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गोरखपुर: पीएम आवास योजना में भ्रष्टाचार, सीएम योगी के आदेश पर शुरू हुई जांच

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Published : Jul 15, 2022, 1:26 PM IST

Updated : Jul 15, 2022, 2:01 PM IST

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पीएम आवास योजना में भ्रष्टाचार

गोरखपुर में प्रधानमंत्री आवास योजना (PM Awas Yojana) में भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं. इस पर जिला अधिकारी ने जिला नगरीय विकास अभिकरण को जांच के आदेश दिए हैं.

गोरखपुरः जनपद के धर्मशाला बाजार वार्ड में प्रधानमंत्री आवास योजना (PM Awas Yojana) के तहत चयनित लाभार्थियों द्वारा पैसा लेकर मकान नहीं बनाने का मामला सामने आया है. इस सूची में करीब 60 लोगों के नाम योजना के क्रियान्वयन में लगी हुई है. जब संस्था ने रिकवरी के लिए यह सूची जिलाधिकारी को सौंपी, तो मामले ने राजनीतिक रूप ले लिया. इस वार्ड के पूर्व सभासद और भाजपा नेता राजू सिंह ने सूची के जरिए वार्ड में पीएम आवास योजना में बड़े भ्रष्टाचार किए जाने का आरोप लगाया. उन्होंने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री से की. उन्होंने कहा कि अगर सही तरीके से जांच हो तो करोड़ों रुपए का वारा न्यारा सामने आएगा.

जानकारी देते परियोजना अधिकारी विकास सिंह

मुख्यमंत्री ने लिया संज्ञानः जिसके बाद संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारी को इस मामले की जांच कराने का निर्देश दिया. इसके बाद जिलाधिकारी ने जिला नगरीय विकास अभिकरण (DUDA) को मामले की जांच सौंप दी. इसकी जांच में जो नतीजे निकलकर सामने आ रहे हैं. उसमें विपरीत परिस्थितियों की वजह से मकान के पैसे को दूसरे मद में खर्च कर देने वाले गरीब पात्र लोग हैं. जिन्होंने अब धीरे-धीरे मकान बनाने शुरू कर दिए हैं. जिलाधिकारी ने जिला नगरीय विकास अभिकरण (DUDA) के परियोजना निदेशक ने ईटीवी भारत से कहा है कि जांच में फिलहाल भ्रष्टाचार की पुष्टि नहीं हो रही है. जिन लोगों को आरोपी बनाया गया है. वो लोग धीरे-धीरे मकान बना रहे हैं. कोरोना काल की वजह से निर्माण प्रभावित हुआ था. लेकिन, अब निर्माण की प्रगति अच्छी चल रही है.


डूडा की जांचः उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थियों को माकान निर्माण शुरू करने के लिए पहली किस्त के रूप में 50 हजार रूपये खाते में मिलता है. निर्माण शुरू होने के बाद इसकी जियो टैगिंग की जाती है. फिर सर्वे की रिपोर्ट के बाद उसे डेढ़ लाख रुपए की दूसरी किस्त भेजी जाती है. मकान की जब छत लगने को होती है तो लाभार्थी को 50 हजार रूपये और खाते में भेजा जाता है. धर्मशाला बाजार में करीब ढाई सौ से अधिक लोगों को इस योजना के तहत चयनित किया गया था. जिनमें से 190 से अधिक लोगों ने अपने आवास पूर्ण कर लिए हैं. सिर्फ 60 लोग ही ऐसे हैं. जिनका बजट कोरोना काल में जारी हुआ था उन्हीं के माकान निर्माण में यह दिक्कतें आई हैं.

ईटीवी भारत की टीम ने मौके की पड़ताल किया तो ऐसे तमाम लोग मिले हैं जो अपना निर्माण कराते हुए पाये गये हैं. कोरोना काल में लोगों ने पैसों को इधर उधर खर्च कर दिया था. लेकिन, अब वह निर्माण करा रहे हैं. इस मामले में विभाग ने भी निर्माण पर लाभार्थियों को दोषी नहीं मानता है. एक ही जमीन पर तीन भाइयों के ऊपर- नीचे मकान बन सकते हैं यह भी योजना के नियम का ही एक हिस्सा है. लेकिन इन नियमों पर भ्रष्टाचार की चर्चा इतनी तेज हुई कि मामला सीएम के दरबार तक पहुंच गया. जिसके बाद इसकी जांच ने धर्मशाला बाजार वार्ड को पूरी तरह से चर्चा में लाकर खड़ा कर दिया है. जिला नगरीय विकास अभिकरण के परियोजना अधिकारी विकास सिंह ने कहा है कि 60 की सूची में दो चार लोग ही हैं जो निर्माण नहीं कराते हैं तो उन्हें मिली हुई रकम वापस करनी होगी. इसके लिए उन्हें आरसी भी जारी कर दी जाएगी.

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धर्मशाला बाजार के वर्तमान पार्षदः धर्मशाला बाजार के वर्तमान भाजपा के पार्षद छ्ठी लाल ने कहा कि पीएम आवास योजना में लाभार्थियों के चयन में पार्षद की कोई भूमिका नहीं होती है. तहसील प्रशासन ही लाभार्थियों का चयन करता है. जिला नगरीय विकास अभिकरण के माध्यम से उनके खाते में पैसे भेजे जाते हैं. जो लाभार्थी लाभ पाने से वंचित रह जाते हैं. वार्ड का जनप्रतिनिधि होने के नाते वह विभाग पर जांच करवाने की मांग करते हैं. उनके वार्ड में जिन 60 लाभार्थियों को लेकर शिकायत की गई है. ऐसे लोग कोरोना कॉल में पहली और दूसरी किस्त ही पाए थे. जो अपने निर्माण को पूर्ण नहीं करने की वजह से धीरे-धीरे पूर्ण करा रहे हैं. उन्होंने कहा कि पूर्व पार्षद के शिकायत की जांच हो रही है. जब जांच का परिणाम सामने आएगा तो पार्षद की शिकायत की हवा निकल जायेगी.

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Last Updated :Jul 15, 2022, 2:01 PM IST
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