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कृष्णानंद राय हत्याकांड: 15 साल बाद वायरल हो रहे ऑडियो की जांच को जज ने कर दिया था खारिज

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Published : Aug 10, 2020, 4:54 PM IST

कृष्णानंद राय हत्याकांड के 15 साल बाद एक ऑडियो वायरल हो रहा है, ये ऑडियो 15 साल पहले केस की सुनवाई में भी सामने आया था, लेकिन तब जांच की दरख्वास्त को जज ने खारिज कर दिया था. इस मामले में ईटीवी की टीम ने कृष्णानंद राय हत्याकांड के पहले वकील रहे रामाधार राय से खास बातचीत की.

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कृष्णानंद राय हत्याकांड के पहले वकील रहे रामाधार राय से खास बातचीत.

गाजीपुर: जिले की मोहम्दाबाद सीट से बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय हत्याकांड का ऑडियो 15 साल बाद सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. ईटीवी भारत की टीम ने इस वायरल ऑडियो के बारे में जानने की कोशिश की. यह ऑडियो 15 साल बाद क्यों सामने आया, इस मामले में टीम ने कृष्णानंद राय हत्याकांड के पहले वकील रहे रामाधार राय से खास बातचीत की.

कृष्णानंद राय हत्याकांड के पहले वकील रहे रामाधार राय से खास बातचीत.

रामाधार राय से खास बातचीत
कॉल रिकॉर्डिंग को लेकर जब रामाधार राय से सवाल किया गया तो, उन्होंने बताया कि सबूत पक्ष की तरफ से जांच के दौरान पाया गया कि मुख्तार अंसारी ने फैजाबाद की जेल में बंद कैदी से बात की थी. कॉल रिकॉर्डिंग में उसने सांकेतिक भाषा में बताया कि उनकी चोटी काट ली गई है. इस कॉल रिकॉर्डिंग को लेकर उनकी तरफ से जांच के लिए गाजीपुर न्यायालय में दरख्वास्त दी गई थी, जिसको तत्कालीन जज ने मंजूर नहीं किया था.जब ईटीवी के संवाददाता ने पूछा कि उस वक्त जज कौन थे, तब उन्होंने जवाब देते हुए बताया कि उस वक्त जज करीमुल्लाह खां थे.
उन्होंने सबूत पक्ष की कॉल रिकॉर्डिंग जांच की दरख्वास्त को खारिज किया था. जज द्वारा ऐसा करने पर सवाल पूछने पर उन्होंने बताया कि जज पर कोई विधिक कार्रवाई तो नहीं हुई, लेकिन उनके खिलाफ दरख्वास्त दी गई थी. मामला लंबित रहा तब तक जज का तबादला हो गया.कॉल रिकॉर्डिंग में दोनों तरफ कौन था, इसको लेकर जब सवाल किया गया, तो उन्होंने बताया कि एक तरफ मुख्तार अंसारी और दूसरी तरफ फैजाबाद की जेल में बंद चर्चित अपराधी अभय सिंह था. उन दोनों की बातचीत हुई और उनकी बातचीत की यह कॉल रिकॉर्डिंग है.
बता दें कि 15 साल बाद वायरल हो रही ऑडियो रिकॉर्डिंग को तत्कालीन जज ने खारिज कर दिया था, जिसकी वजह बताया जाता है कि करीमुल्लाह खां की पत्नी मऊ जिला अस्पताल में बतौर डॉक्टर तैनात थी. मऊ में बाहुबली मुख्तार अंसारी का खौफ था. तत्कालीन जज पर भी दबाव था, जिसके चलते जज ने ट्रांसफर भी करा लिया था. हालांकि इस बात की पुष्टि ईटीवी भारत नहीं करता है.
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