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स्वामी प्रसाद मौर्य बोले, जब लोगों ने रामचरित मानस का पाठ करना बंद कर दिया तो सरकार औंधे मुंह गिरी

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Published : Mar 14, 2023, 9:25 PM IST

कन्नौज पहुंचे सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य
कन्नौज पहुंचे सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य

कन्नौज पहुंचे सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने जमकर भाजपा सरकार पर निशाना साधा. सपा नेता ने कहा कि भाजपा केवल भाषण देती है, काम नहीं करती है. आलू किसानों को लालच देकर वाटे लिया है बीजेपी ने.

कन्नौज पहुंचे सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य

कन्नौज: पूर्व मंत्री व सपा एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य का काफिला मंगलवार को मैनपुरी से लखनऊ जाते समय छिबरामऊ कस्बे में रुका. इस दौरान उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए भाजपा पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि उनकी अपील पर जब देश के लोगों ने रामायण का पाठ करना बंद कर दिया तो सरकार घुटनों के बल औंधे मुंह गिरी. अब सरकारी खर्चे पर सुंदरकांड का पाठ पढ़ाने का तय किया है. यह तो देश की महिलाओं, आदिवासियों, दलितों और पिछड़ों की जीत है. बीजेपी के नेता सिर्फ भाषण देना जानते हैं, काम करना नहीं जानते हैं. बीजेपी ने आलू किसानों से लालच देकर वोट तो ले लिया, लेकिन आलू से बनने वाले उत्पादों की फैक्ट्रियां नहीं लगाई.

मैनपुरी से लखनऊ जाते समय सपा एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्या छिबरामऊ निवासी वरिष्ठ सपा नेता बृजपाल शाक्य के आवास पर कार्यकर्ताओं से मुलाकात की. इस दौरान मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि किसानों की वजह से भाजपा की सरकार बनी है और आज किसानों की दुश्मन बन गई है. विशेष रूप से उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर आलू किसान है. लेकिन सरकार उनको दोगुना लाभ दिलाने की बजाए उनकी लागत का खर्च भी नहीं दिला पा रही है. कुछ जिलों में न्यूनतम समर्थन मूल्य कुछ जिलों में घोषित हुआ है जबकि कुछ जिलों में घोषित नहीं हुआ है. कन्नौज भी सरकार की उदासीनता व उपेक्षा का शिकार हुआ है. जिसके चलते अभी तक कन्नौज में न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित नहीं हुआ है.

स्वामी प्रसाद ने आगे कहा कि बीजेपी के नेता अच्छे-अच्छे भाषण देना जानते है, लेकिन काम करना नहीं जानते है. कन्नौज व फर्रुखाबाद की मुख्य फसल आलू है. आलू आमदनी का मुख्य आधार है. इसीलिए बीजेपी ने आलू उत्पादकों को लालच देकर वोट तो ले लिया. लेकिन आलू से बनने वाले उत्पाद वाली फैक्ट्रियां नहीं लगाई है. फैक्ट्रियों की स्थापना न करना वादा खिलाफी का जीता जागता नमूना है. रामचरित मानस के सवाल पर मौर्य ने कहा कि यह तो हमारी जीत है. हमारी अपील पर जब देश के लोगों ने रामायण का पाठ करना बंद कर दिया. तो सरकार घुटनों के बल औंधे मुंह गिरी. अब सरकारी खर्चे पर सुंदरकांड का पाठ पढ़ाने का तय किया है.

सरकारी खर्चे पर सुंदरकांड का पाठ पढ़ाना सरकार के असली चेहरा को उजागर करती है. हमारा संविधान पंथ निरपेक्ष भारत की कल्पना करता है यानी सभी धर्मों का सम्मान. अगर मुख्यमंत्री को धर्म के प्रति मेहरबानी दिखानी है तो सिर्फ सुंदरकांड पर क्यों. उनको हिन्दू धर्म के साथ मुसलमान, बौद्ध, ईसाई, जैन धर्म सिक्ख धर्म समेत सभी धर्मों को जोड़ना चाहिए. एक धर्म को बढ़ावा देकर शेष धर्मों को चोट पहुंचाना सरकार की सूझबूझ का परिचय नहीं है. इस नीति पर सरकार कहीं न कहीं बैकफुट पर आई है. अगर लोग रामचरित मानस का पाठ पढ़ते होते तो सरकार को अलग से बजट की व्यवस्था नहीं करनी पड़ती.

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