ETV Bharat / state

पति ने छोड़ा तो दिव्यांग बिंदु ने थामा ई-रिक्शा का हाथ

author img

By

Published : Feb 4, 2021, 11:02 PM IST

जब मुश्किलें सामने आती हैं तो इंसान खुद ही रास्ता खोज लेता है. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है उत्तर प्रदेश के देवरिया की बिंदु ने. दिव्यांग बिंदु ई-रिक्शा चलाकर अपना और अपनी 9 वर्षीय बेटी का पेट पालती हैं. देखिये ये खास रिपोर्ट...

स्पेशल रिपोर्ट.
स्पेशल रिपोर्ट.

देवरिया: 'उजड़े हुए जमाने की याद दिला कर, मुझे उदास न कर ऐ जिंदगी, अब नईं मंजिलों का पता बता, जो गुजर गया सो गुजर गया'. यह लाइनें देवरिया की दिव्यांग बिंदु यादव पर सटीक बैठ रही हैं. पति के छोड़ने के बाद दिव्यांग बिंदु अपनी तीन वर्षीय बच्ची को लेकर जिंदगी के बीच मझधार में फंस गईं, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. आज ई-रिक्शा चलाकर वह अपने परिवार का भरण पोषण कर रही हैं.

स्पेशल रिपोर्ट.

12 साल पहले हुई थी शादी

बुलंद हौसलों की ये कहानी है कुशीनगर जनपद के रामकोला की रहने वाली बिंदु यादव की. बिंदु बचपन से ही एक पैर से दिव्यांग हैं. 12 वर्ष पूर्व बिंदु की शादी देवरिया के भटनी थाना के शिव बनकटा में हुई थी. शादी के कुछ दिनों बाद पारिवारिक कलह ने बिंदु को पति से अलग कर दिया. ससुराल छोड़कर बिंदु अपने मायके चली आईं, उस समय उनके पास उनकी तीन वर्षीय बेटी भी साथ थी.

ई-रिक्शा से चलाती हैं आजीविका.
ई-रिक्शा से चलाती हैं आजीविका.

मायके में बिंदु के सामने तमाम मुश्किलें मुंह बाए खड़ी थीं. उन्हें अपना और अपनी बच्ची का पेट भरना था. शुरू से ही बिंदु का मानना था कि किसी के आगे हाथ फैलाने से अच्छा है मेहनत करना. इसी सीख ने उन्हें आज इस मुकाम पर खड़ा किया है. अपने आत्मसम्मान और बेटी के लिए वह देवरिया शहर से सटे औरा चैरी में किराये के कमरे में रहने लगीं.

इस दौरान बिंदु की मुलाकात निशा तिवारी से हुई. निशा तिवारी को बिंदु अपना प्रेरणा स्रोत मानती हैं. निशा तिवारी देवरिया जनपद की पहली महिला ई-रिक्शा चालक हैं. निशा की सलाह पर बिंदु ने भी ई-रिक्शा चलाकर आजीविका चलाना उचित समझा. बिंदु ने बताया कि ई-रिक्शा की कमाई से उन्होंने अपना लगभग कर्च चुका दिया है. बच्ची को बेहतर शिक्षा दिलाना ही उनका उद्देश्य है. वे कहती हैं कि उनका दिव्यांग सर्टिफिकेट भी बना है, लेकिन नाम में त्रुटि होने के चलते उन्हें किसी भी सरकारी योजनाओं का अब तक लाभ नहीं मिला. कई बार प्रयास करने के बाद भी त्रुटि ठीक नहीं हुई.

बेफिक्र होकर चलाती हैं ई-रिक्शा

बिंदु रोजाना सुबह 7 बजे ई-रिक्शा लेकर शहर की सड़कों पर निकल जाती हैं, बेझिझक और बेफिकर. अपने भाई की मदद से महज तीन दिनों में उन्होंने ई-रिक्शा चलाना सीखा है, आज वह बहुत खुश हैं. बिंदु की दीदी बरहज की रहने वाली निशा तिवारी की कहानी भी काफी संघर्षों से भरी पड़ी है. निशा तिवारी शहर की पहली महिला हैं, जो समाचार पत्र बांटकर अपने बच्चों को पढ़ाती हैं. करीब दो वर्षों तक समाचार पत्र बांटने के बाद उन्होंने ई-रिक्शा खरीदा और अब वह ई-रिक्शा ही चलाती हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.