छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय को मिली बीबीए-एलएलबी की 120 सीटें, जल्द लें प्रवेश

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Published : Sep 29, 2022, 10:33 PM IST

etv bharat

कानपुर छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय को काउंसिल ऑफ इंडिया ने बीबीए-एलएलबी(BBA-LLB) सीटों की मंजूरी दे दी है. अब बिना किसी परेशानी के छात्र विश्वविद्यालय में पढ़ाई पूरी कर सकेंगे.

कानपुरः छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय(Chhatrapati Shahuji Maharaj University) के लिए अभी तक छात्रों का यह कहना था कि यहां के प्रशासनिक अफसर किसी तरीके का काम नहीं करते हैं. छात्रों की शिकायत के बाद अफसरों ने इसकी कवायद करनी शुरू की और इस कवायद के बाद काउंसिल ऑफ इंडिया(council of india) ने बीबीए-एलएलबी(BBA-LLB) सीटों की मंजूरी दे दी. छात्र हित में हुए इस निर्णय से छात्रों को किसी दूसरे जिले में नहीं जाना पड़ेगा और न ही परेशान होना पड़ेगा. वे अब बिना किसी परेशानी के विश्वविद्यालय में अब अपनी पढ़ाई पूरी कर सकेंगे.

डॉ. शशिकांत त्रिपाठी ने बताया कि अब कानपुर के छात्रों को 5 वर्षीय बीबीए-एलएलबी के लिए अब अन्य जिलों में नहीं जाना पड़ेगा. कुलपति प्रोफेसर विनय पाठक(Vice Chancellor Professor Vinay Pathak) के अथक प्रयासों से अब यह संभव हो सका है. विश्वविद्यालय परिसर में बीबीए- एलएलबी की 120 सीटों के लिए बार काउंसिल ऑफ इंडिया से मंजूरी मिल गई है. साथ ही विश्वविद्यालय परिसर में इसके प्रवेश की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है.

कैसे बना सकते हैं छात्र बीबीए-एलएलबी में अपना कैरियर?
कानपुर यूनिवर्सिटी(Kanpur University) में इस कोर्स के शुरू होने से इस क्षेत्र में अपना कैरियर बनाने की इच्छा रखने वाले स्टूडेंट्स के लिए बड़ी राहत है. 5 साल के इस इंटीग्रेटेड पाठ्यक्रम के लिए उन्हें अब मोटी फीस या दूसरे जिलों में जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. इस पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने वाले छात्र-छात्राएं कानूनी पेशे में अधिवक्ता एवं न्यायाधीश के साथ में बैंकिंग क्षेत्र, लॉ फर्म इत्यादि मे रोजगार के अवसर प्राप्त कर सकते हैं. बीबीए-एलएलबी एक ऐसा पाठ्यक्रम है, जो वर्तमान में आने वाली उद्योगी चुनौतियों के लिए छात्रों को सामना करने के लिए तैयार करेगा.

क्या बोले बीबीए-एलएलबी के इंचार्ज?
इस पाठ्यक्रम के इंचार्ज दिनेश शुक्ला(Incharge Dinesh Shukla) ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत के दौरान बताया कि अभी तक इस पाठ्यक्रम की मान्यता दिल्ली, मुंबई जैसे शहरों में ज्यादा थी. लेकिन अब कानपुर विश्वविद्यालय में भी इस पाठ्यक्रम की शुरुवात हो चुकी है, क्योंकि इसके लिए छात्रों ने कई बार आवेदन किया था पर सुविधा न होने के चलते छात्र अन्य विद्यालयों की ओर रुख कर लेते थे.

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