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बरेली की बहेड़ी विधानसभा सीट की डेमोग्राफिक रिपोर्ट, जानिए यहां का चुनावी गणित

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Published : Oct 9, 2021, 10:23 AM IST

जानिए यहां का चुनावी गणित
जानिए यहां का चुनावी गणित

यूपी विधानसभा चुनाव के चंद महीने शेष बचे हैं, सभी राजनीतिक दल रणनीति बनाने में जुटे हुये हैं. योगी सरकार ने बैकवर्ड कार्ड खेलते हुए बहेड़ी विधानसभा के विधायक छत्रपाल गंगवार को राजस्व मंत्री बनाया है. बरेली कुर्मी बहुल क्षेत्र है और विधायक छत्रपाल गंगवार कुर्मी समाज से हैं. 2017 विधानसभा चुनाव में भाजपा के छत्रपाल गंगवार ने सपा के अताउर रहमान को हरा कर सीट पर भाजपा का परचम लहराया था. आइए जानते हैं बहेड़ी विधानसभा सीट का सियासी समीकरण.

बरेली: बरेली जिले की नौ विधानसभाओं में से एक बहेड़ी विधानसभा सीट हैं. बरेली की यह विधानसभा सीट पीलीभीत लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा हैं. हिमालयी क्षेत्र का तराई इलाका बहेड़ी अपनी उपजाऊ जमीन के कारण कृषि की अपार सम्भावनाओं से घिरा है, उपजाऊ भूमि होने के कारण कुमॉउ मण्डल यानि कूर्माचल क्षेत्र में गिने जाने वाले बहेड़ी की नगरीय संरचना रामपुर के नवाबी दौर में रखी गयी थी और तब यह तत्कालीन मुस्तफाबाद में शामिल था. दलदल इलाके में मिलने वाली बहेड़ा घास के उत्पादन के चलते इस जगह का नाम बहेड़ी रखा गया.


बरेली के उत्तर पश्चिम दिशा का यह क्षेत्र में यह बंटवारे के समय पंजाब और हरियाणा से पलायन कर आये जाट और सिख आज यहां के सम्पन्न किसानों में गिने जाते हैं. नगरपालिका बहेड़ी क्षेत्र में बासठ फीसदी मुसलमान आबादी है. यहां रिछा क्षेत्र में बने अरबी विश्वविद्यालय अलजामिया तुल कादिरया उर्दू, अरबी और फारसी तालीम का बड़ा इदारा है, जहॉ देश भर से सुन्नी मुसलमान दीनी और दुनियावी तालीम लेते हैं.

बरेली की बहेड़ी विधानसभा सीट
बरेली की बहेड़ी विधानसभा सीट



यूपी उत्तराखण्ड एक होने के समय बहेड़ी को कुमॉऊ मण्डल का प्रवेश द्वार भी कहा जाता था और तत्कालीन दौर में यह दोनों राज्यों के लिए व्यापार का बड़ा केन्द्र भी रहा लेकिन उत्तराखण्ड अलग होने का दंश बहेड़ी के व्यापारियों को झेलना पड़ा. बहेड़ी विधानसभा क्षेत्र में बहेड़ी नगर पालिका, देवरनिया नगर पंचायत, रिछा नगरपंचायत, शेरगढ नगर पंचायत, और फरीदपुर नगर पंचायत की 385 ग्राम पंचायते शामिल हैं.


विकास और समस्यायें

बहेड़ी विधानसभा क्षेत्र में नगरपालिका क्षेत्र के अलावा ज्यादातर इलाका कस्बाई या ग्रामीण है. जिला मुख्यालय से जोड़ने वाले बरेली बहेड़ी मार्ग की लम्बे समय से चली आ रही थी. विधानसभा 2012 चुनाव जीतने पर सपा सरकार ने इसकी सुध ली और फोरलेन हाईवे बनाकर स्थानीय जनता को बड़ी राहत दी. ग्रामीण क्षेत्रों की जनता बिजली मिलने से खुश है. उच्च शिक्षा के लिए यहां के छात्रों को बरेली जिला मुख्यालय का रूख करना होता है. केसर चीनी मिल से गन्ना उत्पादकों के लिए समय पर गन्ना मूल्य भुगतान होने से किसान खुश हैं.

नगर क्षेत्र में नये पार्क, स्टेडियम आदि की मांग पर भी कभी विधायक साहब ने गौर नहीं किया. कई गांवों ऐसे हैं जहां जीत दर्ज कराने के बाद से विधायक ने वहां की सुध नहीं ली. नगर क्षेत्र की आसपास खोले गये अवैध स्लॉटर हाउस क्षेत्र की जनता के लिए परेशानी का सबब बने हुए थे. 2017 में आई भाजपा सरकार ने अबैध स्लाटर हाउस पर रोक लगा दी. व्यापक जनविरोध के बाद भी क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों ने इस समस्या की ओर ध्यान नहीं दिया.

