ETV Bharat / state

अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहे जिले के 88 उपकेंद्र, स्वास्थ्य सुविधाओं की खोल रहे पोल

author img

By

Published : Aug 7, 2021, 5:30 PM IST

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर के.के वर्मा से इस बाबत बात की गई. उन्होंने बताया कि जिले में कुल 88 ऐसे भवन हैं जो जर्जर अवस्था में हैं. इनके लिए प्रस्ताव बनाकर आगे भेजकर बजट की मांग की जाएगी.

बदहाली पर आंसू बहा रहे जिले के 88 उपकेंद्र
बदहाली पर आंसू बहा रहे जिले के 88 उपकेंद्र

गाजीपुर : उत्तर प्रदेश सरकार लगातार स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर करने का दावा करती रही है. इसके बावजूद जमीनी स्तर पर यह सुविधाएं अब तक बेहतर नहीं हो पाईं हैं. खासकर ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति बदहाल है.

इसका एक उदाहरण भदौरा ब्लाॅक के खजूरी गांव स्थित स्वास्थ्य उपकेंद्र का है. यहां केंद्र सालों पहले गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी व नियमित टीकाकरण के लिए बनाया गया था. जच्चा बच्चा केंद्र सालों से खंडहर में तब्दील है. लोगों को 8 किलोमीटर दूर इलाज के लिए या फिर स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए जाना पड़ता है.

बदहाली पर आंसू बहा रहे जिले के 88 उपकेंद्र, स्वास्थ्य सुविधाओं की खोल रहे पोल

महिलाओं के लिए ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओं की क्या स्थिति है, इसकी पड़ताल करने ईटीवी भारत की टीम ग्राउंड जीरो पर उतरी. इस दौरान भदौरा ब्लाॅक के खजूरी गांव में जच्चा बच्चा केंद्र बदहाल स्थिति में दिखा.

बता दें कि भदौरा ब्लाॅक का खजूरी गांव बिहार बॉर्डर से महज कुछ ही दूरी पर है. इसके बगल में कर्मनाशा नदी भी मुहाने पर है. यह उपकेंद्र पिछले कई सालों से उपेक्षा का शिकार है. यहां तक कि इसके दरवाजे खिड़की तक गायब हो चुके हैं.

भवन खंडहर में तब्दील हो चुका है. हां, कभी-कभी क्षेत्र की आशा ग्राम प्रधान या अन्य लोगों के दरवाजे पर बैठकर विभाग द्वारा चलाई जाने वाली योजनाओं का लाभ ग्रामीणों को देने की दावा जरूर करती हैं.

यह भी पढ़ें : गाजीपुर जिला अस्पताल के एक्स-रे विभाग का ये है हाल, लावारिस हुई मशीन...मरीज हुए बेहाल

वह बताती हैं कि इस गांव की गर्भवती महिलाओं की जब भी डिलीवरी की जरूरत होती है, तब उन्हें यहां से आठ से 10 किलोमीटर दूर दिलदारनगर ले जाना पड़ता है. साथ ही उनके व उनके बच्चों के टीकाकरण के लिए भी 10 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती है.

इसे लेकर जब ईटीवी ने ग्रामीणों से बात की. ग्रामीणों ने बताया कि ग्राम प्रधान के माध्यम से इसके लिए कई बार गुहार लगाई जा चुकी है लेकिन व्यवस्था है कि बदलने का नाम ही नहीं ले रही है. इसकी वजह से उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

आशा ने कहा जंगला, खिड़की व भवन के निर्माण के साथ मिले सुरक्षा, तभी करेंगे काम

खजूरी गांव में तैनात आशा वर्कर से भी बात की गई. आशा ने बताया कि यहां किसी भी प्रकार की सुरक्षा व्यवस्था नहीं है. इसकी वजह से वे काम करने से डरते हैं. यदि बिल्डिंग का निर्माण करा दे, जंगले व खिड़कियां लगवा दें व सुरक्षा की व्यवस्था कर दें तो वे लोग काम कर पाएंगे. यानी, कहीं न कहीं सुरक्षा का भी सवाल आशा कार्यकर्ती ने उठाया जो कि अपने आप में बहुत बड़ी बात है.

'बजट बनाकर जल्द शासन को भेजेंगे'

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर के.के वर्मा से भी इस बाबत बात की गई. उन्होंने बताया कि जिले में कुल 88 ऐसे भवन हैं जो जर्जर अवस्था में हैं. इनके लिए प्रस्ताव बनाकर आगे भेजकर बजट की मांग की जाएगी. हालांकि ऐसा नहीं है कि संबंधित गांवों में टीकाकरण नहीं होता है. जहां तक जच्चा-बच्चा केंद्र की बदहाली की बात है तो इसके लिए बजट बनाकर शासन को स्वीकृति के लिए भेजा जा रहा है.

ग्रामीण स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए निकाल रहे साइकिल यात्रा

वहीं, गांव के फरीद गाजी ने बताया कि जनपद के ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए 24 जुलाई से साइकिल यात्रा निकाल रहे हैं. इस क्रम में आज यह उनका सातवां ठिकाना है. यहां का उपकेंद्र बदहाल नजर आने पर उन्होंने ग्रामीणों से इसकी जानकारी ली. मुख्य चिकित्सा अधिकारी और जिला अधिकारी से मिलकर इस बदहाली को दूर करने की गुहार लगाएंगे.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.