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गोरखपुर मेयर चुनाव 2023 के रुझान 2017 जैसे, जानिए किसकी जीत के आसार

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Published : May 13, 2023, 12:27 PM IST

यूपी निकाय चुनाव के प्राथमिक रुझान आ चुके हैं. प्रत्याशी जीत हार के आंकड़े संहेजने में जुटे हैं. प्राथमिक रुझान में बड़े अंतर से पिछड़े के बाद की तस्वीर कुछ साफ जाती है. ऐसी ही स्थिति गोरखपुर के मेयर प्रत्याशी पद देखने को मिल रही है.

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गोरखपुर : निकाय चुनाव 2023 की मतगणना गोरखपुर विश्वविद्यालय परिसर में चल रही है. मतगणना के शुरू होने के साथ आ रहे रुझान को देखते हुए वर्ष 2017 में हुए चुनाव और मतगणना की स्थिति का दोहराव नजर आ रहा है. जिस प्रकार वर्ष 2017 के चुनाव की मतगणना में शुरुआती दौर से ही भारतीय जनता पार्टी के महापौर प्रत्याशी सीताराम जायसवाल अपने प्रतिद्वंद्वी समाजवादी पार्टी के राहुल गुप्ता से लगातार बढ़त बनाए हुए थे. उसी प्रकार 2023 के इस चुनावी मतगणना में भाजपा के महापौर प्रत्याशी डॉ. मंगलेश श्रीवास्तव, समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी फिल्म अभिनेत्री काजल निषाद से लगातार दो राउंड में बढ़त बनाए हुए हैं. मतों का अंतर 6 हजार से अधिक का है.

पहले ही राउंड में बीजेपी प्रत्याशी मंगलेश श्रीवास्तव 10895 मत पाकर समाजवादी पार्टी से करीब 4721 मतों से आगे चल रहे हैं. वहीं पर पार्षदों के आ रहे परिणाम में भी मिलाजुला असर देखने को मिल रहा है. वार्ड नंबर 22 से जहां निर्दलीय समद गुफरान खान चुनाव जीतने में कामयाब रहे तो बिछिया वार्ड से बीजेपी के राजेश कुमार चुनाव जीत गये हैं। वार्ड नम्बर 64से कांग्रेस का प्रत्याशी जीता है.

वर्ष 2017 में गोरखपुर नगर निगम का मतदान पहले चरण में 22 नवंबर को हुआ था. इस बार वर्ष 2023 में भी पहले चरण में 4 मई को यहां वोट डाला गया था. 2017 में यहां 70 वार्ड के लिए चुनाव हुए थे. 2023 में 10 वार्ड का इजाफा करते हुए कुल 80 वार्डों में पार्षदों के लिए मतदान हुआ. भाजपा को तब 27 वार्डों में जीत मिली थी तो सपा ने 18, बसपा ने दो और कांग्रेस ने 2 सीटें जीती थीं. बाकी सीटों पर निर्दलीयों ने अपना कब्जा जमाया था. महापौर की सीट पर सीताराम जायसवाल को 1 लाख 46 हजार 187 वोट तो सपा प्रत्याशी राहुल गुप्ता को 70 हजार 215 मत मिले थे. सीताराम ने इन्हें 75 हजार 972 मतों से हराया था. इस चुनाव में समाजवादी पार्टी को छोड़ अन्य सभी महापौर के प्रत्याशियों की जमानत भी जब्त हो गई थी. आम आदमी पार्टी के सरवन जैस्वाल 4000 मतों की संख्या भी पार नहीं कर पाए थे.

पार्षदों की बात करें तो बीजेपी ने 2012 के मुकाबले 2017 में अपने सीटों में इजाफा तो किया लेकिन, उसकी संख्या इतनी नहीं थी कि वह बोर्ड बना सकें. जिसमें 70 वार्डों के लिए 36 पार्षदों का जितना अनिवार्य था. भाजपा 27 तो समाजवादी पार्टी 18 पर ही जीत पाई थी. हालांकि निर्दलीयों के समर्थन से बीजेपी के महापौर सीताराम जायसवाल अपना पांच साल का कार्यकाल सफलता के साथ पूर्ण कर ले गए. वर्ष 2000 के महापौर चुनाव में यहां से किन्नर आशा देवी महापौर का चुनाव जीतने में कामयाब हुई थीं. 1995, 2006, 2012 और 2017 में बीजेपी अपना महापौर जिताने में कामयाब रही और उसके जीत का अंतर भी लगातार बढ़ता गया. जिसमें हारने वाली पार्टी समाजवादी ही रही. इस बार भी उसकी प्रत्याशी काजल निषाद ने पूरा दमखम लगाया, लेकिन जो मतगणना का रुझान मिल रहा है. वह भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में जाता हुआ दिखाई दे रहा है.



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