ETV Bharat / state

गोरखपुर रेलवे मना रहा 70वीं वर्षगांठ, आपात स्तिथि में हुआ था गठन

author img

By

Published : Apr 14, 2021, 9:22 PM IST

गोरखपुर जिले में पूर्वोत्तर रेलवे ने अपनी स्थापना के 70 वीं वर्षगांठ को मना रहा है. कोरोना संक्रमण के दौरान लाखों प्रवासियों को गंतव्य तक पहुंचाने में यह अपना अहम रोल अदा किया. 69 साल पहले 14 अप्रैल 1952 को पूर्वोत्तर रेलवे की नीव पड़ी थी.

14 अप्रैल 1952 को पूर्वोत्तर रेलवे की नीव पड़ी
14 अप्रैल 1952 को पूर्वोत्तर रेलवे की नीव पड़ी

गोरखपुर : जिले में पूर्वोत्तर रेलवे ने बुधवार यानी 14 अप्रैल को अपनी स्थापना के 70 वीं वर्षगांठ को मना रहा है. अपनी कार्यप्रणाली के बल पर देश के सभी रेल जोन में यह अव्वल दर्जे का स्थान भी हासिल किया है. कोरोना संक्रमण के दौरान लाखों प्रवासियों को गंतव्य तक पहुंचाने में भी यह अपना अहम रोल अदा किया. आज से ठीक 69 वर्ष पहले 14 अप्रैल 1952 को पूर्वोत्तर रेलवे की नींव पड़ी थी. जब देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने राजधानी दिल्ली से ही इसका उद्घाटन किया था. अपने अस्तित्व में आने के बाद 7,660 किलोमीटर क्षेत्र में फैले इस जोन के कुछ भाग को अलग कर पूर्वोत्तर सीमांत और पूर्वोत्तर मध्य रेलवे नए जोन के रूप में बनाए गए. इससे पूर्वोत्तर रेलवे का क्षेत्रफल तो जरूर कम हो गया लेकिन इसके विकास की रफ्तार कभी धीमी नहीं पड़ी. इसके माध्यम से उत्तराखंड से लेकर बिहार तक ट्रांसपोर्टेशन की सुविधा भी काफी आसान हो चुकी है.

कोरोना के समय में प्रवासी मजदूरों को ढोने का बनाया रिकॉर्ड

पूर्वोत्तर रेलवे के सीपीआरओ पंकज कुमार सिंह की माने तो कभी छोटी लाइन के नाम से प्रसिद्ध रहे, इस रेलवे का मौजूदा समय में 90 प्रतिशत से अधिक लाइन बड़ी लाइन में परिवर्तित हो चुकी है. ज्यादातर लाइनों का विद्युतीकरण और दोहरीकरण हो चुका है. कुछ जगहों पर तीसरी रेलखंड भी बनाये जाने का कार्य चल रहा है. वहीं मौजूदा समय में स्टेशन भी अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस हो चुके हैं. जिस समय यह जोन बना था उस समय सिर्फ छोटी लाइन ही थी, लेकिन वर्तमान में मात्र 331 किलोमीटर छोटी लाइन बची है. जबकि 3,141 किलोमीटर बड़ी रेल लाइन में तब्दील हो चुकी है. 2,287 किलोमीटर रेल लाइन का विद्युतीकरण हो चुका है. कोरोना महामारी में लॉकडाउन के दौरान श्रमिक स्पेशल गाड़ियों से 9 लाख से अधिक यात्रियों को ढोने का कार्य भी इसके द्वारा किया गया है.

पूर्वोत्तर से अलग होकर बने पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे और पूर्व मध्य रेलवे

पूर्वोत्तर रेलवे की स्थापना से पहले इसे तिरहुत रेलवे के नाम से जाना जाता था. बाद में यह अवध-तिरहुत नाम से भी जाना गया. यह नाम उत्तर और पूरब के क्षेत्र में रेलवे के हो रहे विकास की वजह से पड़ा. रेलवे के अभिलेखों के अनुसार अवध तिरहुत रेलवे, असम रेलवे, बांबे-बड़ौदा और सेंट्रल इंडिया रेलवे के फतेहगढ़ को मिलाकर, पूर्वोत्तर रेलवे वजूद में आया. तब असम से बिहार-उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सहित देश के कई क्षेत्रों में इसका विस्तार था.

15 जनवरी 1958 को पूर्वोत्तर रेलवे से निकलकर पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे अलग जोन बन गया. जिसमें असम का क्षेत्र समाहित था. 1 अक्टूबर 2002 को रेल मंत्रालय ने पूर्वोत्तर रेलवे से बिहार क्षेत्र को अलग कर पूर्व मध्य रेलवे नाम से नया जोन बना दिया. वर्तमान में यह रेलवे 3,472 किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला है. जिसका मुख्यालय गोरखपुर में है. वहीं लखनऊ, वाराणसी और इज्जत नगर इसके मंडल के रूप में शामिल है.

उपलब्धियों की श्रेणी की बात करें तो रेल मदद ऐप के जरिए यात्री सेवा निस्तारण में यह देश में अव्वल रहा है. देश में सर्वाधिक स्क्रैप निस्तारण में भी इसने सफलता हासिल की है. वर्तमान में इस मुख्यालय पर प्लेटफार्म पर लिफ्ट स्कलेटर, फुट ओवर ब्रिज, उच्चीकृत प्लेटफार्म, एसी वेटिंग हॉल और ट्रेनों में हाफ मैनवाश तक लगाए जा चुके हैं.

इसे भी पढ़े-वाराणसी से अफ्रीकी देश मोजांबिक भेजा गया दो लोकोमोटिव रेल इंजन

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.