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फर्रुखाबाद: दुष्कर्म के आरोपी को आजीवन कारावास

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Published : Sep 5, 2019, 12:20 PM IST

उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में शादी समारोह में शामिल होने आई पांच वर्षीय बालिका का अपहरण कर दुष्कर्म किया गया. इसके बाद उसकी हत्या कर दी गई. इस मामले में आरोपी को दोषी करार देते हुए न्यायाधीश ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई.

दुष्कर्म के दोषी को आजीवन कारावास

फर्रुखाबाद: फतेहगढ़ कोतवाली क्षेत्र निवासी युवक ने 18 जुलाई 2018 को शहर कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया था. इसमें कहा था कि वह पत्नी, पुत्री और अन्य परिजनों के साथ गांव चांदपुर में एक रिश्तेदार के घर शादी समारोह में गए थे. शादी वाले दिन देर रात उनकी 5 वर्षीय पुत्री गायब हो गई. काफी खोजबीन के बाद भी उसका सुराग नहीं लगा. 20 जुलाई को पंचायतघर के पीछे पुत्री का शव बरामद हुआ.

दुष्कर्म में आजीवन कारावास-

शहर कोतवाली प्रभारी राजेश पाठक ने जांच के बाद चांदपुर निवासी टीपू उर्फ श्याम सिंह के खिलाफ न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया. प्रयोगशाला की रिपोर्ट के अनुसार मृतका के शरीर में पाए गए सीमन का आरोपी के डीएनए से मैच कराया. अपर जिला शासकीय अधिवक्ता तेज सिंह राजपूत और बचाव पक्ष की दलीलें सुनने के बाद न्यायाधीश ने हत्या में उम्रकैद और 20 हजार रुपये जुर्माना, दुष्कर्म में आजीवन कारावास व एक लाख रुपये जुर्माना की सजा सुनाई. इसके अलावा अपहरण में दस वर्ष की कैद, 20 हजार रुपये जुर्माना, साक्ष्य मिटाने में पांच वर्ष की कैद, 20 हजार रुपये की सजा से भी दंडित किया. जुर्माने की वसूली गई धनराशि से 75 हजार रुपये मृतका के पिता को प्रतिकर के रूप में दिए जाने के आदेश दिए गए हैं.

विवाहिता की हत्या के दोषी मां-बेटे को 12 साल की सजा-
नवाबगंज थाना क्षेत्र के गांव उस्मानपुर निवासी जयदेवी ने 25 नवंबर 1999 को कायमगंज कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराई थी. इसमें कहा था कि उन्होंने अपनी पुत्री अनीता की शादी घसिया चिलौली निवासी रमेश के साथ की थी. शादी के बाद पुत्री का पति व सास प्रेमा देवी उर्फ प्रेमवती दहेज में टीवी व भैंस की मांग कर उसका उत्पीड़न करने लगे. दो वर्ष तक ससुराल वालों ने पुत्री को मायके नहीं भेजा. 14 नवंबर 1999 को वह पुत्री की ससुराल गईं तो उत्पीड़न के बारे में पता चला. 15 नवंबर को वह घर लौट आईं. 16 नवंबर को आरोपितों ने पुत्री की हत्या कर दी. पोस्टमार्टम होने के बाद भी उन्हें घटना की जानकारी नहीं दी. किसी तरह जब सूचना मिली तो 17 नवंबर को आरोपित फांसी लगाकर खुदकशी की कहानी बताने लगे. इस मामले में क्षेत्रधिकारी ने मां-बेटे के खिलाफ न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया. मुकदमे की सुनवाई के दौरान एडीजीसी अनूप कुमार तिवारी ने बचाव पक्ष की दलीलें सुनने के बाद दहेज उत्पीड़न में दो वर्ष की कैद, तीन-तीन हजार रुपये जुर्माना और गैर इरादतन हत्या की धारा में 12 वर्ष कैद की सजा सुनाई.

