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यूपी का अनोखा मंदिर जहां कुत्ता है मुख्य देवता, कब्र और मूर्ति की होती है पूजा

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 4, 2023, 6:53 PM IST

Bulandshahr Dog Temple : अभिनेता अक्षय कुमार की फिल्म एंटरटेनमेंट तो आप लोगों ने देखी ही होगी. जिसमें एक कुत्ता अरबों की प्रापर्टी का मालिक होता है. कहानी मालिक और उसके कत्ते के प्रेम पर आधारित थी. ऐसी ही एक कहानी उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर से निकली है. जिसमें एक मंदिर के मुख्य महंत और उनका पालतू कुत्ता मुख्य किरदार में हैं. आईए जानते हैं इस कहानी की शुरुआत कैसे हुई.

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बुलंदशहर के अनोखे मंदिर पर संवाददाता अरुण कुमार सिंह की खास रिपोर्ट.

बुलंदशहर: एंटरटेनमेंट फिल्म जिस प्रकार से एक कुत्ते और उसके मालिक के प्रेम की कहानी को दर्शाया गया, ठीक उसी तरह की कहानी उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में भी जन्म ले चुकी है. बस अंतर किरदारों में है. रियल लाइफ की इस स्टोरी में मुख्य किरदार एक मंदिर के पुजारी और उनका प्रिय कुत्ता है. दोनों ही अब इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन, उनकी कहानी आज भी प्रचलित है. यही नहीं, दोनों के समाधि स्थल की आज भी पूजा अर्चना होती है.

Bulandshahr Dog Temple
बुलंदशहर के मंदिर के मुख्य देवता.

बुलंदशहर जिले के सिकंदराबाद कस्बे में जहां से ये प्रेम कहानी शुरू हुई वहां पर एक मंदिर बना है. इस मंदिर के मुख्य देवता भैरो यानी कुत्ता है. हिंदू देवताओं से घिरे हुए इस मंदिर में भैरो और उसकी मूर्ति की एक विशेष कब्र है, जिसे हर साल हजारों की संख्या में श्रद्धालु पूजते हैं. दीपावली, होली, नवरात्रि समेत अन्य त्योहारों में भैरो के सम्मान में पूरा स्थान उत्सव से जगमगा उठता है. इस मंदिर में दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों से तीर्थयात्री आते हैं.

Bulandshahr Dog Temple
बुलंदशहर के मंदिर में काला धागा बांधकर मन्नत मांगने की है परंपरा.

पुजारी और कुत्ते की एक साथ हुई मृत्युः भैरो मंदिर को लेकर जो प्रेम कहानी पीढ़ियों से चली आ रही है उसे स्थानीय निवासियों ने ईटीवी भारत की टीम के साथ शेयर की. मंदिर के पुजारी दुर्ग विजय धर दुबे ने बताया कि पूजनीय धर्मगुरु बाबा लटूरिया की लगभग सवा सौ साल पहले एक कुत्ते से गहरी दोस्ती थी. उनको अपने साथी में तब तक आराम मिलता रहा जब तक उनकी मृत्यु नहीं हो गई.

पुजारी और कुत्ते की प्रेम कहानी का सबसे रोचक पहलूः मंदिर की देखभाल करने वाले भक्त लक्ष्मण सैनी ने बताया कि "बाबा और भैरो एक दूसरे के गहरे दोस्त थे. जब बाबा की मृत्यु हुई, तो कुत्ता भी उनकी कब्र में कूद गया. हालांकि लोगों ने भैरो को बाहर निकाला, लेकिन कुछ घंटे बाद अलगाव सहन करने में असमर्थ होकर उसकी भई मृत्यु हो गई. इस अनोखे बंधन का सम्मान करने के लिए हमारे पूर्वजों ने बाबा की समाधि के बगल में भैरो के लिए एक विश्राम स्थल बनाया और एक मूर्ति स्थापित की.''

Bulandshahr Dog Temple
बुलंदशहर के मंदिर में रोज महंत और उनके कुत्ते की समाधि की पूजा अर्चना होती है.

काला धागा बांधकर लोग मांगते हैं मन्नतः मंदिर के पुजारी दुर्ग विजय धर दुबे ने बताया कि जो लोग प्रार्थना करने आते हैं, उनके लिए भैरो की कब्र सिर्फ एक स्मारक नहीं है. उनका मानना ​​है कि यह उन्हें नकारात्मक शक्तियों से बचाती है. लोग इस उम्मीद से भैरो की मूर्ति पर काला धागा बांधने आते हैं कि उनकी मनोकामनाएं पूरी होंगी. सिकंदराबाद और उसके आसपास के कई लोगों के लिए, यह मंदिर एक तीर्थस्थल से कहीं अधिक है. यह वफादारी और प्यार का प्रतीक देखने को मिलता है. इसमें आशा की कहानियां हैं, जो उन लोगों को सांत्वना देती हैं जो मनुष्य और उसके सबसे वफादार दोस्त के बंधन में विश्वास करते हैं.

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