गोरखपुरः क्षेत्र में एक डॉक्टर ने खेती अपना ली लेकिन लोगों को स्वस्थ करना नहीं छोड़ा. पहले दवा देते थे और काले चावल और काले गेहूं खिलाकर स्वस्थ बना रहे हैं. खेती अपनाने वाले डॉक्टर पुनीत भारद्वाज के अनुसार ये दोनों अनाज मोटापे, डायबिटीज के नियंत्रित करते हैं, साथ ही कैंसर की भी रोकथाम करते हैं. स्वास्थ्य ही नहीं आर्थिक दृष्टिकोण से भी यह बहुत लाभदायक हैं. अब डॉक्टर पुनीत क्षेत्र में इसका प्रचार प्रसार कर रहे हैं.
3 साल पहले की शुरुआत
बाल दन्त रोग विशेषज्ञ डॉ. पुनीत भारद्वाज ने 3 साल पहले खेती करनी शुरू की. उन्होंने काले चावल और काले गेहूं कि खेती के क्षेत्र में कदम रखा, जो पूर्वी उत्तर प्रदेश में बिल्कुल नयी थी. चुनौतियां तो बहुत मिलीं, लेकिन डॉ. पुनीत ने दृढ़निश्चय से सफलता की ओर कदम बढ़ाए. आज पुनीत दर्जनों किसानों को इस व्यवसाय से जोड़कर आत्मनिर्भर और स्वावलंबी बना रहे हैं. आम लोगों के बीच जाकर काले चावल व गेहूं के फायदों के बारे में बताने के साथ ही अपने उत्पाद को बड़े मंचों से बेचने का कार्य भी कर रहे हैं.
गोरखपुर महोत्सव में प्रदर्शन
गोरखपुर महोत्सव में लोकल फ़ॉर वोकल को बढ़ावा देने के उद्देश्य से पूर्वांचल के विभिन्न जिलों के उत्पादों का स्टॉल लगाया गया है. गोरखपुर के चंपादेवी पार्क में लगे इस महोत्सव में डॉ. पुनीत भारद्वाज का स्टॉल भी है. इसमें काला चावल व गेहूं कौतूहल का विषय बना हुआ है. इसकी महोत्सव में खूब डिमांड है. दो दिवसीय महोत्सव के पहले ही दिन कई किलो काला चावल व गेहूं की खरीदारी महोत्सव में आने वाले लोगों ने की. बुधवार को महोत्सव का अंतिम दिन है.
अन्य किसानों को प्रशिक्षण
डॉ. पुनीत भारद्वाज ने अकेले ही यह खेती नहीं की बल्कि अन्य किसानों को भी प्रशिक्षण दे रहे हैं. दरअसल, काले चावल व गेहूं की बिक्री अभी तक केवल ऑनलाइन प्लेटफार्मों के माध्यम से की जाती थी. ऐसे में लोगों को काले चावल व गेहूं के नाम पर कुछ भी बेचा जाता था, वो भी मुंह मांगे दामों पर. गोरखपुर के रहने वाले डॉ. पुनीत भारद्वाज ने बाकायदा काले चावल के बीजों को दक्षिण भारत से और काले गेहूं के बीजों को हरियाणा से लाकर इसकी खेती तीन साल पहले लखनऊ में शुरू की. इसके बाद गोरखपुर के आसपास के क्षेत्रों में किसानों को इस खेती का प्रशिक्षण देना शुरू किया. देखते ही देखते उन्होंने काले चावल और गेहूं की खेती के लिए दर्जनों किसानों को प्रशिक्षण देकर तैयार कर दिया. आज के समय में कई कुंतल काले चावल और गेहूं की पैदावर पूर्वांचल में होने लगी है.
बीमारियों से बचाव
काले चावल व गेहूं में एंथो शाइनिंग एंटी-ऑक्सीडेंट पाया जाता है जो शरीर से जुड़ी कई गंभीर बीमारियों को खत्म करता है. वहीं, शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है. इसके नियमित सेवन से डायबिटीज से बचाव होता है. यह कब्ज रोगियों के लिए फायदेमंद है. कैंसर से बचाव और मोटापा कम करता है. आंखों को लंबे समय तक स्वस्थ रखता है. केलोस्ट्रॉल कंट्रोल करता है. काले चावल की साल में केवल एक ही फसल होती है और सामान्य चावल से ज्यादा समय लगता है इसे पकने में. इसका टेस्ट भी सामान्य चावल से अलग होता है.
चावल 100 व गेहूं 50 रुपए किलो
डॉ. पुनीत भारद्वाज ने बताया कि 3 वर्षों में दर्जनों किसानों को प्रशिक्षण देकर इस खेती के साथ जोड़ चुके हैं. अब पूर्वांचल के कई जिलों के किसान काले चावल और गेहूं को मुख्य फसल के रूप में पैदा कर रहे हैं. 100 रुपए किलो चावल और 50 रुपए किलो गेहूं के हिसाब से किसान काले चावल और गेहूं को बेचने का कार्य कर रहे हैं. ऐसे में उन किसानों से उनके द्वारा तैयार किए गए फसलों को खरीदकर प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर इन्हें बेचने का कार्य डॉ. पुनीत भारद्वाज की फर्म कर रही है. काले चावल और गेहूं में विभिन्न औषधीय गुण हैं, इसकी वजह से लोग इसकी खरीदारी भी खूब कर रहे हैं. गेहूं को दलिया और आटे के रूप में भी बेचा जा रहा है. इससे किसान आत्मनिर्भर व स्वावलंबन के क्षेत्र में निरंतर आगे बढ़ रहे हैं. डॉ. पुनीत बताते हैं कि काला गेहूं और चावल केवल ऑनलाइन मार्केट में ही उपलब्ध था, वह भी ऊंचे दामों पर लेकिन अब बड़ी ही आसानी से सभी लोगों के मिल जा रहा है, वह भी उचित रेट पर.
महोत्सव में खरीदारी
गोरखपुर महोत्सव में पहुंचे संतोष कुमार सिंह की नजर जब काले चावल पर पड़ी तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा. इस चावल के औषधीय गुण से संतोष भलीभांति परिचित हैं. उन्होंने तत्काल काउंटर पर पहुंचकर काले चावल व गेहूं की खरीदारी की. उन्होंने बताया कि यह चावल औषधीय गुणों से भरा हुआ है. शुगर लेवल को मेंटेन रखता है. ऐसे में इस चावल को खरीदने के लिए उन्हें ऑनलाइन मार्केट का सहारा लेना पड़ता था, जो काफी महंगा भी पड़ता है. ऐसे में महोत्सव के माध्यम से अब उन्हें काला चावल व गेहूं आसानी से मिल गया.