इसे भी पढ़ें-फर्रुखाबाद में डाॅक्टर की गोली मारकर हत्या, क्लीनिक में घुसकर मारी गोली

Intro:फर्रुखाबाद। शादी समारोह में शामिल होने आयी पांच वर्षीय बालिका का अपहरण कर दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई. इस मामले में अभियुक्त को दोषी करार देते हुए न्यायाधीश ने आजीवन कारावास व एक लाख 60 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है.

Body:फतेहगढ़ कोतवाली क्षेत्र निवासी युवक ने 18 जुलाई 2018 को शहर कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया था. जिसमें कहा था कि वह पत्नी, पुत्री व अन्य परिजनों के साथ गांव चांदपुर में एक रिश्तेदार के घर शादी समारोह में गए थे. शादी वाले दिन देर रात उनकी 5 वर्षीय पुत्री गायब हो गई. काफी खोजबीन के बाद भी उसका सुराग नहीं लगा. 20 जुलाई को पंचायतघर के पीछे पुत्री का शव बरामद हुआ. शहर कोतवाली प्रभारी राजेश पाठक ने जांच के बाद चांदपुर निवासी टीपू उर्फ श्याम सिंह के खिलाफ न्यायालय में आरोपपत्र दाखिल किया. प्रयोगशाला की रिपोर्ट के अनुसार मृतका के शरीर में पाए गए सीमन का अभियुक्त के डीएनए से मैच कराया.अपर जिला शासकीय अधिवक्ता तेज सिंह राजपूत व बचाव पक्ष की दलीलें सुनने के बाद न्यायाधीश ने हत्या में उम्रकैद व 20 हजार रुपये जुर्माना, दुष्कर्म में आजीवन कारावास व एक लाख रुपये जुर्माना की सजा सुनाई. इसके अलावा अपहरण में दस वर्ष की कैद, 20 हजार रुपये जुर्माना, साक्ष्य मिटाने में पांच वर्ष की कैद, 20 हजार रुपये की सजा से भी दंडित किया. जुर्माने की वसूली गई धनराशि से 75 हजार रुपये मृतका के पिता को प्रतिकर के रूप में दिए जाने के आदेश दिए गए हैं.Conclusion:विवाहिता की हत्या के दोषी मां-बेटे को 12 साल की सजा
नवाबगंज थाना क्षेत्र के गांव उस्मानपुर निवासी जयदेवी ने 25 नवंबर 1999 को कायमगंज कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराई थी. जिसमें कहा था कि उन्होंने अपनी पुत्री अनीता की शादी घसिया चिलौली निवासी रमेश के साथ की थी. शादी के बाद पुत्री का पति व सास प्रेमा देवी उर्फ प्रेमवती दहेज में टीवी व भैंस की मांग कर उसका उत्पीड़न करने लगे. दो वर्ष तक ससुराल वालों ने पुत्री को मायके नहीं भेजा. 14 नवंबर 1999 को वह पुत्री की ससुराल गईं तो उत्पीड़न के बारे में पता चला. 15 नवंबर को वह घर लौट आईं.16 नवंबर को आरोपितों ने पुत्री की हत्या कर दी. पोस्टमार्टम होने के बाद भी उन्हें घटना की जानकारी नहीं दी. किसी तरह जब सूचना मिली तो 17 नवंबर को आरोपित फांसी लगाकर खुदकशी की कहानी बताने लगे. इस मामले में क्षेत्रधिकारी ने मां-बेटे के खिलाफ न्यायालय में आरोपपत्र दाखिल किया. मुकदमे की सुनवाई के दौरान एडीजीसी अनूप कुमार तिवारी व बचाव पक्ष की दलीलें सुनने के बाद न्यायाधीश ने दहेज उत्पीड़न में दो वर्ष की कैद तीन-तीन हजार रुपये जुर्माना तथा गैर इरादतन हत्या की धारा में 12 वर्ष कैद की सजा सुनाई.
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