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हे भगवान ! मानसिक अस्पताल की हालत देख कहीं खराब न हो जाए मानसिक स्थिति

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Published : Apr 4, 2021, 6:12 PM IST

Updated : Apr 4, 2021, 8:28 PM IST

प्रदेश में मानसिक रोगियों के लिए गिने-चुने सरकारी अस्पताल हैं. इसी में से एक है बरेली स्थित मानसिक अस्पताल. इस अस्पताल की हालत खुद खस्ताहाल है. यहां तमाम असुविधाओं से तीमारदार परेशान रहते हैं.

मानसिक अस्पताल का बुरा हाल
मानसिक अस्पताल का बुरा हाल

बरेलीः अस्पताल में मरीज आते हैं ठीक होने लेकिन बरेली के मानसिक अस्पताल में यदि आप किसी मानसिक रोगी को ले जाएं तो ध्यान रखिएगा. कहीं ऐसा न हो कि यहां की असुविधाओं के बीच मानसिक स्थिति खराब होने लगे. जी हां, यहां पर व्यवस्थाएं बेहाल हैं. बरेली स्थित मानसिक अस्पताल में पर्याप्त स्टाफ तक नहीं है. इसकी वजह से मरीजों को कई बार बिना दवा लिए लौटना पड़ता है, तो कई बार घंटों अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है. ये समस्या लंबे समय से बनी है. देखिए ईटीवी भारत की ये विशेष रिपोर्ट...

मानसिक अस्पताल का बुरा हाल

बिना काउंसलिंग के मानसिक इलाज !
ईटीवी भारत की टीम के रियलिटी चेक में बरेली के मानसिक चिकित्सालय की जो तस्वीर और हकीकत सामने आई है या यूं कहिए कि उजागर हुई है वो काफी परेशान करने वाली है. मानसिक रोगियों को उपचार तो यहां तब मिले जब मेडिकल स्टाफ पर्याप्त हो. स्टाफ की तो कमी है ही, कमाल की बात है कि मानसिक रोगियों की काउंसिलिंग करने वाला भी यहां कोई नहीं है. यह स्थिति तब है जब मानसिक रोगों के उपचार में सबसे ज्यादा महत्व काउंसिलिंग का होता है. जिम्मेदार भी मानते हैं कि स्टाफ की कमी है. वो ये भी स्वीकार करते हैं कि मानसिक अस्पताल में काउंसिलिंग की भी सुविधा मरीजों के लिए नहीं है. मनोचिकित्सक काउंसलर का पद लंबे समय से रिक्त होने की वजह से यहां कोई काउंसिलिंग होती ही नहीं है.

मानसिक अस्पताल का बुरा हाल
मानसिक अस्पताल का बुरा हाल

समस्या से बेहाल लोग
बरेली के मानसिक चिकित्सालय में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी तो है ही, अन्य मेडिकल स्टाफ की भी भारी कमी बनी हुई है. इसका खामियाजा किसी और को नहीं बल्कि मरीजों और उनके तीमारदारों को उठाना पड़ रहा है.

मानसिक अस्पताल का बुरा हाल
मानसिक अस्पताल का बुरा हाल
यूपी ही नहीं, अन्य राज्यों से भी आते हैं मरीजसरकार के द्वारा बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने का दम भरने वाले स्लोगन और नारे यहां पहुंचते-पहुंचते दम तोड़ रहे हैं. काबिलेगौर है कि बरेली के मानसिक चिकित्सालय में हर दिन सैंकड़ों लोग अपने रोगियों को लेकर पहुंचते हैं. प्रदेश के अलावा उत्तराखंड, दिल्ली, हरियाणा और पड़ोसी देश नेपाल से भी मरीज यहां आते हैं. सिर्फ दो घंटे का समय इलाज के लिए मरीजों के साथ आने वाले तीमारदारों का तो यहां तक कहना है कि हॉस्पिटल का समय सिर्फ 10 से 2 बजे तक है. उसके अलावा इमरजेंसी में चाहे मरीज को लेकर कोई कितनी भी दूर से क्यों न आया हो, लेकिन अगले दिन 10 बजे से पहले कोई सुनने वाला है नहीं, चाहे मरीज की कितनी भी हालत खराब क्यों न हो. हर दिन देखा जाता है कि कई तीमारदार अस्पताल के नियम शर्तों के आगे बेबस होकर अपने मरीजों को लेकर लौट जाते हैं.

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लंबे समय से बनी है मेडिकल स्टाफ और चिकित्सकों की कमी.....
जिम्मेदारों ने ईटीवी भारत को बताया कि मानसिक विशेषज्ञ डॉक्टर्स के 6 पद हैं जो कि लेवल-2 के हैं, जबकि एक leval-4 व एक लेवल-3 के. कमाल की बात इतने पदों में सिर्फ दो विशेषज्ञ कार्यरत हैं. इनके अतिरिक्त दो चिकित्सा अधिकारी और हैं. हैरान करने वाली बात ये है कि उनमें से भी एक उच्चशिक्षा के लिए कार्यमुक्त है. ये तो सिर्फ अस्पताल के इलाज के दावे को बताने के लिए दिखाई गई तस्वीर है. इसके अलावा अन्य मेडिकल स्टाफ की भी भारी कमी है. डॉक्टर दावा करते हैं कि वो किसी तरह हैंडल कर रहे हैं. करीब 65 से 70 फीसदी तक स्टाफ की अस्पताल में कमी है.

Last Updated : Apr 4, 2021, 8:28 PM IST
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