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बरसात के पानी के साथ बह गया रेन हार्वेस्टिंग का दावा, संचयन पार्क बना चारागाह

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Published : Oct 13, 2019, 11:56 PM IST

उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में नगर निकायों और नगरपालिका की लापरवाही सामने आई है. एक तरफ जहां सरकार वर्षा जल संचयन और जलाशय को पुनर्जीवित करने का प्रयास कर रही है. वहीं जिले में विकास भवन में बनाया गया वाटर हार्वेस्टिंग प्लांट बंद पड़ा रहा और वर्षा जल संचयन पार्क चारागाह बन गया.

जिले में रेन हार्वेस्टिंग का सपना टूटा.

गाजीपुर: केंद्र की मोदी सरकार ने सभी नगर निकायों और नगरपालिका को अपने इलाके में वर्षा जल संचयन की प्रभावी निगरानी के लिए कहा था, जिसमें वर्षा जल संचयन और जलाशय को पुनर्जीवित करने के निर्देश दिए गए थे. वहीं बरसात का मौसम आया और गुजर गया, लेकिन यह तमाम निर्देश बरसात के पानी के साथ नदियों में बह गए. जिले के विकास भवन में बनाया गया वाटर हार्वेस्टिंग प्लांट भी बंद पड़ा रहा और वर्षा जल संचयन पार्क चारागाह बन गया.

जिले में रेन हार्वेस्टिंग का सपना टूटा.

केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने 'शहरी जल संचयन' के लिए निर्देश जारी किया है. उसने कहा है कि नगर निगमों के 'वर्षाजल संचयन प्रकोष्ठ' भूजल निकालने और भूगर्भजल को पुन: भरने की कवायद पर नजर रखेंगे. मंत्रालय ने कहा कि लोगों को जागरूक करने के लिए इस आशय का संदेश किसी प्रमुख जगह से प्रसारित किया जाएगा.ये दिशानिर्देश एक जुलाई से आरंभ हुए 'जल शक्ति अभियान' के पहले चरण के तहत जारी किए गए हैं. अभियान का पहला चरण 15 सितंबर तक जारी रहेगा. इसका दूसरा चरण एक अक्टूबर से 30 नवंबर तक चलेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में अपने मासिक संबोधन 'मन की बात' में वर्षा जल के संरक्षण पर जोर देते हुए कहा था कि सफाई अभियान की तरह ही इसके लिए भी जन आंदोलन चलाने की जरूरत है.

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वहीं बता दें कि वर्षा जल संचयन की व्यवस्था नगर पालिका और नगर निकाय क्षेत्र में होना आवश्यक है, लेकिन विनियमित क्षेत्र गाजीपुर यानी मास्टर प्लान इन नियमों का अनुपालन जनता से भी कराने में नाकामयाब साबित हो रहा है. शासन के निर्देश पर सरकारी भवनों में तत्काल वर्षा जल संचयन की व्यवस्था करने का निर्देश जारी किया गया था. जिले में इसका अनुपालन भी हुआ, लेकिन तमाम निर्देश केवल दावों में ही नजर आ रहे हैं.

बता दें कि गाजीपुर का मोहम्मदाबाद, जखनिया और कासिमाबाद के कुछ इलाके डार्क जोन में है. यहां ग्राउंड वाटर लेवल का डिस्चार्ज वादा है, लेकिन वर्षा जल संचयन की व्यवस्था लगभग शून्य है. इतनी भयावह स्थिति होने के बावजूद वर्षा जल संचयन की व्यवस्था बड़े सवाल खड़े करती है. वहीं जिले के विकास भवन में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम से जुड़ा वाटर आरो प्लांट लगाया गया है, लेकिन वह भी अब काम नहीं कर रहा.

जिलाधिकारी के बालाजी ने बताया कि वर्षा जल संचयन के लिए मनरेगा के माध्यम से गांव में तालाब की खुदाई और नहरों को साफ कराया जा रहा है ताकि पानी का बहाव लगातार बना रहे. उन्होंने बताया कि नगर पंचायतों और नगर पालिका को कार्य कराया जाना अभी बाकी है. विकास भवन में वाटर आरो है, उसमें रेन हार्वेस्टर के लिए अलग से पैसा भेजा गया है. अभी कार्यों में थोड़ा विलंब हो रहा है, लेकिन कार्य चल रहा है और एक समय सीमा में इसे पूरा कर लिया जाएगा.