छत्रपाल गंगवार,राजस्व मंत्री
छत्रपाल गंगवार,राजस्व मंत्री
भाजपा सरकार आने के बाद बहेड़ी से जोड़ने वाले शीशगढ़, शेरगढ़, रिठौरा, रिछा आदि मार्गों की हालत सही हो गई, इस क्षेत्र में आधा दर्जन से अधिक मानवरहित रेलवे क्रॉसिंग हैं जहां आए दिन दुर्घटना की संभावना बनी रहती है.
बहेड़ी विधानसभा का राजनैतिक इतिहास
बहेड़ी विधानसभा के लिए पहला निर्वाचन 1957 में हुआ था और लगातार तीन 1957, 1962 और 67 में यह सीट कॉग्रेस की झोली में रही. 1969 के चुनाव में यहां क्रॉति दल ने कब्जा जमाया. 1974 और 1977 के चुनाव में यहां फिर से कॉग्रेस ने अपना कब्जा जमाया. 1980 में अम्बा प्रसाद ने निर्दलीय चुनाव लड़कर बहेड़ी विधानसभा से प्रतिनिधित्व किया और फिर वह कॉग्रेस में शामिल हो गये. 1985 का चुनाव अम्बा प्रसाद ने कॉग्रेस के बैनर तले जीता. 1989 में मंजूर अहमद निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे और कॉग्रेस के अम्बा प्रसाद की राजनैतिक पारी को उन्होने विराम दिया. 1991 के आम चुनाव में भाजपा से हरीश चन्द्र गंगवार ने यहॉ चुनावी समीकरण बदले और बहेड़ी विधासनभाक्षेत्र में कमल ने दस्तक दी. बाबरी विध्वंश के बाद बदले समीकरणों में समाजवादी पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर चुके मंजूर अहमद ने 1993 में चुनाव जीता. 1996 के चनुाव में हरीश चन्द्र ने फिर वापसी की और भाजपा को जीत दिलाई. 2002 के आम चुनाव हुए जिसमें समाजवादी पार्टी से मंजूर अहमद ने एक बार फिर इस सीट पर अपना कब्जा जमाया.

यहां 2002 के अंत में विधानसभा के लिए उपचुनाव हुए और वर्तमान विधायक अता उर रहमान ने बसपा के बैनर तले चुनाव लड़ा और समाजवादी पार्टी की मुमताज जहॉ को चुनाव हराकर बहेड़ी विधानसभा क्षेत्र अपनी राजनीतिक पारी का आगाज किया. उपचुनाव के बाद फिर 2007 के चुनाव में भाजपा के छत्रपाल सिंह ने इस सीट को अपनी झोली में डाला. इस दौरान अता उर रहमान ने समाजवादी पार्टी ज्वाइन की और 2012 का आम चुनाव साइकिल के बैनर तले लड़ा. उन्होंने भाजपा के छत्रपाल सिंह को मात्र अठारह मतों से मात दी. इस जीत को क्षेत्रवासी आज भी संदेह की दृष्टि से देखते हैं, बताते हैं कि भाजपा की जिद पर पिछले चुनाव में दो बार रिकाउन्टिंग की गयी लेकिन नतीजा नहीं बदला। भाजपा के छत्रपाल सिंह अपनी हार पचा नहीं सके, उन्होने कोर्ट की शरण ली और आज भी यह मामला कोर्ट में विचाराधीन है. यूपी विधानसभा चुनाव 2017 में भाजपा के छत्रपाल गंगवार ने सपा के अताउर रहमान को हराकर बहेड़ी विधानसभा की सीट पर कब्जा कर लिया था. भाजपा सरकार ने अभी हाल में ही बैकवर्ड कार्ड खेलते हुये कुर्मी समाज के बहेड़ी विधायक छत्रपाल गंगवार को राजस्व मंत्री बनाया है.

बहेड़ी
बहेड़ी
बहेड़ी विधानसभा
कुल मतदाता3,44,151
पुरुष मतदाता1,87,067
महिला मतदाता1,50,782
अन्य02





बहेड़ी विधानसभा-जातिगत आंकड़े

ब्राह्मण 27 हजार
वैश्य23 हजार
मुस्लिम1लाख 20 हजार
कायस्थ08 हजार
सिंधी पंजाबी खत्री12 हजार
क्षत्रिय38 हजार
दलित30 हजार
यादव22 हजार
अन्य25,882


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2012 के चुनाव में कुल मतदाताओं में से 69 फीसदी मतदाताओं ने मताधिकार का प्रयोग किया और मात्र 24 फीसदी वोट पाकर समाजवादी पार्टी के अताउर रहमान ने भाजपा के अपने निकटतम प्रतिद्वंदी छत्रपाल सिंह को मात्र 18 वोटों से मात दी थी. जीत का इतना कम अन्तर क्षेत्र में चर्चा का विषय रहा था और भाजपा इस हार को पचा नहीं पायी. भाजपा प्रत्याशी छत्रपाल ने कोर्ट की शरण ली और यह मामला आज भी न्यायालय में विचाराधीन है. 2017 में भाजपा के छत्रपाल गंगवार ने सपा के अताउर रहमान को हारकर जीत अपने नाम की थी. आगामी चुनाव 2022 में बहेड़ी सीट पर हर बार की तरह इस बार भी पार्टियों की नजर मुस्लिम वोटों पर रहेगी.

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