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फर्रुखाबाद के अस्पताल में 22 नवजात कन्याओं को किया गया सम्मानित, जानें इसके पीछे की वजह

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Published : Feb 20, 2023, 8:03 PM IST

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फर्रुखाबाद के अस्पताल में 22 नवजात कन्याओं को किया गया सम्मानित

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले की सीएचसी कमालगंज में नवजात कन्याओं का जन्मदिन मनाया गया.

फर्रुखाबाद के अस्पताल में हुए आयोजन के बारे में बताते सांसद मुकेश राजपूत.

फर्रुखाबाद: यूपी के फर्रुखाबाद जिले की सीएचसी कमालगंज में सोमवार को नवजात कन्याओं का जन्मदिन मनाया गया. आयोजन में 22 कन्याओं के अभिभावकों को मिठाई, किट, खिलौने, कपड़े और बधाई पत्र देकर सम्मानित किया गया. बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित हुए कार्यक्रम में सांसद मुकेश राजपूत ने कहा कि बेटियां आने वाले कल का भविष्य हैं. इसलिए हम सभी आज यह प्रण करें कि किसी भी कीमत पर कन्या भ्रूण हत्या करने व गर्भ में पल रहे शिशु का लिंग पता करने जैसा पाप नहीं होने देंगें.

जिला प्रोवेशन अधिकारी अनिल चंद्र ने बताया कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 4 के अनुसार जिले में एक हजार लड़कों पर 981 लड़कियों का अनुपात पाया गया. वहीं राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार जिले में एक हजार लड़कों पर 972 लड़कियां हैं. यह कहीं न कहीं बेटों की चाहत को दर्शाता है. जिलाध्यक्ष रूपेश गुप्ता ने कहा कि बिना किसी भेदभाव के बेटियों का लालन-पालन करें. सरकार से मिलने वाली सभी योजनाओं का लाभ बेटी को जरूर दिलवाएं. इस योजना का मुख्य उद्देश्य बेटियों के अस्तित्व को बचाना एवं उनकी सुरक्षा को सुनिश्चित करना है.

प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ. शोभित शाक्य ने कहा कि आज बेटियां हर क्षेत्र में कामयाबी की ऊंचाइयां छू रहीं हैं. गांव कोरीखेड़ा के रहने वाले सुरजीत ने बताया कि मेरी बेटी का जन्म सीएचसी पर 17 फरवरी को हुआ था. उसको इतना सम्मान मिला तो मैं बहुत खुश हूं. मैं अपनी बेटी को बेटे से अधिक प्यार दूंगा, जिससे वह मेरा और मेरे परिवार का नाम रोशन कर सके.

जिला विकास अधिकारी योगेंद्र कुमार, बीडीओ आलोक सहित अन्य अधिकारी व पदाधिकारी लोग मौजूद रहे. वहीं डॉ. शोभित ने बालिकाओं को लेकर चलाई जा रहीं योजनाओं के बारे में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि सरकार ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना की शुरुआत 22 जनवरी 2015 को हुई थी. इसके साथ शिक्षा के माध्यम से लड़कियों को सामाजिक और वित्तीय रूप से स्वतंत्र बनाना है. लोगों को बेटियों के प्रति जागरुक कर महिलाओं के लिए कल्याणकारी सेवाएं वितरित करने में सुधार करना है.

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