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Geeta Press: फिल्मों और सीरियलों में भी दिखती है गीता प्रेस की चित्रकारी, रामानंद सागर, पृथ्वी राजकपूर रहे हैं इसके मुरीद

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Published : Jun 23, 2023, 7:51 PM IST

गोरखपुर की गीता प्रेस को 2021 का गांधी शांति पुरस्कार दिया जाएगा. 100 साल पुरानी यह संस्था हिंदू धर्म के धार्मिक ग्रंथों को छापती है. यहां पूर्व राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद और राम नाथ कोविंद भी लीला चित्र का मंदिर देखने आये थे. रामायण सीरियल के निर्माता रामानंद सागर भी यहां आकर इसका अवलोकन कर चुके हैं.

गोरखपुर की गीता प्रेस
गोरखपुर की गीता प्रेस

गोरखुपर गीता प्रेस का इतिहास.



गोरखपुर: गीता प्रेस गोरखपुर विश्व स्तर पर धार्मिक पुस्तकों की छपाई के सबसे बड़े केंद्र के रूप में अपनी पहचान रखता है. यहां स्थापित लीला चित्र मंदिर भगवान राम और कृष्ण के जीवन चरित्र और बाल लीलाओं की अद्भुत गैलरी है. जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है. यही वजह है कि रामायण सीरियल बनाने के दौरान निर्माता रामानंद सागर यहां आकर इसका अवलोकन किए. सीरियल में कलाकारों के ड्रेस से लेकर दरबार तक कुछ ऐसा ही बनाने का उन्होंंने प्रयास किया, जैसा लीला चित्र मंदिर में दर्शाया गया है. वहीं, पृथ्वीराज कपूर को भी अपने फिल्मों के लिए सेट बनाने से लेकर कुछ मार्गदर्शन यहां से मिला है.

गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार: गीता प्रेस गोरखपुर की खासियत यह है कि यहां पूर्व राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद और राम नाथ कोविंद भी लीला चित्र मंदिर को देखने में अपना विशेष समय दिए. इन चित्रों को बनाने वाले 3 चित्रकार थे. ये तीनों चित्रकार अपनी सेवा और कहीं नहीं दिए. ये चित्रकार यहीं के होकर रह गए. गीता प्रेस की विभिन्न धार्मिक पुस्तकों में यहीं के चित्र छपते हैं. इसकी ख्याति और सनातन परंपरा को आगे बढ़ाने में इसकी पहल समाजिक स्वीकारोक्ती की ही देन है कि इसे 2021 का गांधी शांति पुरस्कार दिया जाएगा. 'गीता प्रेस ने 100 साल में लोगों के बीच काफी सराहनीय काम किया है.

गोरखपुर की गीता प्रेस
गोरखपुर की गीता प्रेस को 2021 का गांधी शांति पुरस्कार.

रामानंद सागर पहुंचे थे गीता प्रेसः गीता प्रेस के ट्रस्टी देवीदयाल अग्रवाल ने कहा कि जब रामानंद सागर 1990 के दशक में रामायण सीरियल बनाने के दौरान यहां आए थे. उस दौरान वह भी उनके साथ ही थे. लीला चित्र मंदिर में भगवान राम का दरबार, मंच की साज सज्जा और दरबार को देखकर उन्होंने कहा कि रामायण सीरियल में वह जो कुछ भी परोस पाये हैं. वह गीता प्रेस का जूठन भी नहीं है. यहां से जाने के बाद उन्होंने अपने तमाम एपिसोड में नए साज सज्जा का स्वरूप प्रदान किया. उन्होंने कहा कि महाभारत सीरियल बनाने वाले लोग भी यहां पर आए थे. कृष्ण लीला से संबंधित चीजों का अवलोकन कर सीरियल में उसे जोड़ने का भी उन्होंने प्रयास किया था. ट्रस्टी देवीदयाल अग्रवाल ने कहा कि 100 वर्ष के अपने कार्यकाल में तमाम तकनीकी पहलुओं से खुद को जोड़ते हुए गीता प्रेस ने आज जिस मुकाम पर लोगों के भरोसे के साथ खड़ा है. उसका ही परिणाम है कि उसे लोगों का स्नेह मिल रहा है.

गीता प्रेस ने जनमानस के लिए कार्यः गांधी शांति पुरस्कार मिलने के संबंध में प्रबंधक लालमणि तिवारी ने कहा कि निश्चित रूप से लोगों की स्वीकारोक्ति को सरकार की भी स्वीकृति मिली है. गीता प्रेस ने जनमानस के लिए जो कार्य किया है. उसके लिए उसे पुरस्कार से नवाजा गया है. हालांकि यह संस्थान किसी पुरस्कार को पाने की उद्देश्य से कोई कार्य नहीं करता है. लेकिन जब पुरस्कार मिलता है तो इसकी जिम्मेदारियां और बढ़ जाती हैं.

गीता प्रेस के स्थाई चित्रकार: ट्रस्टी ने बताया कि रामानंद सागर यहां 4 दिन तक रुके थे. रामायण धारावाहिक के पात्र राम, लक्ष्मण, सीता, हनुमान, कौशल्या, सुग्रीव आदि के आभूषण और वस्त्र की डिजाइन उन्होंने यहीं से प्रभावित होकर कराया था. इन चित्रों को तैयार करने वाले गीता प्रेस के स्थाई चित्रकार बीके मित्रा, जगन्नाथ गुप्ता और भगवानदास ने 1930 से 1980 में इसे बनाया था. जो पूरी तरह से जीवंत लगता है. गोरखपुर प्रवास के दौरान सुप्रसिद्ध फिल्म अभिनेता, निर्माता-निर्देशक पृथ्वीराज कपूर भी इन चित्रों को देखकर बेहद प्रसन्न हुए थे. उन्होंने भगवानदास चित्रकार को मायानगरी आने का निमंत्रण तक दिया था. लेकिन भगवान दास ने उनके निमंत्रण को अध्यात्म के आगे अस्वीकार कर दिया था.

अयोध्या में गीता प्रेस के चित्रों की छविः ट्रस्टी ने बताया कि इन तीनों चित्रकारों ने पौराणिक कथाओं के श्लोक और कहानियों से हजारों चित्रों को अनुभूति के आधार पर बनाया. माना जा रहा है कि अयोध्या में बन रहे राम मंदिर के श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र परिसर में भगवान राम से जुड़े अन्य पात्रों की मूर्तियों में भी गीता प्रेस में लगे चित्रों की छवि देखने को मिल सकती है. तीर्थ क्षेत्र से जुड़े ट्रस्टी इस मामले में गीता प्रेस आने वाले हैं. करीब 10 हजार से अधिक चित्रों को इन चित्रकारों ने बनाने का कार्य किया था. जो बहुत ही सलीके से लीला चित्र मंदिर में प्रदर्शित किए गए हैं. माना जा रहा है कि यह लंबे समय तक खराब नहीं होंगे. इसमें इस तरह के पेंट और कागज, कपड़े का उपयोग हुआ है.

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