Navratri 2023 में सरकारी स्तर पर पूजा-पाठ के सीएम योगी के फैसले का बसपा सांसद अंसारी ने किया स्वागत

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Published : Mar 16, 2023, 10:34 PM IST

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बसपा सांसद अफजाल अंसारी बोले, योगी राजनेता से पहले मठाधीश हैं, वो ऐसा कर सकते हैं. लेकिन दिल बड़ा करके सभी धर्मों के लिए ऐसा आदेश करें. इसके साथ ही सांसद ने आलू के सरकारी मूल्य 650 रुपए प्रति क्विंटल को वापस लेने की की अपील भी सरकार से की.

सीएम योगी पर तंज कसते बसपा सांसद अफजल अंसारी

गाजीपुर: गाजीपुर पत्रकार एसोसिएशन के भवन निर्माण में सांसद निधि से बनाए जा रहे प्रथम तल के हॉल का बसपा सांसद अफजाल अंसारी ने गुरुवार को निरीक्षण किया. इसके बाद पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच एम्पायर की भूमिका में हमेशा से पत्रकारिता रही है, इसलिए यहां की आवश्यकता को देखते हुए हमने अपनी निधि से कुछ धन यहां हॉल बनाने के लिए दिया है.

वहीं उन्होंने आलू के समर्थन मूल्य पर योगी सरकार के फैसले को गलत बताते हुए कहा कि ₹650 प्रति क्विंटल आलू का समर्थन मूल्य बहुत ही कम है. एक तरफ केंद्र की मोदी सरकार किसान की आय दोगुना करने की बात कहती है और वहीं आलू का समर्थन मूल्य योगी सरकार ₹650 प्रति क्विंटल रखती है. इन दोनों में काफी अंतर है. उन्होंने सरकार से अपील की कि ₹650 प्रति क्विंटल आलू का दाम समर्थन मूल्य तत्काल प्रभाव से वापस ले लिया जाए और कम से कम 1200 ₹ प्रति क्विंटल की दर से सरकार आलू खरीद करे.

सांसद ने बताया कि वे पार्लियामेंट्री बोर्ड की एग्रीकल्चरल कमेटी के वो भी सदस्य हैं, जिसमें 21 सांसद हैं. उन्होंने बताया कि जब किसी भी अनाज का समर्थन मूल्य तय करते हैं, तो उसमें उस फसल की खेती के साथ किसान के सभी चीजों का मूल्यांकन करते हैं, जैसे बीज, पानी, खाद व अन्य सभी चीजों के साथ किसान की दिन भर खटने की मजदूरी भी तो जानते हैं, उसमें किसानों की प्रतिदिन की मजदूरी जो तय की गई है वह मात्र ₹92 है. अब यह कितना दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक किसान जो अपने पूरे परिवार के साथ खेतों में काम करता है, उसकी एक दिन की दिहाड़ी मात्र ₹92 तय की गई है.

उन्होंने कहा कि किसानों को अप्रशिक्षित कहना गाली देने के समान है. असली प्रशिक्षित किसान ही है, वो जो बता देगा हमारे वैज्ञानिक नहीं बता पाएंगे. उन्होंने किसानों पर एक घाघ की लिखी कविता कहावत के रूप में कही कि "दिन भी बद्दर (बदरा) रात भी बद्दर, बहे पुरवईया झब्बर झब्बर, घाघ कहे कि कुछ होनी होई, कुंवा खोद के धोबी धोई" जब इतनी ईमानदारी से किसान के परिश्रम का आपने 92 रुपया दिहाड़ी तय कर दिया तो खाद बीज पानी में कितनी ईमानदारी बरती होगी, ये अब सोचने की बात है.

वहीं योगी सरकार द्वारा नवरात्रि में मानस पाठ और दुर्गाशप्तति के पाठ कराए जाने के आदेश का उन्होंने मुस्कुरा कर समर्थन किया और कहा वे धार्मिक व्यक्ति हैं. मठाधीश भी हैं. राजनेता वो बाद में हैं तो उनका नवरात्रि में ये आदेश स्वागत योग्य है, लेकिन वो जिस कुर्सी पर बैठे हैं दिल थोड़ा बड़ा करके ऐसा आदेश सभी धर्मों के लिए भी करना चाहिए.

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