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पूर्वांचल के खास चावल का इतिहास बताएगी 'द स्टोरी ऑफ काला नमक राइस' पुस्तक, खासियत जान रह जाएंगे हैरान

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Published : Apr 20, 2023, 12:52 PM IST

पूर्वांचल के खास चावल कालानमक के बारे में सूबे के लगभग सभी लोग जानते हैं. अब इस खास चावल की डिमांड पूरी दुनिया में होने लगी है. इसकी वजह इस चावल का बेहद गुणकारी होना है.

पूर्वांचल के खास चावल काला नमक की डिमांड अब विदेशों में भी होने लगी है.
पूर्वांचल के खास चावल काला नमक की डिमांड अब विदेशों में भी होने लगी है.

पूर्वांचल के खास चावल काला नमक की डिमांड अब विदेशों में भी होने लगी है.

गोरखपुर : कालानमक पूर्वांचल का खास चावल है. इसकी खुशबू ही इसकी पहचान है. माना जाता है कि महात्मा बुद्ध के प्रसाद के रूप में सबसे पहले इस चावल का इस्तेमाल किया गया था. यह चावल पिछले कई वर्षों में विलुप्त सा हो गया था. गोरखपुर से लगा सिद्धार्थनगर जिला इसके उत्पादन का प्रमुख केंद्र होता था. कुछ सालों से इसकी उपज मात्र 20% पर सिमट कर रह गई थी. कृषि वैज्ञानिक राम चेत चौधरी के प्रयास से अब इसकी पैदावार 70% तक पहुंच गई है. यह चावल पौष्टिकता से भरपूर होता है. कृषि वैज्ञानिक ने लोगों को इसकी खासियत बताने के लिए 'स्टोरी ऑफ कालानमक राइस' पुस्तक भी लिख डाली है.

कृषि वैज्ञानिक डॉ. राम चेत चौधरी ने बताया कि लोगों को काला नमक के इतिहास, उसकी प्रजातियां और खूबियां बताने के लिए उन्होंने 'स्टोरी ऑफ कालानमक राइस' पुस्तक की रचना की है. यह किताब देश ही नहीं विदेश की पहली ऐसी किताब है जिसमें कालानमक के बारे में विस्तार से जिक्र किया गया है. इस पुस्तक में काला नमक चावल खाने से क्या लाभ होगा, यह चावल किन-किन रोगों में लाभकारी होगा आदि की जानकारी दी गई है. कृषि वैज्ञानिक का दावा है कि अगर इस चावल को सुबह और शाम खाया जाए तो कोरोना जैसी बीमारी में यह जिंक की कमी को पूरा कर सकता है. रिसर्च से काला नमक की कई प्रजातियां उत्पन्न की गईं हैं. चावल में महक, स्वाद और पौष्टिकता बरकरार है. फिलहाल अभी यह ऑनलाइन उपलब्ध है. ऑफलाइन डिमांड के लिए कृषि वैज्ञानिक से संपर्क किया जा सकता है.

डॉक्टर चौधरी कहते हैं कि माना जाता है कि भगवान बुद्ध के प्रसाद के रूप में इस चावल का इस्तेमाल किया गया था. इस चावल की पैदावार अब बड़े क्षेत्रफल में की जा रही है. वर्ष 2022 तक यह दो हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में पैदा होता था. वहीं इस वर्ष 2023 में 70 हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में इसकी फसल लगाई गई. उनका कहना है कि यह दुनिया का सर्वोत्तम चावल है. इसमें सुगंध बासमती से भी ज्यादा है. इसके दाने छोटे होते हैं. इसकी कुटाई स्थानीय स्तर पर भी संभव है. इससे यह चावल टूटेगा नहीं. दूसरे चावल के सापेक्ष इसमें प्रोटीन की मात्रा दोगुनी होती है. इसमें जिंक की मात्रा 4 गुनी और आयरन की मात्रा 3 गुना होती है. यह मधुमेह रोगियों के लिए भी लाभदायक है. यह चावल अब विश्व बाजार की तरफ बढ़ चुका है. नेपाल, जर्मनी, दुबई और सिंगापुर भी इस चावल को भेजा जाता है. काला नमक चावल के निर्यात के लिए बोर्ड का गठन होना है. इसके बाद यह दुनिया के अन्य देशों में भी अपनी महक फैलाएगा. उन्होंने कहा कि उनकी पुस्तक में गुणों से भरपूर इस चावल के बारे में पूरी जानकारी दी गई है.

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