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फिरोजाबाद में कोविड मरीजों की पसंद बनी होम आइसोलेशन व्यवस्था

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Published : May 16, 2021, 1:18 PM IST

फिरोजाबाद में होम आइसोलेशन की व्यवस्था मरीजों की पसंद बनी हुई है. कोविड अस्पतालों में आए दिन मरीजों की मौत और ऑक्सीजन की कमी इसके अलावा अन्य व्यवस्थाओं की कमी की खबरों के बीच मरीज अस्पताल जाने की बजाय घर पर ही रह कर खुद को ठीक करने में लगे हैं.

 कोविड मरीजों की पसंद बनी होम आइसोलेशन व्यवस्था
कोविड मरीजों की पसंद बनी होम आइसोलेशन व्यवस्था

फिरोजाबादः यूपी सरकार बेशक ये दावा कर रही हो कि अस्पतालों में कोविड बीमारी से पीड़ित मरीजों के इलाज के लिए सभी इंतजाम हैं. लेकिन बात फिरोजाबाद की करें तो यहां पर लोग होम आइसोलेशन में रहना ही पसंद कर रहे हैं. दरअसल, कोविड अस्पतालों में आए दिन मरीजों की मौत और ऑक्सीजन की कमी इसके साथ ही वहां फैली कुव्यवस्थाओं की वजह से मरीज अस्पताल जाने की बजाय घर पर ही रह कर खुद को ठीक करने में लगे हैं.

घर पर ही रहना पसंद कर रहे मरीज

कोविड को लेकर स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर अगर गौर करें, तो फिरोजाबाद में मरीजों की जो संख्या है उसमें अधिकांश मरीज घर पर ही स्वास्थ्य विभाग के ऑब्जर्वेशन में आइसोलेट होकर स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं. फिरोजाबाद में कोरोना मरीजों के 1100 के आसपास एक्टिव मामले हैं. जिनमें से अस्पताल में केवल 100 मरीज भर्ती हैं. बाकी 1000 मरीज घर पर ही अपना इलाज करा रहे है. इसकी वजह है अस्पतालों में आए दिन ऐसी खबरें सामने आती हैं कि लापरवाही के चलते मरीजों की जान चली जाती है. अस्पताल प्रशासन ऐसे मरीजों का ऑक्सीजन लेवल कम बताकर अपना पल्ला झाड़ लेता है. कुछ ऐसा ही हुआ था विकास अग्रवाल के साथ जिनकी मौत हो गई थी. अस्पताल प्रशासन ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि उनका ऑक्सीजन लेबल काफी कम हो गया था. इसलिए उन्हें बचाया नहीं जा सका. जबकि विकास ने अपनी मौत से पहले खुद एक वीडियो शूट किया था. जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्हें इलाज नहीं मिला. प्रॉपर ऑक्सीजन नहीं मिली. इन्हीं वजह से मरीजों की होम आइसोलेशन में रुचि बढ़ी है.

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इस संबंध में जिला अस्पताल के कार्यवाहक सीएमएस डॉक्टर आलोक शर्मा का मानना है कि हमारे यहां होम आइसोलेशन की सुविधा उन्हीं मरीजों को दी जाती है जो गंभीर नहीं होते. केवल उन्हें कोविड के लक्षण होते हैं. इसके लिए भी नियम शर्ते हैं. घर में जो कमरा हो एकदम से अलग हो. घर के लोग उसकी तीमारदारी करने के लिए तैयार हों. कमरे में टॉयलेट, बाथरूम अटैच हो. इसके अलावा सीएमओ दफ्तर से गठित टीम उसकी निगरानी भी करती है और दवा भी देती है.

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