लोक अदालतों से सौ फीसदी चरितार्थ हो रही है 'न्याय चला निर्धन से मिलने' की मंशा- जिला जज

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Published : Sep 11, 2021, 9:31 PM IST

राष्ट्रीय मेगा लोक अदालत

शनिवार को बाराबंकी में भी राष्ट्रीय मेगा लोकअदालत का आयोजन किया गया. तकरीबन 60 हजार मामलों के निस्तारण का लक्ष्य लेकर आयोजित हुई इस लोक अदालत की शत प्रतिशत सफलता के लिए पिछले एक महीने से तैयारियां की जा रही थी. जिला जज राधेश्याम यादव की अध्यक्षता में आयोजित इस लोक अदालत में वादों के शत प्रतिशत निस्तारण के लिए न्यायिक अधिकारी पूरी तन्मयता से लगे रहे.

बाराबंकी: लोक अदालतों के जरिये न केवल अदालतों का बोझ कम हो रहा है बल्कि 'न्याय चला निर्धन से मिलने' की मंशा भी सौ फीसदी चरितार्थ हो रही है. ये जिला एवं सत्र न्यायाधीश राधेश्याम यादव का कहना है. शनिवार को आयोजित राष्ट्रीय मेगा लोकअदालत की कार्यवाही का जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने निरीक्षण किया. ज्यादा से ज्यादा वादों के निस्तारण के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने पहले से ही शत प्रतिशत नोटिसों की तामीला कराई थी. यही वजह रही कि वादकरियों की जबरदस्त भीड़ नजर आई. 'न्याय चला निर्धन से मिलने' की मंशा को लेकर आयोजित होने वाली इन लोक अदालतों के जरिये एक ओर जहां अदालतों की पेंडेंसी कम हो रही है तो वहीं वादकारियों को अदालतों के चक्कर लगाने से भी निजात मिल रही है.


वादकारियों में दिखा जोश
शनिवार को बाराबंकी में भी राष्ट्रीय मेगा लोकअदालत का आयोजन किया गया. तकरीबन 60 हजार मामलों के निस्तारण का लक्ष्य लेकर आयोजित हुई इस लोक अदालत की शत प्रतिशत सफलता के लिए पिछले एक महीने से तैयारियां की जा रही थी. जिला जज राधेश्याम यादव की अध्यक्षता में आयोजित इस लोक अदालत में वादों के शत प्रतिशत निस्तारण के लिए न्यायिक अधिकारी पूरी तन्मयता से लगे रहे. जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव संजय कुमार और लोक अदालत के नोडल अधिकारी एडीजे अशोक यादव ने पूरी नजर बनाए रखी.

जानकारी देते लोक अदालत के नोडल अधिकारी एडीजे अशोक यादव.
लोक अदालत के लिए चिन्हित किये गए वाद
  • बैंकों से सम्बंधित वाद- 31870
  • तहसील एवं राजस्व वाद- 12903
  • स्थायी लोक अदालत के केस- 17
  • दीवानी न्यायालय के वाद- 421
  • क्रिमिनल शमनीय मामले- 9765
  • 138 एनआई एक्ट- 100
  • मेट्रीमोनियल केस- 69
  • अन्य विभागों के केस- 3446
  • कुल मामले तकरीबन- 60 हजार

क्या है लोक अदालत
वादकारियों को त्वरित और कम खर्च पर न्याय दिलाने के उद्देश्य से लोक अदालतों के आयोजन किया जाता है. वर्ष 1982 में इसी अवधारणा को लेकर सबसे पहली लोक अदालत का आयोजन गुजरात मे किया गया था. उसके बाद इसकी सफलता को देखते हुए वर्ष 2002 से इसे स्थायी बना दिया गया.

लोक अदालत के नोडल अधिकारी एडीजे अशोक यादव.
लोक अदालत के नोडल अधिकारी एडीजे अशोक यादव.
क्या हैं लाभ
  • लोक अदालतों से न केवल अदालतों के बढ़ते बोझ को कम किया जा रहा है बल्कि इससे वादकारियों को कई तरह से लाभ भी हो रहे हैं.
  • इससे कोर्ट फीस में बचत होती है.
  • इसमें वकील की आवश्यकता नही होती लिहाजा वकील की फीस की बचत होती है.
  • इसमें मामले का तुरंत निपटारा हो जाता है.
  • लोक अदालत का फैसला अंतिम फैसला होता है.
  • लोक अदालत में हुए फैसले के विरुद्ध न तो कहीं रिवीजन होता है और न ही अपील.
  • दोनों पक्षो की आम सहमति से फैसला होता है.

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