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स्नातक एमएलसी चुनाव में गोरखपुर सीट पर दावेदारी को लेकर बीजेपी में घमासान, सपा ने उतारा प्रत्याशी

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Published : Jan 3, 2023, 1:17 PM IST

गोरखपुर-अयोध्या क्षेत्र में 30 जनवरी को विधान परिषद का चुनाव होना है. ऐसे में भारतीय जनता पार्टी में सीट को लेकर घमासान जा रही है. वहीं, सपा ने अपना प्रत्याशी मैदान में उतार दिया है. जबकि कांग्रेस अभी खामोशा है और बसपा को हाईकमान को आदेश का इंतजार है.

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एमएलसी चुनाव

गोरखपुरः प्रदेश में स्नातक और शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र की सीटों पर विधान परिषद का चुनाव 30 जनवरी को होना है. यह चुनाव गोरखपुर-अयोध्या क्षेत्र स्नातक मतदाताओं का है. इसके एमएलसी चुनाव को लेकर सबसे ज्यादा घमासान भारतीय जनता पार्टी में ही उम्मीदवारी को लेकर है. फिलहाल इस सीट पर भाजपा के देवेंद्र प्रताप सिंह वर्तमान में एमएलसी हैं और वह मजबूती से अपनी दावेदारी भी कर रहे हैं, लेकिन पुराने सपाई और समय-समय पर इनके बयान और क्रियाकलापों से पार्टी की छवि प्रभावित रही है.

वहीं, सपा ने दो माह पहले ही प्रत्याशी घोषित कर दिया है, जबकि बसपा को हाईकमान के आदेश का इंतजार है. कांग्रेस भी अभी खामोश है, लेकिन चर्चा और निगाह सबकी इस बार भारतीय जनता पार्टी पर ही टिकी हुई हैं, क्योंकि यह सीट मौजूदा समय में बेहद महत्वपूर्ण हो गई है.

स्नातक एमएलसी के चुनाव में कुल 17 जिलों के स्नातक यानी कि ग्रेजुएट मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करते हैं. इस क्षेत्र में जो जिले आते हैं उसमें गोरखपुर, बस्ती, देवरिया, कुशीनगर, महाराजगंज, संत कबीर नगर, सिद्धार्थनगर, बहराइच, आजमगढ़, मऊ, सुल्तानपुर, अमेठी, अयोध्या, अंबेडकरनगर, श्रावस्ती, गोंडा और बलरामपुर हैं. इन जिलों में कुल 2 लाख 48 हजार मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. इस चुनाव में प्रत्याशियों की व्यक्तिगत पहुंच और मतदाताओं को बनाने में की गई सक्रियता काम आती है.

हालांकि जब से यह चुनाव प्रारंभ हुआ है गोरखपुर क्षेत्र से ही एमएलसी चुना गया है, लेकिन मौजूदा दौर का जो चुनाव है वह बेहद दिलचस्प है और खासकर भारतीय जनता पार्टी से प्रत्याशी बनने को लेकर. यहां से देवेंद्र प्रताप सिंह स्नातक एमएलसी का चुनाव तीन बार जीतने में कामयाब रहे हैं. दो बार तो समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव जीते हैं और एक बार उन्हें शिकस्त भी खानी पड़ी है. चौथे चुनाव में वह भारतीय जनता पार्टी के खेमे में आ गए और 2017 का चुनाव करीब 38 सौ वोटों से जीत गए हैं. मौजूदा परिस्थितियों में वह खुद को मजबूत दावेदार मान रहे हैं.

अपनी उम्मीदवारी को लेकर जिले से लेकर केंद्रीय नेतृत्व तक दौड़ लगा रहे हैं, लेकिन पार्टी के भीतर से उनके खिलाफ उठ रही सुगबुगाहट की वजह से अन्य प्रत्याशी भी जोर आजमाइश कर रहे हैं. इसमें शिक्षा जगत से जुड़े और पूर्व में चुनाव लड़ चुके डॉ. संजयन त्रिपाठी अपनी मजबूत दावेदारी जता रहे हैं. देवेंद्र प्रताप सिंह ने इन्हीं को हराया था, लेकिन विधानसभा चुनाव से ठीक पहले यह भारतीय जनता पार्टी के खेमे में आ गए हैं और इन्हें पार्टी ने चुनाव लड़ाने का आश्वासन भी दिया था. इसलिए अपनी दावेदारी को लेकर यह मजबूती से प्रयास कर रहे हैं. फिलहाल गोरखपुर भारतीय जनता पार्टी के क्षेत्रीय कार्यालय से जो रणजीत बन रही है उसमें अभी तक किसी का नाम फाइनल नहीं हुआ है, जो राज्य मुख्यालय और केंद्र मुख्यालय को भेजा जा सके.

क्षेत्रीय अध्यक्ष डॉ. धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि नामों का पैनल तय किया जा रहा है. नेतृत्व से जैसे ही डिमांड आएगी उसे भेज दिया जाएगा, जो प्रत्याशी होगा पूरी पार्टी उसके लिए दमखम लगाएगी. वहीं, संजयन त्रिपाठी भी अपनी उम्मीदवारी के संबंध में यही कहते हैं कि पार्टी चुनाव लड़ाती है तो वह चुनाव जीतने के लिए पूरी ताकत झोंक देंगे.

मौजूदा एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह का कहना है कि चुनावी जीत के साथ मौजूदा परिस्थितियां उनके पक्ष में खड़ी हैं. केंद्रीय नेतृत्व से भी उन्हें आश्वस्त किया गया है इसीलिए प्रचार अभियान जारी है. उम्मीदवारी हुई तो जीत सुनिश्चित है. वहीं, समाजवादी पार्टी ने 2 माह पहले आजमगढ़ के करुणाकांत मौर्य को प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतार दिया है. खुद प्रत्याशी और गोरखपुर के जिलाध्यक्ष अवधेश यादव का कहना है कि पार्टी चुनाव जीतने के लिए पूरा दमखम लगा देगी.

बसपा को अपने हाईकमान के निर्देश का इंतजार है और कांग्रेस खामोश है. फिलहाल इस चुनाव की असली तस्वीर नामांकन का वक्त आते 15 जनवरी तक साफ हो जाएगी, लेकिन इस चुनाव में भी घमासान कम नहीं है.

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