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एंबुलेंस कांड में बढ़ी मुख्तार अंसारी की मुश्किलें, कोर्ट ने खारिज की रिवीजन याचिका

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Published : Jun 27, 2023, 9:49 PM IST

मुख्तार अंसारी
मुख्तार अंसारी

एंबुलेंस केस में 13 लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया था. मुख्तार के वकील रणधीर सुमन ने जिला सत्र न्यायाधीश में रिवीजन डाला था. सोमवार को इस पर सुनवाई हुई थी. इसके बाद मामले में 27 जून को भी सुनवाई हुई.

बाराबंकी : यूपी के चर्चित एम्बुलेंस मामले में अवर कोर्ट की ओर से तय आरोपों के खिलाफ मुख्तार अंसारी समेत आठ आरोपियों ने जिला सत्र न्यायाधीश की कोर्ट में रिवीजन दाखिल किया था. मंगलवार को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अनिल कुमार शुक्ल ने उनके प्रार्थना पत्र को निरस्त कर दिया. एंबुलेंस मामले में ट्रायल की अगली सुनवाई 4 जुलाई को होगी.

मामले 13 लोग हैं आरोपी : जिला शासकीय अधिवक्ता राजेश कुमार पांडेय और सहायक शासकीय अधिवक्ता आशीष शरण गुप्ता ने बताया कि अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट/एमपी-एमएलए न्यायालय संख्या-19 बाराबंकी में सरकार बनाम डॉ. अलका रॉय का मुकदमा चल रहा है. इस मामले में मुख्तार अंसारी समेत 13 आरोपी हैं. मुख्तार अंसारी व अन्य के अधिवक्ता रणधीर सिंह सुमन द्वारा मामले में आरोपियों को डिस्चार्ज किए जाने का एक प्रार्थना पत्र 03 अगस्त 22 को दिया गया था. इसे कोर्ट ने 28 फरवरी 2023 को निरस्त कर दिया था. मामले में मुख्तार अंसारी, मो. जाफरी उर्फ शाहिद, राजनाथ यादव, सुरेंद्र शर्मा, फिरोज कुरेशी, अफरोज खान उर्फ चुन्नू,मो. सुहेब मुजाहिद और जफर उर्फ चंदा की ओर से अधिवक्ता रणधीर सिंह सुमन ने 22 जून को इसी आदेश के विरुद्ध सेशन कोर्ट में रिवीजन डाला था.

निर्दोष होने का दिया था प्रार्थन पत्र : मंगलवार को प्रभारी सत्र न्यायाधीश अनिल कुमार शुक्ल ने रिवीजन को निरस्त कर दिया. निगरानीकर्ता की ओर से प्रार्थना पत्र में कहा गया कि प्रार्थी निर्दोष है और इस प्रकार का कोई अपराध नहीं किया है. इस प्रकरण में जान-बूझकर उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार के इशारे पर प्रार्थी को अभियुक्त बनाया गया है. उधर शासकीय अधिवक्ता फौजदारी राजेश कुमार पांडेय और सहायक शासकीय अधिवक्ता आशीष शरण गुप्ता ने कहा कि फौजदारी के मामलों में विचारण गुण-दोष के आधार पर ही किया जाना चाहिए, न कि उन्मोचन प्रार्थना पत्र के आधार पर.

ये था एम्बुलेंस मामला : 31 मार्च 2021 को बाराबंकी की एंबुलेंस उस वक्त चर्चा में आ गई, जब पंजाब के रोपण जेल से मोहाली कोर्ट तक जाने में इसका प्रयोग मुख्तार अंसारी ने किया. इस एंबुलेंस पर बाराबंकी जिले का नंबर था. इसके बाद बाराबंकी परिवहन विभाग में खलबली मच गई. जांच शुरू हुई तो पता चला कि फर्जी दस्तावेज के सहारे वर्ष 2013 में एंबुलेंस बाराबंकी एआरटीओ कार्यालय से पंजीकृत कराई गई थी. संभागीय परिवहन विभाग ने एंबुलेंस की पड़ताल की तो पता चला कि इसका रिन्यूअल ही नहीं कराया गया था. एंबुलेंस डॉ. अलका राय की फर्जी वोटर आईडी से पंजीकृत पाई गई. इसके बाद मामले में मऊ जिले की डॉ. अलका राय, डॉ. शेषनाथ राय, राजनाथ यादव, मुजाहिद समेत कई के खिलाफ नगर कोतवाली में 2 अप्रैल 2021 को एआरटीओ प्रशासन ने मुकदमा दर्ज करा दिया. छानबीन में मुख्तार की संलिप्तता पाए जाने पर मुकदमे में धाराएं बढ़ाते हुए मुख्तार का नाम भी बढ़ाया गया था. विवेचना के दौरान मामले में 13 आरोपी सामने आए. इनमें मुख्तार अंसारी, डॉ. अलका राय, डॉ. शेषनाथ राय, राजनाथ यादव, मोहम्मद जाफरी उर्फ शाहिद, आनंद यादव, मुहम्मद सुहैब मुजाहिद, अफरोज खां उर्फ चुन्नू, जफर उर्फ चंदा, सुरेंद्र शर्मा, सलीम, मोहम्मद शाहिद और फिरोज कुरैशी हैं. इन्हें गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया गया था. मुख्तार अंसारी बांदा जेल में बंद है. इस मामले में गैंगेस्टर की भी कार्रवाई की गई है.

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