गोरखपुर: दुनिया में कई अद्भुत निर्माण विरासत हैं, जो वक्त के साथ जर्जर होती जा रही हैं. इनके स्वर्णिम इतिहास और निर्माण को बचाने के लिए विश्व विरासत दिवस या विश्व धरोहर दिवस मनाया जाता है. वैसे तो अनेक वैश्विक स्तर की धरोहरें हैं, जो दुनियाभर में प्रसिद्द हैं. लेकिन, अगर हम भारतीय विश्व धरोहरों की बात करें तो भारत में वर्तमान में 40 विश्व धरोहरे हैं. यूनेस्को ने भारत में कुल 40 विश्व धरोहरों को घोषित किया है. इनमें सात प्राकृतिक, 32 सांस्कृतिक और एक मिश्रित स्थल है. देश में इसको लेकर कई आयोजन हो रहे हैं तो गोरखपुर में इस दिवस को छायाचित्र प्रदर्शनी के माध्यम से राजकीय बौद्ध संग्रहालय ने मनाया, जो आकर्षण का केंद्र रहा.
भारत में सबसे पहली बार एलोरा की गुफाओं (महाराष्ट्र) को विश्व विरासत स्थल घोषित किया था. यूनेस्को द्वारा घोषित सबसे ज्यादा विश्व विरासत महाराष्ट्र में है. विश्व धरोहर दिवस पर भारत की प्रमुख विरासतों में से लाल किला, अजंता व एलोरा की गुफाएं, नालंदा विश्वविद्यालय, महाबोधि मंदिर, बोधगया, सांची के बौद्ध मंदिर, खजुराहों, महाबलीपुरम, हुमायूं का मकबरा, सुंदरबन, कोणार्क सूर्य मंदिर, कंचनजंगा नेशनल पार्क, ताजमहल हैं.
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विश्व विरासत दिवस के अवसर पर ‘हमारी संस्कृति, हमारी विरासत‘ विषयक छायाचित्र प्रदर्शनी राजकीय बौद्ध संग्रहालय, गोरखपुर (संस्कृति विभाग, उ0प्र0) द्वारा विश्व विरासत दिवस के अवसर पर ‘‘हमारी संस्कृति, हमारी विरासत‘‘ विषयक छायाचित्र प्रदर्शनी का आयोजन शहर के एक पब्लिक में किया गया, जिसमें लोगों की भागीदारी रही. यह विशेषकर छात्र-छात्राओं के लिए अत्यन्त लाभप्रद रही. प्रदर्शनी में देश के प्राचीन ऐतिहासिक धरोहरों के महत्व के विभिन्न पहलुओं को दिखाने के साथ उनके संरक्षण के प्रति भावी पीढ़ी के युवाओं को जागरूक करने का एक सार्थक प्रयास किया.
इस अवसर पर संग्रहालय के उप निदेशक डाॅ. मनोज कुमार गौतम ने बताया कि दुनियाभर में 18 अप्रैल को विश्व धरोहर दिवस मनाया जा रहा है. यह एक प्रयास है कि संग्रहालय स्कूलों में और अपनी विरासत से नई पीढ़ी को परिचित कराया जाए ताकि इसके प्रति नई पीढ़ी में जागरूकता आए और हम अपनी संस्कृति व विरासत को सशक्त बना सकें. किसी भी देश के लिए उसकी धरोहर उसकी अमूल्य संस्कृति होती है. किसी भी देश की पहचान, वहां की सभ्यता की जानकारी इन धरोहरों से ही पता चलती है.
विश्व धरोहर दिवस को मनाने का प्रस्ताव सर्वप्रथम 18 अप्रैल 1982 को ट्यूनीशिया में आयोजित अंतरराष्ट्रीय स्मारक व पुरास्थल परिषद की बैठक में किया गया, जिसके सुझाव को 1983 में यूनेस्को सम्मेलन में अनुमोदित किया गया, तब से प्रत्येक वर्ष 18 अप्रैल को विश्व धरोहर दिवस का आयोजन किया जाता है. उन्होंने यह भी कहा कि यूनेस्को द्वारा प्रत्येक वर्ष एक थीम (अवधारणा) दी जाती है और इस वर्ष 2022 की थीम है Heritage and Climate या ‘धरोहर और जलवायु.‘
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