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आकाशीय बिजली से बचने के लिए ये एप है कारगर, मिलती है सटीक जानकारी

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Published : Jul 13, 2023, 8:51 PM IST

गोरखपुर जिला आपदा प्रबंधन के अधिकारी
गोरखपुर जिला आपदा प्रबंधन के अधिकारी

'दामिनी एप' के माध्यम से आकाशीय बिजली से बचा जा सकता है. इस एप के से लोग आकाशीय बिजली गिरने की दूरी का भी अनुमान लगा सकते हैं. आइये विस्तार से जानते हैं इस एप के बारे में...

गोरखपुर जिला आपदा प्रबंधन के अधिकारी और प्राचार्य ने बताया.



गोरखपुर: बारिश के दिनों में आकाशीय बिजली की चपेट में आने से हर साल पूरे प्रदेश से लोगों की मरने और घायल होने की खबरे आती हैं. इस साल भी मानसून के दस्तक देते ही प्रतिदिन किसी न किसी जिले में बिजली की चपेट में आने से लोगों की मौत का सिलसिला जारी है. हालांकि आकाशीय बिजली से बचने के लिए शासन और जिला प्रशासन स्तर से लोगों को जागरूक किया जाता है लेकिन कुछ सुधार होता नजर नहीं आ रहा है. आकाशीय बिजली से बचने और इससे संबंधित सटीक जानकारी के लिए गोरखपुर में 'दामिनी एप' लॉन्च किया है. इसके साथ ही 'लाइटिंग अरेस्टर' की स्थापना की है.

गोरखपुर आपदा प्रबंधन की सतर्कताः गोरखपुर शहर के महात्मा गांधी पीजी कॉलेज में एक वेदर सपोर्ट संयंत्र पुणे इंस्टीट्यूट के सहयोग से स्थापित किया गया है, जो बिजली गिरने और अन्य मौसमी सूचनाओं से प्रशासन को अलर्ट करता है. जिससे करीब 450 किलोमीटर की एरिया में लोगों को इससे लाभ पहुंचाया जाता है. इसके बावजूद भी ऐसी घटनाएं हो ही जाती हैं. आकाशीय बिजली से लोगों की मौत न हो. इसके लिए गोरखपुर आपदा प्रबंधन विभाग ने दामिनी ऐप के साथ सतर्कता संदेश जैसे कई अभियान चला रखा है.

दामिनी एप से मिलती है जानकारीः गोरखपुर जिला आपदा प्रबंधन प्रबंधक गौतम गुप्ता ने बताया कि 'दामिनी एप' इसमें बहुत मददगार है. हर किसी को इसे अपने मोबाइल में डाउनलोड करना चाहिए. जिसके फोन में यह एप होगा, जब वह घर से निकलेंगे तो उन्हें इसके माध्यम से यह जानकारी मिल जाएगी कि अगले 7, 14 और 21 मिनट में बिजली कहां और किधर गिर सकती है. इसकी दूरी करीब 20 से 40 किलोमीटर की होती है. दामिनी एप यह भी बताएगा कि इस दूरी के बीच में वज्रपात कहां हो सकता है. जिसके माध्यम से लोग अपना रास्ता बदल सकते हैं. यह लोगों के बड़ा मददगार साबित हो रहा है.

बिजली चमकने से बचने के उपायः आपदा प्रबंधन अधिकारी ने बताया कि बिजली चमकने पर एकल पेड़ और बिजली के खंभे के पास खड़ा नहीं होना चाहिए. किसी छाए हुए एरिया में जाने का प्रयास करना चाहिए. खेती किसानी से जुड़े हुए या खुले क्षेत्र में जो लोग कार्य कर रहे हों, ऐसी परिस्थितियों में उन्हें उकडू होकर बैठ जाना चाहिए. जिससे वह इस आपदा से बच सकते हैं. उन्होंने बताया कि इसके अलावा जल निगम द्वारा भी ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की टंकियां बनाई गई हैं. उस पर लाइट अरेस्टर लगाया गया है. जिसके माध्यम से बिजली को नियंत्रित करने का प्रयास किया जाता है. करीब 70 प्रतिशत प्रयास इसके माध्यम से सफल भी हो रहा है. उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष मौत का आंकड़ा 4 का दर्ज किया गया था. वर्ष 2021-22 में यह आंकड़ा पंद्रह का था. इस बार इस तरह के आंकड़े सामने नहीं आए हैं. राजस्व विभाग की रिपोर्टिंग के बाद आंकड़े आपदा तक पहुंचते हैं. इसकी वजह से जिसकी भी मृत्यु होती है. उसे 4 लाख रुपये की सहायता प्रशासन उपलब्ध कराता है.


भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान की शोधः शहर के महात्मा गांधी पीजी कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अनिल कुमार सिंह ने बताया कि भारत सरकार के पृथ्वी मंत्रालय के अधीन कार्य करने वाली यह संस्था भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान पुणे और महात्मा गांधी पीजी कॉलेज गोरखपुर के बीच एक एमओयू हुआ था. दोनों संस्था आकाशीय बिजली, पृथ्वी के वातावरण एवं जलस्रोत पर मिलकर शोध कर रहे हैं.


संचार के माध्यम से दी जाती है जानकारीः कॉलेज के प्राचार्य ने बताया कि आकाशीय बिजली पर शोध एवं गिरने की सूचना देने वाले यंत्र (अर्थ नेटवर्क लाइटनिंग सेंसर) को रसायन विभाग में अमेरिका की कंपनी अर्थ नेटवर्क एवं भारत की कंपनी पालूशन इक्यूपमेंट एंड कंट्रोल नई दिल्ली द्वारा स्थापित किया गया है. इससे बिजली गिरने की जानकारी 45 मिनट पहले हो सकेगी. जिसको दूरदर्शन, आकाशवाणी और अन्य संचार माध्यमों के द्वारा लोगों को तक पहुंचाया जाता है.


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