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...जानें मां भद्रकाली की महिमा, जिनके प्रकोप से पूरी बारात बन गई थी पत्थर

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Published : Oct 1, 2019, 7:42 PM IST

उत्तर प्रदेश के हाथरस में मां भद्रकाली का एक ऐसा मंदिर है, जिसकी कथा आश्चर्य चकित करने वाली है. इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि देवी के प्रकोप से कभी गांव में आई हुई पूरी बारात पत्थर बन गई थी.

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हाथरसः जिले के कस्बा सहपऊ में एक विशाल मंदिर मां भद्रकाली शक्तिपीठ के नाम से प्रसिद्ध है. मां अपने धाम पर आने वाले हर एक व्यक्ति की मनोकामना पूरी करती हैं. यही कारण है कि कभी पीपल के नीचे बैठी मां को भक्तों ने विशाल भवन में विराजमान किया है.

मां और मंदिर के पौराणिक महत्व के बारे में हम बात करें तो लोग बताते हैं कि इस जगह पर पहले बारात रुका करती थी. बरात में से किसी युवक ने वहां आई एक बालिका पर व्यंग किया था, जिसके बाद पूरी की पूरी बरात पत्थर के रूप में तब्दील हो गई थी, जिसके अवशेष आज भी मौजूद हैं. कहा जाता है कि जिस बालिका से व्यंग किया गया वह मां भद्रकाली ही बालिका के रूप में वहां पहुंची थीं.

मां भद्रकाली के प्रकोप से पूरी बारात बन गई थी पत्थर.

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लोग बताते हैं कि महाभारत काल का यह कस्बा सहपऊ है. जहां मां भद्रकाली का मंदिर है. इस कस्बे का नाम पांचों पांडवों में सहदेव के नाम पर सहपऊ पड़ा. यह मंदिर करीब 500 साल पुराना बताया जाता है. बताते हैं कि मां का स्थान पहले एक पीपल के पेड़ के नीचे था. भक्तों पर मां की कृपा होती रही तो मां को उन्होंने विशाल भवन में विराजमान कर दिया.

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एंकर- हाथरस के कस्बा सहपऊ में मां भद्रकाली महाशक्ति पीठ है।मां यहां आने वाले हर एक बंदे की मनोकामना पूरी करती है।यही कारण है कि कभी पीपल के नीचे बैठी मां को भक्तों ने विशाल भवन में विराजमान किया है। मां और मंदिर का पौराणिक महत्व भी है। बताते हैं कि मां ने व्यंग करने पर एक बरात को पत्थर का बना दिया था।


Body:वीओ1- हाथरस के कस्बा सहपऊ में स्थित मां भद्रकाली के दर्शन करने लोग देश -विदेशों तक से आते हैं। मान्यता है कि मां के दरबार में जो भी मनोकामना लेकर आता है उसकी वह मनोकामना पूरी होती है।मां की इस महिमा को देखकर भक्त उन्हें पूजते हैं और अपनी श्रद्धा अनुसार मंदिर की भव्यता के लिए भी अपना सहयोग करते हैं। लोग बताते हैं कि महाभारत काल का यह कस्बा सहपऊ है।जहां मां भद्रकाली का मंदिर है।इस कस्बे का नाम नकुल ,सहदेव मैं से सहदेव के नाम पर सहपऊ पड़ा। मंदिर करीब 500 साल पुराना बताया जाता है। बताते हैं कि मां का स्थान पहले एक पीपल के पेड़ के नीचे था ।भक्तों पर मां की कृपा होती रही तो मां को उन्होंने विशाल भवन में विराजमान कर दिया। मां की महिमा के अनेकों अनेक किस्से हैं। मां के इसी मंदिर में पत्थर के कुछ अवशेष भी हैं ।जिनके बारे में बताया जाता है कि यहां एक पूरी बरात थी जो पत्थर की बन गई।लोग बताते हैं इस जगह पर पहले बरात रुका करती थी। बरात में से किसी युवक ने वहां आई एक बालिका पर व्यंग किया था जिसके बाद पूरी की पूरी बरात पत्थर के रूप में तब्दील हो गई थी। बताते हैं कि जिस बालिका से व्यंग किया गया वह मां भद्रकाली ही बालिका का रूप लेकर वहां पहुंची थी।
बाईट1-अजय-मंदिर पुजारी
बाईट2-रजत उपाध्याय-स्थानीय नागरिक।


Conclusion:वीओ2- मां भद्रकाली की महिमा और किस्से लोग बताते -बताते नहीं थकते।

अतुल नारायण
9045400210
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