प्रधानमंत्री आवास दिलाने के नाम पर गिरोह करता ठगी, मास्टरमाइंड सहित दो गिरफ्तार

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Published : Jun 2, 2023, 7:00 PM IST

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कानपुर देहात में दो शातिर गैंग के मास्टरमाइंड को स्पेशल टास्क फोर्स ने गिरफ्तार किया है. शातिर केंद्र सरकार से लेकर प्रदेश सरकार की योजनाओं के नाम पर ठगी करते थे.

कानपुर देहातः पुलिस व एसटीएफ ने मोबाइल एप्स के माध्यम से प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए पात्र लाभार्थियों का डेटा निकाल कर ठगी करने वाले एक गिरोह का भंडाफोड़ किया इसके साथ ही गिरोह के मास्टरमाइंड सहित 2 ठगों को गिरफ्तार किया है.

प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दिलाने के नाम पर लोगों को ठगे जाने की शिकायतें लगातार एसटीएफ व पुलिस को मिला रही थी. जिसके चलते एसटीएफ ठगी गिरोह के सदस्यों को गिरफ्तार करने के लिए लगातार छापेमारी कर रही थी. इस दौरान एसटीएफ को रनियां थाना क्षेत्र में संगठित गिरोह के होने की जानकारी मिली. एसटीएफ ने कानपुर देहात पुलिस की मदद से बुधवार की देर रात राजेन्द्रा चौराहा के पास घेराबंदी करते हुए मास्टरमाइंड राजेश सिंह उर्फ चीता व अनिल सिंह उर्फ प्रदीप को गिरफ्तार कर लिया.

एसटीएफ व पुलिस पूछताछ में राजेश सिंह व अनिल सिंह ने बताया कि वह लोग लंबे समय से प्रधानमंत्री आवास योजना के नाम पर ठगी कर रहे हैं. प्रधानमंत्री आवास योजना के नाम पर आम लोगों को फोन करके कहा जाता था कि प्रधानमंत्री आवास योजना कार्यालय के अधिकारी बोल रहे हैं. राजेश सिंह व अनिल सिंह ने बताया कि फिर यह लोगों सवाल करते थे कि क्या आपके द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत फार्म भरा गया है. यदि कोई हां कहता था तो उसको विश्वास कराने के लिए उसका आधार कार्ड का नम्बर लेकर विभिन्न मोबाइल एप्स के माध्यम से उनकी व्यक्तिगत जानकारी/पारिवारिक विवरण उसको बताया जाता था. इसके बाद प्रलोभन देते हुए कहा जाता था कि आपका 3 लाख 25 हजार रुपये पास हुआ है. जिसको प्राप्त करने के लिए तीन से पांच हजार रुपये रजिस्ट्रेशन के नाम पर जमा करने के लिए बोला जाता था. इसके बाद प्रलोभन में आकर लोग यूपीआई से पैसे भेज देते थे.

गिरफ्तार शातिरों ने बताया कि पैसे जमा करने के बाद इन लोगों से नया खाता भी खुलवाया जाता था और फिर वेरीफिकेशन के नाम पर लोगों से उनका एटीएम कार्ड सहित बैंक से जारी किट को एक पते पर रजिस्टर्ड आग से मंगवा लेते थे. इन खातों का प्रयोग यह सभी लोगों अन्य लोगों से ठगी के लिए किया जाता था. इन बैंक खातों में रुपये आ जाने पर तीसरा साथी मोनू सिंह द्वारा विभिन्न एटीएम के माध्यम से निकाल लिया जाता था. ठगी से प्राप्त रूपयों यह लोगो आपस में बांट लेते थे.

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