Intro:
बरसात के पानी के साथ बह गया रेन हार्वेस्टिंग का दावा, संचयन पार्क बना चरागाह


गाजीपुर। केंद्र की मोदी सरकार ने सभी नगर निकायों और नगरपालिका को अपने इलाके में वर्षा जल संचयन (Rainwater Harvesting) की प्रभावी निगरानी के लिए कहा था। जिसमें वर्षा जल वर्षा जल संचयन और जलाशय को पुनर्जीवित करने के निर्देश दिए गए थे। बरसात का मौसम आया और गुजर गया। लेकिन यह तमाम निर्देश बरसात के पानी के साथ नदियों में बह गए। गाजीपुर के विकास भवन में बनाया गया वाटर हार्वेस्टिंग प्लांट भी बंद पड़ा रहा। और वर्षा जल संचयन पार्क चरागाह बन चुका है।


केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय ने 'शहरी जल संचयन' के लिए निर्देश जारी किया है। उसने कहा है कि नगर निगमों के 'वर्षाजल संचयन प्रकोष्ठ' भूजल निकालने तथा भूगर्भजल को पुन: भरने की कवायद पर नजर रखेंगे। मंत्रालय ने कहा कि लोगों को जागरूक करने के लिए इस आशय का संदेश किसी प्रमुख जगह से प्रसारित किया जाएगा।





Body:ये दिशानिर्देश एक जुलाई से आरंभ हुए 'जल शक्ति अभियान' के पहले चरण के तहत जारी किए गए हैं। अभियान का पहला चरण 15 सितंबर तक जारी रहेगा। इसका दूसरा चरण एक अक्टूबर से 30 नवंबर तक चलेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में अपने मासिक संबोधन 'मन की बात' में वर्षा जल के संरक्षण पर जोर देते हुए कहा था कि सफाई अभियान की तरह ही इसके लिए भी जन आंदोलन चलाने की जरूरत है।


वही आपको बता दें कि वर्षा जल संचयन की व्यवस्था नगर पालिका और नगर निकाय क्षेत्र में होना आवश्यक है लेकिन विनियमित क्षेत्र गाजीपुर यानी मास्टर प्लान इन नियमों का अनुपालन जनता से भी कराने में नाकामयाब साबित हो रहा है। शासन के निर्देश पर सरकारी भवनों में तत्काल वर्षा जल संचयन की व्यवस्था करने का निर्देश जारी किया गया था गाजीपुर में इसका अनुपालन भी हुआ। लेकिन तमाम निर्देश केवल दावों में ही नजर आ रहे हैं। हकीकत कुछ और ही नजर आ रही है।





Conclusion:बता दें कि गाजीपुर का मोहम्मदाबाद, जखनिया और कासिमाबाद के कुछ इलाके डार्क जोन में है। यहां ग्राउंड वाटर लेवल का डिस्चार्ज वादा है लेकिन वर्षा जल संचयन की व्यवस्था लगभग शून्य है। इतनी भयावह स्थिति होने के बावजूद वर्षा जल संचयन की व्यवस्था बड़े सवाल खड़े करती है।  गाजीपुर के विकास भवन में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम से जुड़ा वाटर आरो प्लांट लगाया गया है लेकिन वह भी अब काम नहीं कर रहा।


वही जिलाधिकारी के बालाजी ने बताया कि वर्षा जल संचयन के लिए मनरेगा के माध्यम से गांव में तालाब की खुदाई और नहरों को साफ कराया जा रहा है। ताकि पानी का बहाव लगातार बना रहे । उन्होंने बताया कि नगर पंचायतों एवं नगर पालिका को कार्य कराया जाना अभी बाकी है। विकास भवन में वाटर आरो है उसमें रेन हार्वेस्टर के लिए अलग से पैसा भेजा गया है अभी कार्यों में थोड़ा विलंब हो रहा है लेकिन कार्य चल रहा है और एक समय सीमा में इसे पूरा कर लिया जाएगा।



( बाइट - के बालाजी- जिलाधिकारी )( विजुअल, पीटीसी )

उज्जवल कुमार राय , 7905590960

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