Jan 14, 2023, 5:54 PM IST

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70 हज़ार वर्ग किलोमीटर में फैली नदियों का एटलस तैयार, मिलेगा पुनर्जन्म

कानपुर आईआईआई समेत कई तकनीकी संस्थानों ने मिलकर यूपी की नदियों का खास एटलस तैयार किया है. इससे इन नदियों को क्या फायदा होगा चलिए जानते हैं इस खास खबर के जरिए.

कानपुर: सूबे में तमाम नदियां ऐसी हैं, जो विभिन्न कारणों से अपना अस्तित्व खो रही हैं, जबकि कई ऐसी नदियां हैं जिन पर प्रदूषण का दाग लग चुका है. ऐसे में कई नदियों के अस्तित्व पर संकट मंडराने लगा है. ऐसे में कानपुर आईआईटी समेत कई तकनीकी संस्थान इन नदियों के पुनरुद्धार के लिए आगे हैं. आईआईटी कानपुर के वरिष्ठ प्रोफेसर व सी-गंगा के फाउंडर प्रो.विनोद तारे ने प्रदेश के अंदर 70 हजार वर्ग किलोमीटर में फैलीं 50 से अधिक नदियों का एटलस तैयार कर लिया है. प्रो.तारे का कहना है, कि अब विभिन्न विभागों के साथ समन्वय स्थापित कर इन नदियों को पुनर्जीवित करने का काम किया जाएगा.

प्रो.विनोद तारे ने दी यह खास जानकारी.

प्रो.विनोद तारे ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि कुछ दिनों पहले ही पीएम मोदी कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों, जलशक्ति मंत्रालय के अफसरों व गंगा पर काम करने वाले विशेषज्ञों संग गंगा काउंसिल की बैठक कर रहे थे. उस बैठक में पीएम मोदी ने उप्र में गंगा व सहायक नदियों को अविरल और निर्मल बनाने की प्रगति पूछी. तब उन्हें बताया गया, कि नदियों को चिन्हित कर लिया गया है. किस नदी में कौन सी समस्या है, यह देखा जा रहा है. जल्द से जल्द सभी नदियों की अविरलता और निर्मलता को वापस लाने का प्रयास पूरा किया जाएगा.


आईआईटी कानपुर के प्रो.विनोद तारे ने बताया कि सभी नदियों के विषय में विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर जलशक्ति मंत्रालय व नेशनल मिशन फार क्लीन गंगा (एनएमसीजी) के अफसरों से संवाद करेंगे. उन्होंने कहा कि अगर किसी शहर में नदी पूरी तरह से शुद्ध होगी तो वहां पर्यटन विस्तार की दिशा में काम हो सकेगा. उससे आर्थिक विकास होगा. ऐसे में जब प्रदेश की 50 से अधिक नदियों की स्थिति बेहतर हो जाएगी तो प्रदेश का विकास हो जाएगा और फिर उससे देश का विकास संभव है.

इन मुख्य नदियों को इन संस्थानों ने किया चिह्नित

  • आईआईटी बीएचयू के पास मंदाकिनी, गरहारा, चंद्रावल, रिंद, गुंची, सिहू, श्याम, अर्जुन, वरुणा, गंता व पटहरी.
  • बीबीएयू लखनऊ के पास बेहटा, कुकरैल, कल्याण, टेढ़ी, राप्ती, बुद्धिराप्ती, सरयू, भैंसी व रोहिणी.
    एनआइएच रुड़की के पास कृष्णि, मैलिन व धारा.
  • आईआईटी कानपुर के पास सोत, महावा, अरिल, कटना, देओरा-गारा, धोरा, बहगुल, गनगन, धेला, गोवर्धन, गंगा, काली, निम, नून व ककवन.

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Last Updated :Jan 14, 2023, 5:54 PM IST
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