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हाथरस: हास्य सम्राट पद्मश्री काका हाथरसी की मनाई गई जयंती और पुण्यतिथि

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Published : Sep 18, 2019, 11:32 PM IST

हास्य सम्राट पद्मश्री काका हाथरसी

हास्य सम्राट पद्मश्री काका हाथरसी की बुधवार को 113वीं जयंती और 24वीं पुण्यतिथि थी. काका की याद हाथरस जिले में स्मारक तो बन गया है, लेकिन संग्रहालय के रूप में विकसित नहीं किया गया है.

हाथरस: बुधवार को हास्य सम्राट पद्मश्री काका हाथरसी की 113वीं जयंती और 24वीं पुण्यतिथि मनाई गई. काका हाथरसी का जन्म 18 सितंबर 1906 को हाथरस के जैन गली में हुआ था. उनकी मृत्यु 18 सितंबर 1995 को हुई थी. यह एक इत्तेफाक था कि जिस तारीख को काका पैदा हुए थे उन्होंने प्राण भी उसी दिन त्यागे.

अफसोस की बात यह है कि काका को सिर्फ 18 सितंबर को ही लोग याद करते हैं. उनके नाम पर बना स्मारक भी इसी दिन गुलजार होता है. वरना यहा ताला ही पड़ा रहता है. बुधवार को एक बार फिर काका की याद में कुछ लोग उनके स्मारक पर जुटे. किसी ने उनकी रचना पढ़ी तो किसी ने उनके संस्मरण सुनाए.

हास्य सम्राट पद्मश्री काका की मनाई गई जयंती और पुण्यतिथि.

एडीएम अशोक कुमार शुक्ला ने कहा कि यह ऐसा शहर है कि एक पत्थर उछले तो वह किसी कवि को लगेगा इसकी ज्यादा संभावना होती है. छात्र रविकांत सिंह ने भी इस मंच से पहली बार अपनी रचना पढ़ी, जिसका अतिथियों ने सम्मान किया.

साहित्यकार और कार्यक्रम के आयोजक गोपाल चतुर्वेदी ने बताया कि गत वर्षों से लोगों की संख्या इस बार ज्यादा रही है. अच्छी संख्या में साहित्यकार आए हैं. दो-तीन साल पहले तो कुर्सियां खाली ही रह जाती थी. वहीं एक बुजुर्ग साहित्यकार सत्यनारायण सुधाकर ने बताया कि काका सिर्फ कवि ही नहीं अपने आप में कवि सम्मेलन थे. वे गजल और छंद भी लिखते थे. उन्हें पद्मश्री सम्मान मिला हाथरस गौरवान्वित हुआ. विदेशों में हाथरस का नाम पहुंचा. काका जी और हाथरस एक दूसरे के पर्यायवाची हो चुके हैं.

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एंकर- हास्य सम्राट पदम श्री काका हाथरसी की आज 113 जयंती और 24 वीं पुण्यतिथि है आज काका की याद सभी काव्य प्रमियों को आ रही है ।यहां उनकी स्मृति में स्मारक तो बन गया है। लेकिन संग्रहालय के रूप में विकसित नहीं हुआ है।


Body:वीओ1- काका हाथरसी का जन्म 18 सितंबर 1906 को हाथरस की जैन गली में हुआ था।उनकी मृत्यु 18 सितंबर 1995 को हुई थी। यह भी एक इत्तेफाक था कि जिस तारीख को काका पैदा हुए थे उन्होंने प्राण भी उसी दिन त्यागे। अफसोस की बात तो यह है कि काका को सिर्फ 18 सितंबर को ही लोग याद करते हैं ।उनके नाम पर बना स्मारक भी इसी दिन गुलजार होता है। वरना यह ताला ही पड़ा होता है।आज एक बार फिर काका की याद में स्मारक पर कुछ लोग जुटे।किसी ने उनकी रचना पढ़ी तो किसी ने उनके संस्मरण सुनाए। एडीएम अशोक कुमार शुक्ला ने कहा कि यह ऐसा शहर है कि एक पत्थर उछले तो वह किसी कवि को लगेगा इसकी ज़्यादा संभावना होती है। एक छात्र रविकांत सिंह ने भी इस मंच से पहली बार अपनी रचना पढ़ी।जिसका सम्मान अतिथियों ने किया ।साहित्यकार और कार्यक्रम के आयोजक गोपाल चतुर्वेदी ने बताया कि काका जी के प्रति तो लोग श्रद्धानवित हैं शायद साहित्य के प्रति रुझान कम है ।उन्होंने कहा कि फिर भी गत वर्षों से लोगों की संख्या इस कार्यक्रम में ज्यादा रही है ।साहित्यकार अच्छी संख्या में आए हैं ।दो-तीन साल पहले तो कुर्सियां खाली ही रह जाती थी ।वही एक बुजुर्ग साहित्यकार सत्यनारायण सुधाकर ने बताया काका सिर्फ कवि ही नहीं अपने आप में कवि सम्मेलन थे ।वे गजल और छंद भी लिखते थे ।काका जी हमारी शान थे।उन्हें पदम श्री सम्मान मिला हाथरस गौरवान्वित हुआ ।विदेशों में हाथरस का नाम पहुंचा। काका जी और हाथरस एक दूसरे के पर्यायवाची हो चुके हैं।
बाईट1-गोपाल चतुर्वेदी-साहित्यकार व आयोजक
बाईट2-सत्यनारायण सुधाकर-साहित्यकार


Conclusion:वीओ2- काका की याद में बने इस स्मारक का संग्रहालय बनना जरूरी है ।ताकि देश विदेश के शिक्षार्थी और शोधार्थी इसका लाभ उठा सकें।
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