फर्रुखाबाद: कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री सलमान खुर्शीद ने कर्नाटक हिजाब विवाद पर बयान दिया है. गृह जनपद फर्रुखाबाद में पत्नी लुईस खुर्शीद के चुनाव कार्यालय का उद्घाटन करने पहुंचे सलमान खुर्शीद ने कर्नाटक हिजाब मामले पर बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा कि मेरा सिर्फ एक ही कहना है कि हर व्यक्ति को अपने जीवन शैली के निर्णय लेने का अधिकार है.
अगर आपको उसकी कार्यशैली से नुकसान होता है. तो आप उससे आग्रह कर सकते हैं, निवेदन कर सकते हैं कि इस बात से मुझे नुकसान है. कोई अपनी डिग्निटी बचाने के लिए रखने के लिए स्वाभिमान के कारण अपने वेशभूषा क्या रखता है. इससे किसी को कोई नुकसान नहीं हो सकता. इसलिए जो भी ऐसा कहता है. वह हमारे संविधान का अपमान करता है और संविधान के अपमान से बड़ा कोई अपमान नहीं है.
कर्नाटक हिजाब के विवाद की आंच अब उत्तर प्रदेश के जौनपुर तक पहुंच चुकी है. इस सवाल के जवाब पर उन्होंने कहा की जो हिजाब के बारे में आज कुछ कह रहा है या बहस कर रहा है. उससे इतना पूछ लीजिए की 5 साल कहां था उसे हिजाब नहीं दिखता था अगर उसे कुछ कहना था तो उस समय क्यों नहीं कहा. चुनाव के समय क्यों कह रहे हैं.
पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने भगवा रंग पर कहा कि हमें भगवा से कोई आपत्ति नहीं हो सकती. अगर कोई चाहे तो मुझे भी भगवा उड़ा दे मुझे कोई आपत्ति नहीं हो सकती. भगवा रंग हमारे भारत के तिरंगे में भी भगवा रंग है. हमारी इतिहास में और हमारी पुरानी परंपराओं में और हमारी संस्कृति और सभ्यता में भी भगवा रंग है. भगवा रंग से किसी को आपत्ति नहीं हो सकती. अगर किसी व्यक्ति को होती है तो है ढंग से होती है जो ढंग बिगाड़ता है. उससे आपत्ति हो सकती है रंग से किसी को कोई आपत्ति नहीं हो सकती. हम सफेद को भी मानते हैं. भगवा रंग को भी मानते हैं. बहुत सारे वह लोग जिनका मैं बड़ा आदर करता हूं जिनके साथ मैं अपने आप को खड़ा होकर सम्मानित मानता हूं मैं भगवा रंग से जुड़े हैं भगवा रंग और भगवा राजनीति दोनों अलग-अलग चीजें हैं.
भगवा राजनीति हम स्वीकार नहीं करते भगवा रंग हम स्वीकार करते हैं. इसलिए कि भगवे रंग में हम सबको जोड़ सकते हैं. भगवे ढंग में हम सबको जोड़ नहीं सकते. हम लोगों को जोड़ना चाहते हैं. जो एकता की बात करते हैं कोई मुस्लिम एकता की बात करता है कोई हिंदू एकता की बात करता है. कोई कोई जैन एकता की बात करता है हम मानवता की एकता की बात करते हैं. हिंदू मुस्लिम की एकता की बात करते हैं. गंगा और जमुना की एकता की बात करते हैं और याद रखो अगर गंगा और जमुना नहीं मिलेंगे तो मां सरस्वती भी नहीं मिलेगी मां सरस्वती वही आती हैं जहां गंगा जमुना मिल जाती है.
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